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माघ यानी भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास व दसवां सौरमास

Newstrack
Published on: 19 Jan 2018 12:17 PM GMT
माघ यानी भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास व दसवां सौरमास
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लखनऊ: माघ यानी भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास व दसवां सौरमास। दरअसल मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होने के कारण यह महीना माघ का महीना कहलाता है। मकर संक्रांति से कुंभ संक्रांति तक पूरा एक महीना माघ महीना कहलाता है। वैसे तो इस मास का हर दिन पर्व के समान जाता है। लेकिन कुछ खास दिनों का खास महत्व भी इस महीने में हैं। उत्तर भारत में 1 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ ही माघ स्नान की शुरुआत हो चुकी है जिसका समापन 31 जनवरी को माघी पूर्णिमा के दिन होगा।

षटतिला एकादशी (12 जनवरी) और कृष्ण पक्ष की मौनी अमावस्या (16 जनवरी)के बाद माघ मास के पर्व इस प्रकार हैं:

बसंत पंचमी (22 जनवरी)- इस दिन विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी को पूजा जाता है। ब्रह्मावैवर्त पुराण में इन देवियों का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के कंठ से होना बताया गया है।

अचला सप्तमी (24 जनवरी)- माघ मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी का व्रत रखा जाता है। इसका महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। उनके अनुसार इस दिन स्नान-दान, पितरों के तर्पण व सूर्य पूजा एवं वस्त्रादि दान करने से व्यक्ति बैकुंठ में जाता है। माना जाता है कि इस दिन के व्रत रखने से साल भर रविवार के दिन रखे व्रतों के समान पुण्य मिलता है। रविवार के दिन पडऩे वाली सप्तमी को अचला भानू सप्तमी भी कहा जाता है और इसे बहुत शुभ माना जाता है।

भीमाष्टमी (25 जनवरी)- शुक्ल पक्ष की ही अष्टमी को भीमाष्टमी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण-त्याग किया था। मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान व माधव पूजा से मनुष्य मात्र के सब पाप कट जाते हैं।

माघ पूर्णिमा (31 जनवरी)- माघी पूर्णिमा का महत्व सर्वाधिक माना गया है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं इसलिए इनमें सारे रोगों से मुक्ति दिलाने वाले गुण उत्पन्न होते हैं। मान्यता यह भी है कि माघ पूर्णिमा में स्नान दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है।

शास्त्रों के अनुसार इस महीने किए जाने वाले व्रत का फल कई गुना ज्यादा मिलता है। इस महीने में मंगलवार उपासना का शास्त्रों में अलग ही महत्व है। मंगलवार को किए उपाय से सुख, रक्त विकाराय, मान-सम्मान मिलता है।

माघ महीने में मंगलवार के व्रत किए जाते हैं। जिसमें उपासना करने वालों को एक समय बिना नमक का अन्न खाना चाहिए। गुड़ तिल मिलाकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। वहीं जरूरतमंद को दान करना चाहिए। मंगलवार को व्रत से मनुष्य सारे दोषों से मुक्त हो जाता हैं। व्रत के पूजन के समय लाल फूल चढ़ाएं और लाल वस्त्र धारण करें। हनुमान जी की पूजा करते हुए मंगलवार की कथा सुनें। माघ मास में पूर्णिमा को जो व्यक्ति ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। इस महीने में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा सुननी चाहिए इससे पुण्य की प्राप्ति होगी व पापों से मुक्ति मिलेगी।

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