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जानें किस साइज के शिवलिंग की पूजा करने से पूरी होती है मनोकामना

Newstrack
Published on: 28 Jan 2016 1:31 PM GMT
जानें किस साइज के शिवलिंग की पूजा करने से पूरी होती है मनोकामना
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लखनऊ : ज्यादातर हिन्दुओं के घरों में पूजन को लेकर छोटे-छोटे मंदिर बनाएं जाते हैं। घर के मंदिर में नियमित पूजन करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। वातावरण पवित्र बना रहता है, लेकिन हममें से अधिकांश लोग अज्ञानतावश पूजन के छोटे- नियमों का पालन नहीं कर पाते हैं। आज कुछ पूजन संबंधी ऐसे नियम बताएंगें। जिसका पालन कर श्रेष्ठ फल को प्राप्त कर सकते हैं।जिससे ईश्वर आप पर कृपा बनाए रखते हैं। घर का मंदिर कैसा होना चाहिए। यहां किन-किन बातों का ध्यान रखा जाए,कि पूजन से श्रेष्ठ फल प्राप्त हो और लक्ष्मी की कृपा से घर में धन की कमी नहीं हो। कुछ ऐसी ही बातें बताई जा रही हैं, जिसको अपनाने से सुख-शांति मिलेगी...

घर के मंदिर में मूर्तियों का चुनाव : शास्त्रों में बताया गया है कि यदि हम घर के मंदिर में शिवलिंग रखना चाहते हैं तो शिवलिंग हमारे अंगूठे के आकार से बड़ा नहीं होना चाहिए। छोटा शिवलिंग शुभ फल देता है। अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी छोटे आकार की ही रखनी चाहिए। घर के मंदिर में छोटे आकार की मूर्तिया श्रेष्ठ मानी जाती हैं।

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

खंडित मूर्तियां ना रखें: शास्त्रों में कहा गया है कि खंडित मूर्तियों की पूजा से जीवन में अशांति बनी रहती है। इन्हें पूजा स्थल से हटा देना चाहिए या नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए, लेकिन एक बात ध्यान रखने योग्य है कि शिवलिंग कभी भी, किसी भी अवस्था में खंडित नहीं माना जाता है।

किस दिशा में करें पूजा: अधिकतर घर में पूजा का स्थान पूर्वमुखी रखा जाता है। अगर व्यक्ति पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके पूजा करें तो बहुत शुभ होता है। यदि ऐसा करना संभव नहीं है तो पूजा करते समय मुंह पूर्व दिशा में होगा, तब भी श्रेष्ठ फल प्राप्त होते है।

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मंदिर में हवा और रोशनी: जिस घर में सूर्य की रोशनी और ताजी हवा आती रहती है, वहां कई दोष स्वत: ही शांत हो जाते हैं। सूर्य की रोशनी से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ जाती है।

पूजन सामग्री में क्या करें शामिल: पूजा की थाली सजाते वक्त ध्यान रखना चाहिेए कि उसमें बासी फूल, पत्ते न हो। ताजे जल का ही उपयोग करें। ये बात ध्यान रखने योग्य है कि तुलसी के पत्ते और गंगाजल कभी बासी नहीं माने जाते हैं। अत: इनका उपयोग कभी भी किया जा सकता है। यदि कोई फूल सूंघा हुआ है या खराब है तो उसे भी भगवान को अर्पित न करें।

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पूजन कक्ष में नहीं ले जाना चाहिए ये चीजें: वैसे तो घर के अंदर ही चप्पल जूते पहन के नहीं जाने चाहिए। इससे नाकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। यही बात मंदिर के लिए भी माना गया है।कि वहां चमड़े से बनी चीजें, जूते-चप्पल नहीं ले जाना चाहिए। मंदिर में मृतकों और पूर्वजों के चित्र भी नहीं लगाना चाहिए। घर में दक्षिण दिशा की दीवार पर मृतकों के चित्र लगाए जा सकते हैं, लेकिन मंदिर में नहीं रखना चाहिए।

मंदिर के पास शौचालय नहीं होना: घर के पूजा कक्ष के पास शौचालय होना भी अशुभ रहता है। अत: ऐसे स्थान पर पूजन कक्ष बनाएं, जहां आसपास शौचालय न हो। पूजा का स्थान हमेशा खुला होना चाहिए, जहां आसानी से बैठा जा सके।

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रोज रात को मंदिर पर ढंके पर्दा: रात को सोने से पहले मंदिर को पर्दे से ढंक देना चाहिए। ऐसा करने से ईश्वर की कृपा बनी रहती हैं।

पूजन के बजाएं घंटी: घर के मंदिर में रोज सुबह-शाम पूजा अवश्य करना चाहिए। पूजा के समय घंटी भी अवश्य बजाएं। ऐसा करने से घंटी की आवाज से नकारात्मकता ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मकता बढ़ती है।

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