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डॉक्‍टर मेडिको लीगल रिपोर्ट कंप्‍यूटर से टाईप कर भेजें अदालत: हाईकोर्ट

sudhanshu
Published on: 3 Nov 2018 1:25 PM GMT
डॉक्‍टर मेडिको लीगल रिपोर्ट कंप्‍यूटर से टाईप कर भेजें अदालत: हाईकोर्ट
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लखनऊ: डाक्टरें की खराब लिखावट से परेशान इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रमुख सचिव गृह के साथ साथ स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं के प्रमुख सचिव व डी जी के ओरिजिनल मेडिको रिपेर्ट की टाइपिंग के लिए हर अस्पताल में कम्प्यूटर व प्रिंटर उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए इन आला अधिकारियों को तीन महीने का समय देते हुए अनुपालन आख्या भी तलब की है।

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विभागाध्‍यक्ष प्रमाणित करें रिपोर्ट

कोर्ट ने कहा कि ओरिजिनल मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने वाला डाक्टर या उस विभाग का अध्यक्ष कम्प्यूटर टाईप्ड रिपोर्ट को प्रमाणित करेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि कम्प्यूटर टाईप्ड मेडिको लीगल रिपोर्ट विवेचना समाप्त होने के बाद पुलिस रिपोर्ट का हिस्सा बनायी जायेगी।

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इंजरी रिपोर्ट होती है अस्‍पष्‍ट

यह आदेश जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस डी के सिंह की बेंच ने एक रिट याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया। इस याचिका की सुनवायी के दौरान भी कोर्ट ने पाया कि इंजरी रिपोर्ट इतनी अस्पष्ट है कि न उसे कोर्ट पढ़ पा रही है और न ही दोनों पक्षों के वकील ही उसे समझ पा रहे हैं। कोर्ट ने डाक्टर के सहयोग से इंजरी रिपार्ट को पढ़ा और केस को निस्तारित कर दिया।

इसी दौरान कोर्ट ने कहा कि उसे आये दिन डाक्टरें को मेडिको लीगल रिपोर्ट पढ़ने के लिए बुलाना पड़ता है। यह प्रशासन की दृष्टि से उचित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि मेडिको लीगल तमाम मुकदमों के निस्तारण में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। किन्तु यदि यह स्पष्ट नहीं है तो उससे न्याय प्रशासन में बाधा आती है। कोर्ट ने कहा कि डाक्टरें को बार बार बुलाने का कोई औचित्य नहीं प्रतीत हेता है। इससे तमाम मरीजों का इलाज रह जाता है।

कोर्ट ने कहा कि उसने पहले भी आदेश दिया था और उसके बाद डी जी मेडिकल एवं हेल्थ सर्विसेस ने 8 नंवबर 2012 को एक सर्कुलर जारी कर सभी सरकारी डाक्टरां के निर्देश दिया था कि मेडिको लीगल रिपेर्टस साफ साफ स्पष्ट लिखी होनी चाहिए ताकि उन्हें पढ़ने व समझने में केई दिक्कत न हो क्योकि रिपेर्ट कोई डाक्टर अपने लिये नही लिखता है अपितु इसलिए लिखता है कि उसे अदालत में प्रयोग किया जा सके जहां जज व वकील उस रिपेर्ट को पढ़ते हैं ताकि न्याय प्रशासन में उसका प्रयोग किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक आदेश व डीजी के सर्कुलर के बावजूद डाक्टरें की आदत में कोई सुधार नहीं दिख रहा है।

सारी स्थितियें पर गौर करने के बाद कोर्ट ने कहा कि मेडिको लीगल रिपेर्टस तैयार करने वाले सभी सरकारी अस्पतालें पर राज्य सरकार तीन माह के भीतर आपराधिक न्याय प्रशासन के हित में कम्प्यूटर व प्रिंटर उपलब्ध कराये ताकि मुकदमों के निस्तारण मे तेजी आ सके।

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गौरतलब हो कि पिछले दिनों में हरदोई, उन्नाव, सीतापुर व अन्य कई जिलों के डाक्टरें को खराब लिखावट के चलते तलब किया था और बाद में उन पर हर्जाना भी ठोंका था। परंतु इससे स्थिति में कोई सुधार नहीं आया और उपस्थित डाक्टरों ने कोर्ट को सुझाया था कि उन्हें कम्प्यूटर व प्रिंटर उपलब्ध कराने चाहिए ताकि साफ साफ रिपोर्ट कोर्ट को प्रेषित की जा सके।

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