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आधे-अधूरे विकास कार्यों की सौगात से वोटरों को सहेजने की कोशिशें

seema
Published on: 8 March 2019 7:41 AM GMT
आधे-अधूरे विकास कार्यों की सौगात से वोटरों को सहेजने की कोशिशें
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आधे-अधूरे विकास कार्यों की सौगात से वोटरों को सहेजने की कोशिशें

गोरखपुर। लोकसभा चुनाव को लेकर चंद दिन ही बचे हैं। दुबारा सत्ता पर काबिज होने के लिए कील कांटे तो दुरुस्त किए जा रहे है, विकास कार्यों की सौगात से वोटरों को सहेजने की कोशिशें हो रही हैं। नतीजतन पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकार्पण और शिलान्यास की बारिश कर रहे हैं। केन्द्रीय और प्रदेश के मंत्रियों में भी शिलान्यास की होड़ लगी हुई है। शिलान्यास भले ही भविष्य की योजना मानी जाए, लेकिन लोकार्पण को वर्तमान माना जाता है। यानी लोकार्पण के तत्काल बाद सुविधाएं मिलनी शुरू हो जानी चाहिए, लेकिन हो रहा है ठीक उलटा। पिछले छह महीने में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पित योजनाएं आधी-अधूरी हैं। अधूरे सौगात को लेकर आम लोगों में गुस्सा तो है ही, विरोधी नेता भी सवाल उठा रहे हैं।

सपा सरकार में लखनऊ मेट्रो, एक्सप्रेस-वे, रिवर फ्रंट से लेकर गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 100 बेड के बाल रोग संस्थान के लोकार्पण के बाद बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर अधूरे कार्यों के लोकार्पण का आरोप लगाते हुए सियासी हमला किया था। अब अपनी ही सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक आधे-अधूरे कार्यों का लोकार्पण कर रहे हैं।

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एसी लोको शेड में पूरे किए जा रहे अधूरे काम

चुनाव घोषित होने से चंद दिनों पहले पीएम मोदी ने फर्टिलाइजर मैदान में प्रधानमंत्री किसान सम्मान जैसी गेम चेंजर योजना के साथ ही बहुप्रतीक्षित एम्स की ओपीडी, मेडिकल कालेज में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, इलेक्ट्रिक इंजन की मरम्मत वाले लोको शेड समेत कई सड़कों का लोकार्पण किया। पीएम मोदी ने गोरखपुर में इलेक्ट्रिक इंजनों के मरम्मत और रखरखाव के लिए एसी लोको शेड का लोकार्पण किया था। अभी तक यह पूरी तरह मरम्मत को तैयार नहीं हो सका है। अभी भी अंदर अधूरे कार्य पूरे किए जा रहे हैं।

एम्स में आधे डॉक्टरों की भी तैनाती नहीं

एम्स में जहां उधार पर बुलाए गए जोधपुर के डॉक्टरों से जैसे-तैसे ओपीडी चल रही है तो वहीं बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की व्यवस्था भी पटरी पर नहीं है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पहले ही गोरखपुर में महिला अस्पताल से सटे 100 बेड के मैटर्निटी अस्पताल और 100 बेड के टीवी अस्पताल का लोकार्पण कर चुके हैं। पीएम द्वारा लोकार्पित एम्स में लोग घंटों लाइन लगाकर रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, जबकि वहां मानक के आधे डॉक्टरों की भी तैनाती नहीं हो सकी है। जिस एम्स में गम्भीर रोगों का इलाज होना चाहिए, वहां सर्दी-बुखार के परामर्श से पहले लोग पुलिस की लाठियां खा रहे हैं। एम्स प्रशासन ने 10 विभागों के लिए 34 डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए आवेदन निकाला था। लखनऊ के पीजीआई में 6 से 8 फरवरी तक 800 से अधिक डॉक्टरों के साक्षात्कार के बाद फिलहाल सिर्फ 8 डॉक्टरों की ही नियुक्ति हो सकी है। इनमें से दो ने अभी तक ज्वाइन भी नहीं किया है। एम्स की ओपीडी को जोधपुर एम्स के डॉक्टरों की मदद से जैसे-तैसे चलाया जा रहा है। एम्स में सर्वाधिक भीड़ 20 रुपये में हो रहे रजिस्ट्रेशन के लिए है। 5 मार्च तक 3200 से अधिक रजिस्ट्रेशन काउंटर से तो 6500 से अधिक ऑनलाइन हो चुके हैं। सपा के पूर्व सांसद अखिलेश सिंह कहते हैं कि सरकार अस्पतालों में डॉक्टर और सुविधाएं दें, ईंट पत्थर की बिल्डिंग से इलाज नहीं होगा। चुनावी लोकार्पण से पूर्वांचल के लोगों की सेहत नहीं सुधरेगी।

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आईसीयू के लिए पूरे स्टॉफ की तैनाती नहीं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की सत्ता संभालने के चंद महीने बाद ही 9 अगस्त 2017 को बीआरडी मेडिकल कालेज के ट्रॉमा सेंटर में बने 10 बेड के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू ) का लोकार्पण किया था। लोकार्पण के एक साल बाद भी पूरी व्यवस्था आईसीयू में दिख रही है। सीएम योगी से शिकायत के बाद कॉलेज प्रशासन ने जैसे-तैसे आईसीयू की व्यवस्था शुरू की है। आईसीयू के लिए 2013 में केन्द्र की मनमोहन सरकार ने 5 करोड़ की धनराशि दी थी। एक साल बाद टेंडर की प्रक्रिया पूरी हुई और चार साल में निर्माण कार्य पूरा हुआ। अभी आईसीयू के लिए पूरे स्टॉफ की तैनाती नहीं हो सकी है। मेडिकल कॉलेज में एनेसथिसिया के डाक्टरों के 14 पद सृजित हैं। कॉलेज में तैनात 3 डॉक्टरों के जिम्मे ही आपरेशन से लेकर आईसीयू को संचालित करने की जिम्मेदारी है।

मुख्यमंत्री ने कौड़ीराम के बासूडिहा और चरगांवा ब्लाक के खुटहन में सीएचसी का लोकार्पण पिछले दिनों किया था। खुटहन स्थित अस्पताल में चरगांवा के डाक्टरों के भरोसे जैसे-तैसे अस्पताल संचालित हो रहा है। स्थानीय प्रधान प्रतिनिधि दिनेश निषाद का कहना है कि अस्पताल तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है। अस्पताल में न तो डॉक्टर आते हैं और न ही दवा का इंतजाम है। वहीं बासूडिहा में अस्पताल के लोकार्पण से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद करने वाले ग्रामीणों को निराशा हाथ लगी है। पिछली सपा सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधासभा चुनाव से ठीक पहले बीआरडी मेडिकल परिसर में बने 500 बेड के बाल रोग संस्थान का लोकार्पण किया था। लोकार्पण पर सवाल खड़ा करने वाले मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में भी अस्पताल की सुविधा नहीं दे सके हैं।

नौकायन करते हुए डूबे तो कोई नहीं बचाएगा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते वर्ष 20 मई को प्रदेश की पर्यटन मंत्री रीता जोशी बहुगुणा के साथ रामगढ़ झील के नौकायन केन्द्र का लोकार्पण किया था। तब उन्होंने विरोधियों पर योजनाओं को लटकाने का आरोप लगाया था। हकीकत यह है कि लोकार्पण के आठ महीने बाद नौकायन केन्द्र का जैसे-तैसे टेंडर हुआ। बीते 26 जनवरी को बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के बोटिंग शुरू करा दी गई। सरकार ने बोटिंग का टेंडर कर 23 लाख रुपये कमाई का तो इंतजाम किया, लेकिन अनहोनी की स्थिति के लिए न तो स्टीमर की खरीद हुई न ही मौके पर गोताखोरों की तैनाती। करीब तीन वर्ष पूर्व खरीदी गई 30 नौका, लाइफ जैकेट विधिवत शुरुआत से पहले ही अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। नौकायन केन्द्र के नोडल अफसर और कुशीनगर पथिक निवास के इंचार्ज राजेश मणि त्रिपाठी बताते हैं कि लखनऊ मुख्यालय के ग्लोबल ई टेंडरिंग के चलते देरी हुई है।

शिलान्यास में डिप्टी सीएम भी पीछे नहीं

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी शिलान्यास के मामले में रिकार्ड बनाते दिख रहे हैं। बीते 2 मार्च को उन्होंने लखनऊ से ही 11,927 मार्गों का सांकेतिक (डिजिटल तरीके से) शिलान्यास किया। कुल 2,262 करोड़ की लागत से बनने वाली इन सड़कों में बड़ा हिस्सा गोरखपुर-बस्ती मंडल में है। दोनों मंडलों में करीब 600 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास हुआ है।

रेलवे भी पूर्वांचल को सौगात देने में जुटा

चुनाव से ऐन पहले रेलवे द्वारा वर्षों से लंबित परियोजनाओं का भी शिलान्यास किया जा रहा है। बीते 2 मार्च को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने खलीलाबाद-बहराइच रेल मार्ग का शिलान्यास किया। पांच जनपदों संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती व बहराइच को जोडऩे वाली इस रेल परियोजना पर करीब पांच हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसी क्रम में सहजनवां-दोहरीघाट और आनंदनगर-घुघली रेल लाइन के दिन भी बहुरने वाले हैं। पिछले बजट में सहजनवां-दोहरीघाट रेल लाइन परियोजना के लिए रेल मंत्रालय ने 743.55 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। निगेटिव रेट ऑफ रिटर्न के बाद भी जल्द ही घुघली-आनंदनगर रेल लाइन के शिलान्यास की उम्मीदें दिख रही हैं।

सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की व्यवस्था भी पटरी पर नहीं

वर्ष 2013 में मनमोहन सरकार में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत मंजूर हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 200 बेड वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का लोकार्पण पीएम मोदी ने बीते 24 फरवरी को किया था। 150 करोड़ की लागत से बने अस्पताल में यूरो सर्जरी, यूरोलॉजी, गैस्ट्रो सर्जरी, कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी, कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी और नेफ्रोलॉजी सरीखे विभागों में जैसे-तैसे ओपीडी ही चल रही है। बीआरडी प्रशासन ने डॉक्टरों के लिए दो बार विज्ञापन निकाला, लेकिन ऑठ विभागों में से सिर्फ छह डॉक्टर मिले, वह भी संविदा पर। आपरेशन और जांच तो दूर की बात है। पिछले एक सप्ताह में 100 मरीजों की ओपीडी भी नहीं हो सकी है। अभी भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज की ही पर्ची पर मरीजों को देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरवरी माह में जिला महिला अस्पताल के ठीक बगल में 100 बेड के मेटरनिटी विंग का लोकार्पण किया। लोकार्पण के समय सीएम ने गर्भवती महिलाओं की 24 घंटे सर्जरी से लेकर एनआईसीयू (न्यूयोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) का दावा किया था। हकीकत यह है कि मेटरनिटी विंग के इमरजेंसी को जिला अस्पताल की इमरजेंसी को ठप कर संचालित किया जा रहा है। अभी तक केन्द्रीयकृत ऑक्सीजन प्रणाली की शुरूआत नहीं हो सकी है। अस्पताल में न तो जनरेटर की सुविधा है, न ही एक भी सफाईकर्मी की तैनाती ही हो सकी है। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों एयरफोर्स के पास बने 100 बेड वाले टीबी अस्पताल का भी लोकार्पण किया है। कहने को टीबी अस्पताल में 8 डॉक्टरों की तैनाती है, लेकिन कभी भी दो से अधिक की मौजूदगी नहीं दिखी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज का ट्रामा सेंटर लोकार्पण के 18 महीने बाद भी चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। सेंटर में सिर्फ एक बेहोशी के डॉक्टर की तैनाती है, जबकि कम से कम तीन डॉक्टर होने चाहिए।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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