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सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक से बुज़ुर्गों को है अधिक खतरा

Manali Rastogi
Published on: 29 Nov 2018 11:50 AM GMT
सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक से बुज़ुर्गों को है अधिक खतरा
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लखनऊ: ब्रेन स्ट्रोक को आमतौर पर नजरअंदाज किया जाता है, जबकि हर छह में से एक व्यक्ति जिंदगी में कभी न कभी इसकी चपेट में आता ही है। अब तो यह युवाओं को भी अपनी चपेट में लेने लगा है लेकिन बुज़ुर्गों में सर्दियों के मौसम में इसकी आशंका और अधिक बढ़ जाती है।

ब्रेन स्ट्रोक यानी आज के समय की एक जानलेवा बीमारी। हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों को जितनी गंभीरता से लिया जाता है, इसे उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता, जबकि उम्रदराज लोग ही नहीं युवा भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं।

आकलनों के अनुसार हर छह में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी ब्रेन अटैक होता ही है और इसका इलाज भी काफी मंहगा होता है। इसलिए जरूरी है कि इसके लक्षणों को पहचानकर तुरंत ही इसका उपचार शुरू कर दिया जाए।

ब्रेन स्ट्रोक क्या है

सिविल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आशुतोष बताते हैं कि दिमाग की लाखों सेल्स की जरूरत को पूरा करने के लिए कई ब्लड सेल्स दिल से दिमाग तक लगातार खून पहुंचाती रहती हैं। जब ब्लड सरक्युलेशन बाधित हो जाता है, तब दिमाग की सेल्स मृत होने लगती हैं।

इसका परिणाम होता है दिमागी दौरा या ब्रेन स्ट्रोक। यह दिमाग में ब्लड क्लॉट बनने या ब्लीडिंग होने से भी हो सकता है। ब्लड सरक्युलेशन में रुकावट आने से कुछ ही समय में दिमाग की सेल्स मृत होने लगती हैं, क्योंकि उनका ऑक्सीजन सप्लाई रुक जाता है। जब दिमाग को ब्लड पहुंचाने वाली वेसल्स फट जाती हैं, तो इसे ब्रेन हैमरेज कहते हैं। कई बार ‘ब्रेन स्ट्रोक’ जानलेवा भी हो सकता है। इसे ब्रेन अटैक भी कहते हैं।

इस मौसम में बढ़ जाता है खतरा

हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल बताते हैं कि जिन्हें ब्लड प्रेशर की शिकायत है, सर्दियों में सुबह उनका ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है। इससे ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को इस मौसम में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। सर्दियों में प्लेटलेट्स आपस में चिपकने वाले हो जाते हैं, इससे भी ब्लॉकेज की आशंका बढ़ जती है।

इसके लक्षण

इसके लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होते हैं। कई मामलों में तो मरीज को पता ही नहीं चलता कि वह ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हुआ है। इन्हीं लक्षणों के आधार पर डॉक्टर पता लगाते हैं कि स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क का कौन-सा भाग क्षतिग्रस्त हुआ है। अक्सर इसके लक्षण अचानक दिखाई देते हैं।

इन बातों पर दें ध्यान

  1. अचानक संवेदनशून्य हो जाना या चेहरे, हाथ या पैर में, विशेष रूप से शरीर के एक भाग में कमजोरी आ जाना।
  2. समझने या बोलने में मुश्किल होना।
  3. एक या दोनों आंखों की क्षमता प्रभावित होना।
  4. चलने में मुश्किल, चक्कर आना, संतुलन की कमी हो जाना।
  5. अचानक गंभीर सिरदर्द होना।

किन्हें है अधिक खतरा

  1. बुज़ुर्गो को सर्दी के मौसम में ब्रेन स्ट्रोक का ज़्यादा खतरा होता है
  2. टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में इसका खतरा काफी बढ़ जाता है।
  3. हाई ब्लड प्रेशर और हाइपर टेंशन के मरीज इसकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं।
  4. मोटापा ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण बन सकता है।
  5. धूम्रपान, शराब और गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन ब्रेन अटैक को निमंत्रण देने वाले कारण माने जाते हैं।
  6. कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता स्तर और घटती शारीरिक सक्रियता भी इसका कारण बन सकती है।

पौष्टिक भोजन भी है कारगर

यूं तो पोषक पदार्थों का सेवन सबके लिए जरूरी है, लेकिन विशेष रूप से उनके लिए बहुत जरूरी है, जो ब्रेन स्ट्रोक से पीडित हैं। पोषक भोजन खाने से न सिर्फ मस्तिष्क की क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं की मरम्मत होती है, बल्कि भविष्य में स्ट्रोक होने की आशंका भी कम हो जाती है। ऐसा भोजन लें, जिसमें नमक, कोलेस्ट्रॉल, ट्रांस

फैट और सेचुरेटेड फैट की मात्रा कम हो और एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ई, सी और ए की मात्रा अधिक हो। साबुत अनाज खाएं, क्योंकि यह फाइबर के अच्छे स्त्रोत हैं और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में काफी फायदेमंद साबित होते हैं।

अदरक का सेवन करें, क्योंकि इससे खून पतला रहता है और क्लॉट बनने की आशंका कम हो जाती है। ओमेगा फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे तैलीय मछलियां, अखरोट, सोयाबी अपने खाने में शामिल करे।

यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं और खून जमने का खतरा कम हो जाता है। जामुन, गाजर, टमाटर और गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खाएं क्योंकि इनमें एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत अधिक होती है।

समय पर चाहिए उपचार

केजीएमयू के हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ अक्षय कहते हैं की लक्षण नजर आते ही मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। प्राथमिक स्तर पर इसके उपचार में रक्त संचरण को सुचारु और सामान्य करने की कोशिश की जाती है ताकि मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके।

डॉ. कुमार बताते हैं कि कई अत्याधुनिक अस्पतालों में थ्रोम्बोलिसिस के अलावा एक और उपचार उपलब्ध है, जिसे सोनो थ्रोम्बोलिसिस कहते हैं। यह मस्तिष्क में मौजूद ब्लड क्लॉट को नष्ट करने का एक अल्ट्रा साउंड तरीका है। इस उपचार में केवल दो घंटे लगते हैं। इसलिए स्ट्रोक अटैक के तीन घंटे के भीतर जो उपचार उपलब्ध कराया जाता है उसे ‘गोल्डन पीरियड’ कहते हैं।

लाएं सकारत्मक बदलाव

  1. तनाव न लें, मानसिक शांति के लिए ध्यान लगएं।
  2. धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।
  3. नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।
  4. अपना उचित भार बनाए रखें।
  5. हृदय रोगी और मधुमेह के रोगी विशेष सावधानी बरतें।

Manali Rastogi

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