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WOMENS DAY SPECIAL: ऐसे जाने अपने अधिकार, नहीं होगी कोई महिला हिंसा का शिकार

suman
Published on: 7 March 2019 3:58 AM GMT
WOMENS DAY SPECIAL: ऐसे जाने अपने अधिकार, नहीं होगी कोई महिला हिंसा का शिकार
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जयपुर: कभी मायके तो कभी ससुराल में महिलाएं अक्सर घरेलू हिंसा का शिकार होती है, लेकिन इससे बचने का रास्ता उसे नजर नहीं आता। ऐसे में महिलाओं के लिए जानना जरूरी है, घरेलू हिंसा अधिनियम को। घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाना है। यह अधिनियम 26 अक्टूबर 2006 को लागू हुआ था।

क्या है कानून शारीरिक पीड़ा, अपहानि या जीवन या अंग या स्वास्थ्य को खतरा या लिंगिए दुर्व्यवहार अर्थात महिला की गरिमा का उल्लंघन, अपमान या तिरस्कार करना या अतिक्रमण करना या मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार अर्थात अपमान, उपहास, गाली देना या आर्थिक दुर्व्यवहार अर्थात आर्थिक या वित्तीय संसाधनों, जिसकी वह हकदार है, से वंचित करना,मानसिक रूप से परेशान करना ये सभी घरेलू हिंसा कहलाते हैं।

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घरेलू हिंसा अधिनियम महिला बाल विकास द्वारा ही संचालित किया जाता है। शहर में महिला बाल विकास द्वारा जोन के अनुसार आठ संरक्षण अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। जो घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की शिकायत सुनते हैं और पूरी जांच पड़ताल करने के बाद प्रकरण को न्यायालय भेजा जाता है। ऐसी महिलाओं के लिए है जो घर के अंदर होने वाली किसी किस्म की हिंसा से पीड़़ित हैं। इसमें अपशब्द कहे जाने, किसी प्रकार की रोक-टोक करने और मारपीट करना आदि प्रता़ड़ना के प्रकार शामिल हैं। इस अधिनियम के तहत महिलाओं के हर रूप मां, भाभी, बहन, पत्नी व महिलाओं के हर रूप और किशोरियों से संबंधित प्रकरणों को शामिल किया जाता है। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत प्रताड़ित महिला किसी भी वयस्क पुरुष को अभियोजित कर सकती है अर्थात उसके विरुद्ध प्रकरण दर्ज करा सकती है।

कहां करें शिकायत घरेलु हिंसा के मामले में पीड़ित खुद शिकायत कर सकती है। अगर पीड़ित नहीं हैं तो भी आप संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसे किसी कारण से लगता है कि घरेलू हिंसा की कोई घटना घटित हुई है या हो रही है या जिसे ऐसा अंदेशा भी है कि ऐसी घटना घटित हो सकती है, वह संरक्षण अधिकारी को सूचित कर सकता है। यदि आपने सद्भावना में यह काम किया है तो जानकारी की पुष्टि न होने पर भी आपके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जाएगी। सुरक्षा अधिकारी के अलावा पीड़ित ‘सेवा प्रदाता’ से भी संपर्क कर सकती है, सेवा प्रदाता फिर शिकायत दर्ज कर ‘घरेलू हिंसा घटना रिपोर्ट’ बना कर मजिस्ट्रेट और संरक्षण अधिकारी को सूचित करता है।

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