कौन है श्रीकांत बोला जिनसे रतन टाटा भी हैं इंप्रेस

photo credit: instagram
राजकुमार राव की अपकमिंग फिल्म 'श्रीकांत' का ट्रेलर जैसे ही रिलीज हुआ, लोगों के दिलों में उनका किरदार बस गया.
राजकुमार राव के एक्टिंग के साथ-साथ श्रीकांत बोला की कहानी ने भी लोगों को भावुक कर दिया. वहीं लोग श्रीकांत के बारे में सबकुछ जानना चाहते हैं
जानते हैं बचपन से ही आंखों से न देख पाने वाले श्रीकांत के बारे में जिन्होंने अपनी कमियों के सामने घुटने नहीं टेके बल्कि अपने उन ख्वाबों को पूरा किया जो वह देखते आए हैं
1991 में आंध्र प्रदेश का मछलीपट्टनम में किसान परिवार में श्रीकांत बोला का जन्म हुआ. जन्म से ही अंधे बच्चे को लेकर परिवार में तरह-तरह की बातें होने लगी.
परिवार वालों ने कहा अंधा है, बोझ बन जाएगा, इसे मार दो, लेकिन मां-बाप ने किसी की नहीं सुनी और श्रीकांत को बड़ा किया.
लोगों के ताने की वजह से उनके पिता ने उनका दाखिला नेत्रहीनों के बोर्डिंग स्कूल में करवा दिया, लेकिन उसके लिए उन्हें घर से करीब 400 किलोमीटर दूर हैदराबाद जाना पड़ा.
10वीं में उन्होंने 96 फीसदी, 12वीं में 98 फीसदी नंबर लाकर सबकों चौंका दिया. वो साइंस पढ़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें किसी भी कॉलेज में साइंस स्ट्रीम में दाखिला नहीं मिल रहा था.
श्रीकांत ने ठान लिया था कि वो पढ़ेंगे तो साइंस ही, लेकिन उस वक्त नेत्रहीन बच्चों के लिए साइंस विषय पढ़ने की व्यवस्था नहीं थी.
श्रीकांत ने भारत के एजुकेशन सिस्टम पर केस कर दिया. 6 महीने केस चलने के बाद जीत श्रीकांत की हुई. साइंस पढ़ने वाले वो पहले नेत्रहीन छात्र बनें.
नेत्रहीन बच्चों के लिए उस वक्त साइंस की अलग किताबें उपलब्ध नहीं थी, उन्होंने सामान्य किसानों का ऑडियो वर्जन करवाया और फिर उसकी मदद से पढ़ाई की.
श्रीकांत का सपना आईआईटी में पढ़ने का था. उन्होंने आईआईटी की कोचिंग के लिए कोशिश शुरू की, लेकिन उन्हें हर जगह रिजेक्ट कर दिया जाता.
श्रीकांत ने ठान लिया कि अगर IIT को उनकी जरूरत नहीं तो उन्हें भी IIT की जरूरत नहीं है. उन्हें अमेरिका की मशहूर MIT में स्कॉलरशिप पर दाखिला मिला.
वो MIT में पढ़ने वाले पहले इंटरनेशनल ब्लाइंड स्टूडेंट थे. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें कई जॉब ऑफर मिले, लेकिन वो सब छोड़कर देश लौट आएं.
श्रीकांत ने दिव्यांगों की मदद करने के लिए 2012 में हैदराबाद में "बोलेंट इंडस्ट्रीज़" की शुरुआत की. यह ऐसी पैकेजिंग कंपनी है, जो इको-फ़्रेंडली उत्पाद का प्रोडक्शन करती हैं.