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'विश्व गौरैया और तितली' सप्ताह: चारे-पानी के लिए रोस्ट प्लांट्स और होस्ट प्लांट्स बांटे

इस एक हफ्ते के दौरान छात्रों ने कार प्रचार के माध्यम से पूरे शहर का दौरा कर 5000 से ज्यादा सर्टिफिकेट बांटे। जिसमें विभिन्न स्कूलों के बच्चे भी शामिल हैं। 'विश्व गौरैया और तितली सप्ताह-2019' के आखिरी दिन इंस्टिट्यूट फ़ॉर वाइल्डलाइफ साइंसेज, यूपी स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड और नवाब वाजिद अली शाह जूलॉजिकल गार्डन के बच्चों ने प्रोफेसर अमिता कन्नौजिया की अगुवाई में पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के गेट नं 4 पर फिर नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के गेट नं 1 पर जागरूकता कार्यक्रम से लोगों को गौरैया और तितली के महत्व के बारे में बताया।

SK Gautam
Published on: 19 March 2019 1:38 PM GMT
विश्व गौरैया और तितली सप्ताह: चारे-पानी के लिए रोस्ट प्लांट्स और होस्ट प्लांट्स बांटे
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लखनऊ: पिछले 10 वर्षों से लगातार 'विश्व गौरैया और तितली सप्ताह' के मौके पर लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने का जिम्मा, इंस्टिट्यूट फ़ॉर वाइल्डलाइफ साइंसेज उठाती चली आ रही है, लेकिन इस बार जागरूकता अभियान को ज्यादा लोगों तक पहुचाने में इनका साथ कई संस्थानो ने दिया। और अबकी बार इसका आयोजन इंस्टिट्यूट फ़ॉर वाइल्डलाइफ साइंसेज एंड डिपार्टमेंट ऑफ जूलोजी, लखनऊ विश्वविद्यालय, यूपी स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड और नवाब वाजिद अली शाह जूलॉजिकल गार्डन के माध्यम से सम्पन्न हुआ।

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इस एक हफ्ते के दौरान छात्रों ने कार प्रचार के माध्यम से पूरे शहर का दौरा कर 5000 से ज्यादा सर्टिफिकेट बांटे। जिसमें विभिन्न स्कूलों के बच्चे भी शामिल हैं। 'विश्व गौरैया और तितली सप्ताह-2019' के आखिरी दिन इंस्टिट्यूट फ़ॉर वाइल्डलाइफ साइंसेज, यूपी स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड और नवाब वाजिद अली शाह जूलॉजिकल गार्डन के बच्चों ने प्रोफेसर अमिता कन्नौजिया की अगुवाई में पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के गेट नं 4 पर फिर नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के गेट नं 1 पर जागरूकता कार्यक्रम से लोगों को गौरैया और तितली के महत्व के बारे में बताया।

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जिसके बाद इन छात्रों ने स्टॉल्स लगाकर, सिग्नेचर कैम्पिनिंग के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया। अंत में प्रोफेसर अमिता ने लोगों को गौरैया गिनने के लिए फॉर्म दिया और लोगों से आग्रह किया कि कल शाम 6 से 7 के बीच में वह गौरैया गिनकर इस फॉर्म में लिखें, जिससे कि यह पता चल सके कि लखनऊ के अभी किन किन इलाकों में गौरैया पाई जाती हैं।

इस मौके पर बच्चों ने स्टाल्स के माध्यम से गौरैया घर, रोस्ट प्लांट्स और होस्ट प्लांट्स, गौरैया चारा(काकुन, धान, ज्वार, बाजरा) और गौरैया के चारे और पानी के लिए मिट्टी के बर्तन यहां पर आए लोगों को मुहैया कराए।

इस एक सप्ताह के कार्यक्रम को सफल बनाने में रिसर्च स्कॉलर आदेश कुमार, अंकित सिन्हा, रूबी यादव और दीप्ति वर्मा ने अहम भूमिका निभाई। वहीं 30 लोगों की वालिंटियर टीम में रुचिरा निगम, अनुज त्रिपाठी, आमिर रहमान, संतुल कुमार, राकिया उमर, अर्शिता जैन, वर्षा रानी और मयंक सिंह सहित इत्यादि लोगों ने पूरी मेहनत से इस कार्यक्रम को सफल बनाने में साथ दिया।

SK Gautam

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