नई दिल्ली: अगर आप फेस्टिव सीजन में हवाई यात्रा करने के बारे में सोच रहे है तो ये खबर आपके लिए है। यात्रियों को अब अक्टूबर से सफर करने के लिए अपनी जेब और ढीली करनी होगी। सभी विमानन कंपनियों ने ईंधन (एटीएफ) पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी के बढ़ने के बाद किराया बढ़ाने का फैसला किया हैं। इससे आगामी फेस्टिव सीजन में हवाई सफर करना महंगा हो जाएगा।
बता दें कि आगामी महीनों में दशहरा, दिवाली, नवरात्रि, भाई दूज जैसे बड़े त्योहार आने वाले हैं।
फेस्टिव सीजन में सबसे ज्यादा सफर करते हैं यात्री
फेस्टिव सीजन में सभी एयरलाइन कंपनियों में पैसेंजर्स की संख्या काफी बढ़ जाती है। लो कॉस्ट एयरलाइन जैसे कि इंडिगो, गो एयर, स्पाइसजेट, एयर एशिया के अलावा जेट एयरवेज, विस्तारा, एयर इंडिया भी किराया बढ़ाने जा रहे हैं। एटीएफ पर 5 प्रतिशत सीमा शुल्क बढ़ने से विमानन कंपनियों पर नेगेटिव असर पड़ेगा। 10 सितंबर को स्पाइसजेट के चीफ अजय सिंह ने भी संकेत दिया था कि आने वाले कुछ महीनों में किराया बढ़ाया जा सकता है।
आधे से ज्यादा ईंधन का खर्च परिचालन में
सभी एयरलाइन कंपनियों को अपने परिचालन में सबसे ज्यादा पैसा ईंधन पर खर्च करना पड़ता है। यह राशि कुल खर्च होने वाली राशि का 52 से 55 फीसदी के बीच होता है। घाटे से जूझ रही एयरलाइन कंपनियों के लिए एटीएफ पर कस्टम ड्यूटी बढ़ने से झटका लगा है। प्रत्येक किलोलीटर हवाई ईंधन पर कंपनियां 55-65 हजार रुपये खर्च करती हैं। एटीएफ का दाम भी शहरों के हिसाब से अलग-अलग लगता है।
इतना आया कंपनियों का खर्चा
हवाई ईंधन पर देश की तमाम हवाई कंपनियों का काफी पैसा पिछले एक साल में खर्च हुआ है। स्पाइसजेट का खर्चा 52 फीसदी बढ़कर 812 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इंडिगो का ईंधन खर्च 54 फीसदी बढ़कर 2,715 करोड़ रहा। जेट एयरवेज का ईंधन खर्च 53 फीसदी बढ़ गया है। इससे कंपनियों के शुद्ध मुनाफे में भी कमी आई है।
अधिकांश कंपनियों की हालत खराब
इस वजह से सभी कंपनियों की हालत काफी खस्ता हो चुकी है। खर्च बढ़ने के कारण स्पाइसजेट को 14 तिमाहियों में पहली बार नुकसान हुआ है। अप्रैल-जून के दौरान इसे 38 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। दिल्ली में घरेलू एयरलाइंस के लिए इसकी कीमत सितंबर 2017 में 50,020 रुपये प्रति किलोलीटर थी, जो अब 69,461 रुपये पर पहुंच गई है।
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