यहाँ तो अपनी ही सरकार के लिए मुश्किल पैदा कर दी विधायक ने

Update:2017-08-11 17:38 IST

देहरादून। उत्तराखंड में हरिद्वार के एक बीजेपी विधायक ने पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। ऐसी स्थिति है, कि न तो सरकार के लिए निगलते बन रहा है और न ही उगलते। दरअसल हरिद्वार ग्रामीण से विधायक यतीश्वरानंद क्षेत्र में शराब की दुकानों के खिलाफ आंदोलनों को खुलकर समर्थन दे रहे हैं।

आबकारी से 2300 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य वाली सरकार के लिए यह कतई अच्छी बात नहीं है कि उसका एक विधायक शराब की दुकानों के खिलाफ आंदोलनों को हवा दे। मामला आगे बढ़ गया बीते 30 जुलाई को जब शराब की दुकान के विरोध में विधायक ने विरोध कर रहे लोगों के साथ मिल कर देसी और अंग्रेजी शराब की दुकानों के शटर गिराकर उन पर अपने ताले मारे और चाबी लेकर चले गए। इस बात को दस दिन से ज्यादा बीत गए हैं लेकिन प्रशासन ये दुकानें नहीं खुलवा पा रहा है।

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शराब की दुकान के मालिक ने आबकारी विभाग को दी लिखित शिकायत में कहा है कि स्थानीय विधायक यतीश्वरानंद ने अपने समर्थकों के साथ दुकान के कर्मचारियों के साथ मारपीट की और उन्हें बाहर निकाल दिया फिर दुकान पर ताला मार दिया। स्थानीय आबकारी निरीक्षक की जांच में भी यही बात साबित हुई। इसके बाद जिला आबकारी अधिकारी से होते हुए बात डीएम तक पहुंची और डीएम ने भी कोई कार्रवाई करने के बजाय अपने उच्च अधिकारी, अपर सचिव, से पूछ लिया कि ऐसे में क्या करें?

हरिद्वार की इन दो दुकानों के न खुलने से राज्य को रोज करीब साढ़े चार लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। क्योंकि जिसे यह ठेका आबंटित है उसने लिख कर दे दिया है कि वह ऐसी स्थिति में राजस्व का भुगतान नहीं कर सकता। लेकिन अपर सचिव ने हरिद्वार के जिलाधिकारी की 31 तारीख को लिखी चिट्ठी मिलने से ही इनकार कर दिया और कहा कि जब यह मिल जाएगी तो कानूनन उचित कार्रवाई की जाएगी।

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वहीं, आबकारी विभाग के मंत्री प्रकाश पंत ने यह मान लिया कि उन्हें यह चिट्ठी मिली है। अपनी बला टालते हुए उन्होंने कहा कि यह एक स्थानीय मामला है। हालांकि पंत ने यह भी कहा कि स्थानीय विधायक से बात चल रही है और उन्हें समझाने की कोशिश की जा रही है। पत्रकारों के पूछने पर आबकारी मंत्री ने विधायक के इस कृत्य को गलत भी ठहराया।

अब सवाल यह है कि मामला स्थानीय है या शासन के स्तर का। जिलाधिकारी अपने हाथ झाड़ चुके हैं और अपने उच्चाधिकारी से इस बारे में एक्शन लेने के लिए पूछ चुके हैं। कमाल की बात यह है कि दस दिन बाद भी एक आधिकारिक चिट्ठी हरिद्वार से देहरादून नहीं पहुंच पाई है या उच्चाधिकारी को यह समझ नहीं आ रहा कि इस मामले में क्या करें, क्या कहें।

उधर बीजेपी संगठन भी इस मामले में कूद चुका है और राज्य के पार्टी अध्यक्ष अजय भट्ट ने यतीश्वरानंद को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्हें समझ जाना चाहिए कि अब वह विपक्ष में नहीं सत्ता में हैं। भट्ट ने यह भी कहा कि वह खुद यतीश्वरानंद से बात करेंगे और बताएंगे कि उनका यह काम गलत है। लेकिन अभी तक इस संबंध में पार्टी ने कुछ नहीं किया है।

अब सरकार के लिए चिंता की एक बात और हो सकती है कि यतीश्वरानंद के मामले को शराब के विरोध में लगातार आंदोलन कर रहे लोग, खासकर महिलाएं न$जीर के रूप में इस्तेमाल न कर लें। राजधानी के रायपुर इलाके में शराब की दुकान के विरोध में लोग, मुख्यत: महिलाएं, 70 दिन से ज्याद समय से धरना दे रही हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

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ये महिलाएं अपने इलाके में शराब की दुकान खुलने ही नहीं दे रही थीं लेकिन चूंकि वह आम महिलाएं थीं इसलिए जिला आबकारी विभाग ने पुलिस की मदद से उन्हें गिरफ्तार किया, केस दर्ज किया और फिर पुलिसिया पहरे में शराब की दुकान खुलवाई। हरिद्वार में बीजेपी विधायक यतीश्वरानंद के विरोध को वीआईपी ट्रीटमेंट मिलने से इन महिलाओं में नाराजगी है।

उनका कहना है कि उन्हें तो पुलिस यह कहकर धमका रही थी कि पहले ही आप पर मामला दर्ज हो चुका है अब फिर विरोध किया तो कम से कम तीन महीने जेल जाना पड़ेगा लेकिन बीजेपी विधायक दुकान में ताला जडक़र चाबी जेब में डालकर चल देते हैं और पुलिस, प्रशासन और सरकार देखती रह जाती है।

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