तैयार रहें! कच्चे तेल की कीमतें दे सकती हैं तगड़ा झटका
वित्त वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत की विकास दर पर बुरा असर हो सकता है।
नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत की विकास दर पर बुरा असर हो सकता है।
सर्वे में कहा गया है कि पिछले तीन वित्त वर्षो मेंभारत ने व्यापार घाटा को सकारात्मक तरीके से झेला है। लेकिन वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तीन तिमाहियों में, डॉलर के संदर्भ में पिछले साल के मुकाबले कच्चे तेल की कीमतें 16 फीसदी अधिक थीं।
अनुमान है कि तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि से देश की वृद्धि दर 0.2-0.3 फीसदी कम हो जाती है। इससे थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में 1.7 फीसदी वृद्धि हुई और सीएडी (चालू खाता घाटा) करीब 9-10 अरब डॉलर बढ़ गया।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रह्मण्यमके अनुसार अगर तेल कीमतें वर्तमान स्तरों पर भी रहती है, तो यह चुनौतीपूर्ण रहेगा। इसलिए मेरा मानना है कि तेल कीमतों पर बहुत सावधानी से नजर रखनी होगी। वहीं, एक जोखिम भी है, शेयर बाजार इतनी तेजी से आगे बढ़े हैं,अगर उसमें तेज सुधार होता है तो एक और खतरा है, जिस पर हमें नजर रखनी चाहिए।
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा
सर्वेक्षण में कहा गया है कि दिसंबर 2017 तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 409.4 अरब डॉलर रहा। दिसंबर 2016 (358.9 अरब डॉलर) की तुलना में विदेशी मुद्रा भंडार में 14.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अब यह 12 जनवरी 2018 तक बढ़कर 413.8 अरब डॉलर हो गया है।सर्वेक्षण के मुताबिक, मार्च 2017 में 11.3 महीनों के लिए देश में विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध था। सितम्बर 2017 में 11.1 महीनों के आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध है। विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भारत पूरी दुनिया में छठे स्थान पर है।