हिमाचल चुनाव : हमीरपुर भाजपा का 'अभेद्य किला', विरोधी हथियार रहे बेकार

Update:2017-11-03 15:54 IST

शिमला : हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने और सत्ता पर कब्जे का सपना संजोए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लिए सामान्य तौर पर हर एक सीट महत्वपूर्ण है, लेकिन इन सभी सीटों में एक सीट ऐसी है, जिससे भाजपा का गढ़ कहा जाता है। हमीरपुर विधानसभा सीट 68 सदस्यीय विधानसभा में अकेली ऐसी सीट है, जहां भाजपा का हमेशा से दबदबा रहा है।

'वीर भूमि' हमीरपुर

'वीर भूमि' के नाम से मशहूर हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के अंर्तगत आने वाली हमीरपुर विधानसभा सीट संख्या 42 में 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल मतदाता 66,025 थे। हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर के अंदर सबसे ज्यादा साक्षरता दर पाई गई है। 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक हमीरपुर में 88.15 प्रतिशत साक्षरता दर पाई गई थी। साथ ही हिमाचल के यह इकलौता ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है, जहां महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। हमीरपुर में प्रति 1000 पुरुषों पर 1095 महिलाएं हैं जो इस क्षेत्र की सूरते हाल बयां करता है।

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वर्ष 1967 से अब तक हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो हिमाचल प्रदेश में हुए पिछले 12 विधानसभा चुनावों में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का अधिकतर कब्जा रहा है। 1967 से लेकर अब तक 12 विधानसभा चुनाव में केवल तीन बार यहां का शासन कांग्रेस के हाथ लगा है जबकि भाजपा ने यहां आठ बार और एक बार भारतीय जन संघ ने क्षेत्र पर कब्जा जमाया था।

इसे इत्तेफाक कहें या हमीरपुर की जनता का प्यार कि भाजपा नेता जगदेव चंद ने यहां से लगातार पांच विधानसभा चुनाव जीतकर इसे भाजपा के 'अभेद्य किले' में तब्दील कर दिया था। हालांकि कांग्रेस नेता अनिता वर्मा ने 1995 में भाजपा के इस किले में सेंध लगाई और यह सीट जीत ली, लेकिन पिछले एक दशक से यह सीट फिर से भाजपा के खाते में जा पहुंची।

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फिलहाल बीजेपी का कब्ज़ा

हमीरपुर विधानसभा सीट पर फिलहाल भाजपा के दिग्गज नेता और दो बार के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का कब्जा है, लेकिन धूमल ने इस विधानसभा सीट को छोड़कर सुजानपुर से नामांकन दाखिल किया है।

हमीरपुर विधानसभा सीट पर इस दफा भाजपा ने नरेंद्र ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है। ठाकुर दिग्गज भाजपा नेता और हमीरपुर को भाजपा के अभेद्य किले में तब्दील करने वाले जगदेव चंद के बेटे हैं। ठाकुर पहले कांग्रेस का हिस्सा थे लेकिन 2014 में उन्होंने भाजपा में घर वापसी की थी। नरेंद्र ठाकुर ने 2012 में धूमल के खिलाफ कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव में उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था।

वहीं, कांग्रेस ने हमीरपुर विधानसभा से कुलदीप सिंह पठानिया को अपना उम्मीदवार बनाया है। पठानिया हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें कांग्रेस प्रदेश सुप्रीमो वीरभद्र सिंह का करीबी बताया जाता है।

इसके साथ ही हमीरपुर विभानसभा सीट पर मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अनिल मंकोतिया, बहुजन समाज पार्टी के लाल सिंह मस्ताना, समाज अधिकार कल्याण पार्टी के राज कुमार और दो निर्दलीय उम्मीदनवार चुनावी जंग में भाग ले रहे हैं।

हमीरपुर विधानसभा में जहां भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र ठाकुर पर अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का भार होगा तो वहीं कांग्रेस भाजपा के इस अभेद्य किले में दोबारा से सेंध लगाने की जद्दोजहद कर रही है। अब ये तो नतीजे ही बताएंगे की इस सीट पर जनता दोबारा से अपनी पसंदीदा पार्टी पर भरोसा जताती है या फिर बदलाव की मांग करते हुए किसी और का हाथ थामती है।

हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को मतदान होना है और वोटों की गिनती 18 दिसंबर को की जाएगी।

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