नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी पांच दिन के इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर दौरे पर हैं जिसमें सबसे खास इंडोनेशिया दौरा है। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सबांग बंदरगाह के आर्थिक और सैन्य इस्तेमाल की मंजूरी इंडोनेशिया ने भारत को दे दी है और इसे चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
सबांग बंदरगाह अंडमान निकोबार द्वीप समूह से 710 किलोमीटर की दूरी पर है जिसमें चीन ने भी दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन इंडोनेशिया ने ये तोहफा भारत को दिया है । सबांग सुमात्रा के उत्तरी छोर पर है और मलक्का स्ट्रैट के भी क़रीब है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार , भारत सबांग के पोर्ट और इकोनॉमिक ज़ोन में निवेश करेगा और एक अस्पताल भी बनाएगा। मलकका सैन्य और आर्थिक रूप से यह काफी महत्वपूर्ण है। साथ ही इस रास्ते से कच्चे तेल से लदे जहाज भी गुज़रते हैं। यह जिस इलाके में यह पड़ता है उससे भारत का 40 फीसदी समुद्री व्यापार होता है।
सामरिक लिहाज से सबांग बंदरगाह की गहराई 40 मीटर की है जिसे पनडुब्बियों समेत हर तरह के जहाजों के ठहरने के लिए उपयुक्त माना जाता है। वर्ल्ड वॉर 2 के समय जापान ने इस बंदरगाह का इस्तेमाल अपने सैन्य ठिकाने के रूप में किया था और अपने जहाज खड़े किए थे। चीन ने सबांग इलाके के इस्तेमाल और विकास के प्रति दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन इंडोनेशिया ने यह गिफ्ट मोदी के दौरे से पहले ही भारत को दे दिया था।
प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की यह पहली इंडोनेशिया यात्रा है। पीएम वहां राष्ट्रपति जोको विडोडो के निमंत्रण पर गए हैं । भारत और इंडोनेशिया ने सबांग में सहयोग के प्रस्ताव पर 2014-15 में सोचना शुरू किया था।
हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती पैठ ने भारत और इंडोनेशिया की चिंता बढ़ा दी थी और इसी वजह से सबांग को लेकर सहमति बनी है। इंडोनेशिया चीन के करीब भी है और उसके वन बेल्ट और वन रोड इनिशिएटिव फोरम में हिस्सा ले चुका है। हालांकि इंडोनेशिया नहीं चाहता कि चीन उस पर हावी हो ।
चीन और इंडोनेशिया के बीच साउथ चाइना सी को लेकर भी विवाद है। साउथ चाइना सी के मुद्दे पर भले ही इंडोनेशिया एक्टिव प्लेयर नहीं है, लेकिन नटुना द्वीप इलाके पर उसका चीन से विवाद हैं ऐसे में साउथ चाइना सी विवाद और सबांग के मुद्दे को देखते हुए इंडोनेशिया ने भारत के साथ जाने का निर्णय लिया।
इंडोनेशिया के बाद मलेशिया में मोदी नए निर्वाचित सबसे उम्रदराज प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से मुलाक़ात करेंगे जबकि सिंगापुर में छात्रों और सीईओ से भेंट के अलावा क्लिफ़र्ड पियर जाएंगे जहां महात्मा गांधी की अस्थियां विसर्जित की गई थी।
मोदी सरकार ने भारत की ईस्ट नीति शुरू की थी जिसका मकसद एशिया प्रशांत क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करना है। माना जा रहा है कि पीएम के दौरे से भारत की इस नीति को मजबूती मिलेगी।