J-K में राष्ट्रपति शासन 6 महीने बढ़ाने के प्रस्ताव का कांग्रेस ने किया विरोध
लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जम्मू कश्मीर आरक्षण बिल और राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का विरोध करते हुए कहा कि आज जो कश्मीर में हालात है उसके लिए इतिहास में पीछे जाने की जरूरत है|
नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक सदन में पेश कर दिया है। उन्होंने सदन में लोकसभा में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाने से जुड़ा प्रस्ताव सदन में रखा।
इस पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा कि जब कोई दल राज्य में सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं था तो कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया था। इसके बाद विधानसभा को भंग करने का फैसला राज्यपाल ने लिया था। नौ दिसंबर 2018 को राज्यपाल शासन की अवधि खत्म हो गई थी और फिर धारा 356 का उपयोग करते हुए 20 दिसंबर से वहां राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया गया। 2 जुलाई को छह माह का अंतराल खत्म हो रहा है और इसलिए इस राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए क्योंकि वहां विधानसभा अस्तित्व में नहीं है।
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल सदन में पेश करते हुए कहा कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी से प्रभावित होते हैं और उन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा से लगे लोगों को जो 3 फीसदी आरक्षण है इसके अदंर अतंरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक रहने वालों को भी 3 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। ये आरक्षण किसी को खुश करने के लिए नहीं लेकिन मानवता के आधार पर उनकी समस्या को देखते हुए आरक्षण दिया जाना चाहिए।
अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि चुनाव आयोग ने इस साल के आखिर में चुनाव कराने का फैसला करेंगे और इस बारे में सूचित कर दिया जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि रमजान का पवित्र महीना था, अब अमरनाथ यात्रा होनी है, इस वजह से चुनाव कराने इस दौरान मुमकिन नहीं था। इस साल के अंत में चुनाव कराने का फैसला लिया गया। शाह ने कहा कि वहां राष्ट्रपति शासन बढ़ाना जरूरी हो गया है और इस दौरान वहां चुनाव हो जाएगा।
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कांगेेस ने किया विरोध
लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जम्मू कश्मीर आरक्षण बिल और राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का विरोध करते हुए कहा कि आज जो कश्मीर में हालात है उसके लिए इतिहास में पीछे जाने की जरूरत है| तिवारी ने कहा कि 1990 में वीपी सिंह की सरकार था, जिसे बीजेपी और लेफ्ट का समर्थन हासिल था, तब से जम्मू कश्मीर के हालात बिगड़ने शुरू हुए| कांग्रेस की ओर से सरकार को चेताने के बावजूद भी राज्य के हालात नहीं सुधरे और वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा|
जम्मू कश्मीर आरक्षण बिल लोकसभा में पेश
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल सदन में पेश करते हुए कहा कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी से प्रभावित होते हैं और उन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा से लगे लोगों को जो 3 फीसदी आरक्षण है इसके अदंर अतंरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक रहने वालों को भी 3 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। ये आरक्षण किसी को खुश करने के लिए नहीं लेकिन मानवता के आधार पर उनकी समस्या को देखते हुए आरक्षण दिया जाना चाहिए।
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