लोकसभा में सवर्ण को 10% आरक्षण पर संशोधन बिल पास, पक्ष में पड़े 323 वोट

आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सदन के अंदर केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि आज तक कई सरकारें आईं, जिन्होंने अनआरक्षित वर्ग को आरक्षण देने की बात कही थी लेकिन सही रास्ता नहीं अपनाया।  उन्होंने कहा कि अनआरक्षित वर्ग को आरक्षण देने का जुमला तो विपक्षी दलों ने दिया था। 

Update:2019-01-08 18:13 IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों को आरक्षण देने पर मुहर लगा दी है। इस फैसले के तहत सवर्णों को आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। कैबिनेट की मुहर लगने के बाद आज इसके लिए संविधान संशोधन बिल संसद में पेश किया गया। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने संशोधन विधेयक को पेश किया।

सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आर्थिक आरक्षण के प्रस्ताव वाले बिल लोकसभा से पास हो गया है। आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण के लिए लाए गए 124वें संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने बहुमत के साथ पारित किया। बिल में सभी संशोधनों को बहुमत से मंजूरी दे दी गई। इस विधेयक के समर्थन में 323 वोट पड़े, जबकि महज 3 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। कुल 326 सांसदों ने मतदान किया था।

इस विधेयक पर मंगलवार को करीब 5 घंटे तक चली बहस में लगभग सभी दलों ने इसका समर्थन किया, लेकिन किसी ने भी इसका खुलकर विरोध नहीं किया। हालांकि कई सांसदों ने इस विधेयक को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए और कानूनी एवं संवैधानिक तौर पर इसके टिकने को लेकर अपनी बात कही।

 

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9वीं अनुसूची में डाला जाए आरक्षण: पासवान

आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान रामविलास पासवान ने कहा कि मंडल कमीशन के दौरान भी मेरा विरोध हो रहा था तब मैंने कहा था ये डबल लॉक है, अगर तुम नहीं करोगो को एक दिन सब तुम्हारा ही आरक्षण खत्म कर देंगे। अगर 50 फीसदी पहले से ही है और कल तक आरक्षण का विरोध करने वालों को भी 10 फीसदी आरक्षण मिल रहा है तो इसमें क्या गलत है, इससे किसी का हक भी नहीं मारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिल में कोई भेदभाव नहीं किया गया है और इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल हैं।

पासवान ने कहा कि इस कुल 60 फीसदी आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि कोई कोर्ट में इसे चुनौती न दे सके। इसके अलावा पासवान ने राजनाथ सिंह से मांग करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र में भी इस 60 फीसदी आरक्षण को लागू कराना चाहिए। भारतीय न्यायिक सेवा में हर जाति और धर्म के लोगों को स्थान मिलना चाहिए।

विपक्षी दलों ने दिया था अनआरक्षित वर्ग को आरक्षण देने का जुमला : जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सदन के अंदर केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि आज तक कई सरकारें आईं, जिन्होंने अनआरक्षित वर्ग को आरक्षण देने की बात कही थी लेकिन सही रास्ता नहीं अपनाया। उन्होंने कहा कि अनआरक्षित वर्ग को आरक्षण देने का जुमला तो विपक्षी दलों ने दिया था।

संविधान में 50 फीसदी आरक्षण का दायरा सामजिक तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए लागू है, आर्थिक तौर पर पिछड़ों के लिए यह लागू नहीं है। उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक तौर पर भेदभाव खत्म करने की कोशिश इस बिल के जरिए की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज हर नागरिक को समान अवसर देने की जरूरत है। आर्थिक आधार पर आरक्षण 50 फीसदी से भी ज्यादा हो सकता है क्योंकि वह जातिगत आरक्षण से अलग है।

आरक्षण बिल पर बोलते हुए कांग्रेस के के वी थॉमस ने कहा कि हम बिल के खिलाफ नहीं है, लेकिन हमारी पार्टी की मांग है कि बिल को पहले जेपीसी में भेजा जाए क्योंकि यह काफी अहम बिल है।

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पिछड़ों के उत्थान के लिए आरक्षण: थंबीदुरई

लोकसभा में AIADMK सांसद थंबीदुरई ने कहा कि आरक्षण सामाजिक न्याय के लिए दिया जाता है, मुझे समझ नहीं आ रहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि पिछड़ों के उत्थान के लिए आरक्षण नीति लाई गई थी, लेकिन यह सरकार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने जा रही, जबकि आपकी सरकार ने गरीबों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। अगर आप गरीबों का आरक्षण देने जा रहे हैं तो सरकार की इन योजनाओं से क्या फायदा हुआ, इससे साफ है कि आपकी सारी योजनाएं फेल हो गई हैं।

सामाजिक तौर पर कमजोर लोगों के लिए आरक्षण बहुत जरूरी था, क्योंकि उसके बाद भी आजतक सामाजिक बराबरी नहीं आ पाई है। उन्होंने कहा कि सरकार को पहले सामाजिक तौर पर पिछड़ों को सशक्त करना चाहिए। जाट, पटेल से लेकर ओबीसी के कई वर्ग आरक्षण की मांग कर रहे हैं और अगर सभी को शामिल करेंगे तो सीमा 70 फीसदी तक चली जाएगी। पहले सरकार तमिलनाडु के 69 फीसदी आरक्षण दे उसके बाद इस बिल पर विचार किया जाएगा। अगर आप किसी को आज आर्थिक आधार पर आरक्षण देते हैं और कल वो नौकरी पाकर अमीर हो जाता है फिर क्या आरक्षण को खत्म कर दिया जाएगा. जाति इस समाज में सच है जो हमेशा बनी रहती है।

दुर्बल लोगों को आरक्षण से मदद मिलेगी: शिवसेना

शिवसेना सांसद ने आनंदराव अडसुल कहा कि आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों को आरक्षण से काफी मदद मिलती है। लेकिन समाज में SC, ST और ओबीसी के अलावा भी अन्य वर्गों के लोग भी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक तौर पर कमोजरों को आरक्षण देने का समर्थन बाला साहब और हमारी पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे भी इसका समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इसमें साढ़े चार साल क्यों लगे यह सवाल मेरे मन भी आता है लेकिन कभी-कभी देरी से आए फैसले में दुरुस्त साबित होते हैं।

टीएमसी ने सरकार की मंशा पर उठाये सवाल

टीएमसी के सुदीप बंधोपाध्याय ने बिल पर चर्चा करते हुए कहा कि बिल को पेश करने के समय से हमारे मन में शक पैदा हुई कि सरकार की मंशा आखिर है क्या। सरकार क्या वाकई में युवाओं को रोजगार देना चाहती है या फिर 2019 के चुनाव में फायदा उठाने के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के आरक्षण बिल को क्यों नहीं लाया गया, क्या वह जरूरी नहीं था।

टीएमसी सांसद ने कहा कि बिल का समर्थन कर भी दिया गया तो नौकरियों का देश में क्या हाल है, सरकार कैसे घोषित नीतियों को पूरा करने जा रही है। यह बिल युवाओं के बीच झूठी उम्मीदें जगाएगा जो कभी सच्चाई नहीं बन सकतीं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करते हुए उम्मीद करती है कि युवाओं को रोजगार देने का काम होगा।

निजी क्षेत्र की नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण

थावर चंद गहलोत ने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकार की सेवाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने का अधिकार होगा, इसके अलावा निजी क्षेत्र की नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। गहलोत ने कहा कि पहले भी इस तरह का आरक्षण देने की कोशिश की गई थी लेकिन संविधान में संशोधन के बगैर ऐसा नहीं किया जा सकता। मंत्री ने कहा कि संविधान में बदलाव के जरिए ही आरक्षण देना मुश्किल है ताकि बाद में कोई भी सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती नहीं दे सके।

भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है, जबकि कांग्रेस ने पहले ही अपने सांसदों के लिए सोमवार और मंगलवार को उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया था।

विपक्ष इस बिल के चुनावी प्रभाव को देखते हुए विरोध तो नहीं कर रहा है, लेकिन सरकार की मंशा पर सवाल जरूर उठा रहा है। ऐसे में शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन हंगामे की भेंट चढ़ सकता है। विपक्ष का कहना है कि सरकार के पास न तो संख्या बल है और न ही समय, तो संसद में इसे लाने का मकसद सिर्फ सियासी है।

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लालू की आरजेडी ने लोकसभा में सवर्ण आरक्षण का विरोध किया है। आरक्षण बिल बोलते हुए आरजेडी सांसद जेपी नारायण यादव ने कहा कि सवर्ण आरक्षण बिल धोखा है।

सपा ने इस बिल का समर्थन किया है। आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान सपा सांद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि आबादी के आधार पर आरक्षण मिले। सरकार सभी पदों पर असमानता दूर करे। इसके साथ ही धर्मेंद्र यादव सरकार की नीयत पर सवाल खड़ किए। धर्मेंद्र यादव ने पूछा कि कार्यकाल के आखिरी दिनों में क्यों बिल लाया गया?

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बाबा साहब अंबेडकर का अपमान है सवर्ण आरक्षण बिल: ओवैसी

-सवर्ण आरक्षण बिल का फैसला ऐतिहासिक: रामदास अठावले

-10 फीसदी आरक्षण का बिल चुनावी स्टंट: भगवंत मान

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