नर्मदा बचाओ आंदोलन के लिए आर-पार की लड़ाई, संघर्ष जारी रखने का एलान
सरदार सरोवर बांध से डूब में आने वाले इलाके के लोगों के हक के लिए बेमियादी उपवास पर बैठीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को भले ही प्रशासन-पुलिस ने जबरन अस्पताल में दाखिल करा दिया मगर उसी उपवास स्थल पर 12 अन्य लोगों ने अनशन शुरू कर दिया है।
भोपाल/इंदौर : सरदार सरोवर बांध से डूब में आने वाले इलाके के लोगों के हक के लिए बेमियादी उपवास पर बैठीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को भले ही प्रशासन-पुलिस ने जबरन अस्पताल में दाखिल करा दिया मगर उसी उपवास स्थल पर 12 अन्य लोगों ने अनशन शुरू कर दिया है। आंदोलनकारियों ने कहा कि यह आरपार की लड़ाई है जो मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी। धार जिले के चिखल्दा गांव में अनशन पर बैठे इन लोगों ने कहा कि मेधा की गिरफ्तारी से आंदोलन खत्म नहीं होगा।
सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138 मीटर किए जाने से नर्मदा घाटी के 192 गांव और इनमें बसे 40 हजार परिवार प्रभावित होने वाले हैं। इस बीच सुप्रीमकोर्ट ने डूब प्रभावित इलाकों में विस्थापन की तारीख बढ़ाने से इनकार कर दिया है। याचिका में विस्थापन की तारीख को 31 जुलाई से बढ़ाकर आगे करने की मांग की गई थी। सुप्रीमकोर्ट में विस्थापितों की याचिका की सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश सरकार ने कहा कि हटाए गए लोगों के लिए सारे इंतजाम किए जा रहे हैं।
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कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त नाराजगी
मेधा की गिरफ्तारी से आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त नाराजगी है। मेधा विभिन्न मांगों को लेकर 27 जुलाई से अनशन पर बैठी थीं। ग्यारह अन्य लोगों के साथ अनशन पर बैठी मेधा की मांग है कि पूर्ण पुनर्वास के बाद ही ग्रामीणों को विस्थापित किया जाए। विभिन्न दलों व सामाजिक संगठनों ने आंदोलन को समर्थन दिया है। दूसरी ओर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्वास्थ्य कारणों की वजह से पाटकर को अस्पताल ले जाया गया है। उनका स्वास्थ्य काफी गिर गया था और डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।
मेधा की बिगड़ती तबीयत को लेकर मुख्यमंत्री चौहान ने पहले भी चिंता जताई थी और उनसे उपवास खत्म करने का आग्रह किया था। उन्होंने इंदौर के संभागायुक्त संजय दुबे, अपर सचिव चंद्रशेखर बोरकर के साथ भय्यूजी महाराज को मेधा से संपर्क करने भेजा था, मगर बात नहीं बन सकी थी। धार के जिलाधिकारी श्रीमन शुक्ला ने मेधा से कई बार अनशन खत्म करने के संबंध में बात की मगर मेधा के इनकार कर देने पर शाम ढलते ही मेधा व उनके साथियों को जबरन उठाया गया।
अनशन व संघर्ष जारी रखने का एलान
आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने आरोप लगाया कि पुलिस ने मेधा व अन्य अनशनकारियों की गिरफ्तारी का विरोध करने पर जमकर लाठीचार्ज किया और पंडाल व मंच को तोड़ दिया। महिलाओं और बच्चों के साथ भी बदसलूकी की गयी। दूसरी ओर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने हल्का बल प्रयोग करने की बात तो मानी मगर महिलाओं के साथ बदसलूकी से इनकार किया है। निधि ने बताया कि अभी भी लोगों का विरोध का जज्बा खत्म नहीं हुआ है। अब चार पिछले और आठ नए कुल मिलाकर 12 लोग फिर उसी स्थान पर उपवास पर बैठ गए हैं।
मेधा के साथियों ने कहा कि अब यह आरपार की लड़ाई है। जब तक हमें हमारे हक नहीं मिलेंगे, अनशन व संघर्ष जारी रहेगा। प्रशासन ने मेधा को बॉम्बे अस्पताल में भर्ती कराया है जबकि अन्य को इंदौर के एमवाय अस्पताल और धार के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रशासन का कहना है कि किसी आंदोलनकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया है मगर मेधा से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है। अस्पताल को छावनी बना दिया गया है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता भी उनसे नहीं मिल पा रहे हैं। उनसे मिलने पहुंचे कांग्रेस नेताओं को भी अस्पताल में नही घुसने दिया गया। दूसरी ओर अधिकारियों का कहना है कि आईसीयू में भर्ती मेधा की हालत खराब है। 12 दिन के अनशन के कारण उनके शरीर में कई दिक्कतें हैं। अधिकारियों के अनुसार अस्पताल के नियमों की वजह से मेधा को किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है।
मेधा की गिरफ्तारी नहीं : सीएम शिवराज
मेधा को अस्पताल ले जाए जाने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की सलाह पर मेधा जी व उनके साथियों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, गिरफ्तार नहीं किया गया है। चौहान ने कहा कि मैं प्रदेश का प्रथम सेवक हूं और मैं सरदार सरोवर बांध के विस्थापित अपने प्रत्येक भाई-बहन के समुचित पुनर्वास के लिए प्रतिबद्घ हूं। विस्थापितों के पुनर्वास के लिए प्रदेश सरकार ने नर्मदा पंचाट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन के साथ 900 करोड़ का अतिरिक्त पैकेज दिया है।
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सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को बेहतर से बेहतर सुविधा देने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। सीएम के ट्वीट पर विपक्ष के नेता अजय सिंह ने कहा कि तेरह साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह उपलब्धि है कि उन्हें कहना पड़ रहा है कि वे संवेदनशील हैं। इस बीच मेधा ने आरोप लगाया कि गुजरात सरकार को खुश करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार अपने लोगों पर अत्याचार कर रही है। उन्होंने बांध की ऊंचाई बढ़ाने को गैर जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के सभी दावे तथ्यहीन है।