विपक्षी पार्टियां EC से मिली, पूछा- आचार संहिता लगने के बाद 1 Feb. को क्यों पेश हो बजट

Update:2017-01-05 13:41 IST

नई दिल्ली: चुनाव से पहले बजट पर रोक लगाने की मांग को लेकर कांग्रेस की अगुआई में विपक्ष का एक प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को चुनाव आयोग से मिलने गया। विपक्षी पार्टियों के नेताओं का कहना है कि '5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो गई हैं। आचार संहिता लग गई है। ऐसे में 1 फरवरी को बजट पेश किया जाना सही नहीं होगा।' विपक्ष की इस मांग का केंद्र में एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने भी समर्थन किया है।

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इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'बजट में लोकलुभावन घोषणाएं की जा सकती हैं, जिससे मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। इससे फेयर इलेक्शन नहीं हो सकेगा।' गौरतलब है कि यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बुधवार को विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। ये चुनाव 4 फरवरी से 8 मार्च के बीच होंगे।

चुनाव आयोग जाने वाले नेताओं में कांग्रेस के आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद, त्रिची शिवा, अहमद पटेल, टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन और सौगत रॉय के अलावा सपा के नेता नरेश अग्रवाल हैं।

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सरकार 31 मार्च तक पेश करे बजट

मुलाकात के बाद गुलाम नबी आजाद ने बताया कि 'विपक्षी दलों ने अपनी आपत्ति आयोग के सामने रख दी है। चुनाव से ठीक 3 दिन पहले बजट पेश होने देना उचित नहीं है।' आजाद बोले, 31 मार्च तक कभी भी बजट पेश किया जा सकता है। सरकार को 8 मार्च को चुनाव खत्म होने के बाद बजट पेश करना चाहिए। निष्पक्ष चुनाव के लिए ये जरूरी है।'

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क्यों डर रही है विपक्ष?

इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष के इस कदम पर सवाल किया, कि यदि 'राजनीतिक दल दावा करते हैं कि नोटबंदी एक अलोकप्रिय फैसला है, तो उन्हें बजट से डर क्यों होना चाहिए।'

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राष्ट्रपति को भी लिखा पत्र

उल्लेखनीय है कि सभी राजनीतिक दलों का दावा है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में वह बेहतर प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस, वाम, सपा और बसपा सहित विभिन्न दलों ने चुनाव आयोग को और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर चुनाव से पहले बजट पेश किए जाने का विरोध किया है।

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