नई दिल्ली: देश ने सोमवार को 70वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया। उन्होंने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए सरकार के कामकाज और कार्यसंस्कृति में आए बदलाव गिनाए। डेढ़ घंटे के अपने भाषण में मोदी ने गरीबों और किसानों के लिए किए जा रहे कामों का जिक्र करने के साथ आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को करारा जवाब भी दिया।
प्रधानमंत्री का भाषण
आजादी का ये पर्व राष्ट्र को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प है। आज हम आजादी की सांस ले रहे हैं उसके पीछे महापुरुषों का त्याग और बलिदान है। जवानी में फांसी के फंदे को चूमने वालों की याद आती है। महात्मा गांधी सहित उन महापुरुषों की वजह से हमें आज ये आजादी का ये दिन देखने को मिला है। भारत का इतिहास पुराना है। वेद से विवेकानंद तक, उपनिषद से उपग्रह तक, भीम से भीमराव तक लंबी विरासत है हमारी। अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं हमने। अनेक पीढ़ियों ने मानव जाति को महामूल्य देने के लिए तपस्या की है।
स्वराज्य को सुराज में बदलना है
स्वराज्य को सुराज में बदलना सवा सौ करोड़ देशवासियों का संकल्प है। इसे आगे बढ़ाने के लिए अपनी-अपनी जिम्मेदारियों की ओर बढ़ना होगा। पंचायत हो या पार्लियामेंट हो। ग्राम प्रधान हो या प्रधानमंत्री, हर किसी को सुराज के लिए अपनी जिम्मेदारी को निभाना होगा। ये बात सही है कि देश के सामने समस्याएं अनेक हैं। लेकिन हम ये ना भूलें कि अगर समस्याएं हैं तो देश के पास इनसे निपटने का सामर्थ्य भी है।
लाखों समस्याएं तो करोड़ों समाधान
मोदी ने कहा कि भारत के पास यदि लाखों समस्याएं हैं तो सवा सौ करोड़ मस्तिष्क भी हैं जो समाधान खोज सकते हैं। एक समय ऐसा भी था कि हमारे यहां सरकारें आक्षेपों से घिरी रहती थीं, लेकिन अब सरकार अपेक्षाओं से घिरी है। ये इस बात का संकेत है कि जब आशा हो तो उसी की कोख से अपेक्षाएं जन्म लेती हैं और अपेक्षाएं सुराज की ओर ले जाती हैं।
कार्य नहीं कार्यसंस्कृति की बात
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब मैं लाल किले की प्राचीर से बात कर रहा हूं तो सरकार के कामकाज की चर्चा स्वभाविक है। मैं भी लंबा हिसाब-किताब रख सकता हूं। दो साल के कार्यकाल में अनगिनत काम किए हैं, लेकिन उसका ब्योरा देने लगूंगा तो सप्ताह भर लाल किले से बोलना पड़ेगा, लेकिन मैं सरकार की कार्य के प्रति नहीं कार्यसंस्कृति के प्रति आपका ध्यान खींचना चाहता हूं।
काम का तरीका बदल रहे हैं
आज मैं सिर्फ नीति नहीं, नीयत और निर्णय की बात कर रहा हूं। सिर्फ दिशा दृष्टिकोण की बात है। ये मति भी है, सहमति भी है। सुराज पर बल देना होता है। हर किसी के दायित्व को टटोलते रहना पड़ता है। जवाबदेही और जिम्मेदारी उसकी जड़ में होनी चाहिए। शासन संवेदनशील होना चाहिए। हमें याद है कि वो भी दिन थे, जब किसी बड़े अस्पताल में जाना हो तो कितने दिन इंतजार करना पड़ता था। एम्स में तीन-चार दिन रहने के बाद जांच होती थी। हम उसे बदल पाए हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है। ऑनलाइन ही अप्वाइंटमेंट हो जाता है। आज सरकार के 40 से बड़े अस्पतालों में ये व्यवस्था है।
-शासन उत्तरदायी होना चाहिए। आम लोग रेल से सफर करते हैं। पहले एक मिनट में सिर्फ दो हजार टिकट निकल पाते थे। आज मुझे संतोष के साथ कहना है कि एक मिनट में 15 हजार रेल टिकट मिलना संभव हो गया है।
-देश में मध्यम वर्ग है वो पुलिस से ज्यादा इनकम टैक्स वालों से परेशान रहता है। मैं ये स्थिति बदल कर रहूंगा। एक समय था जब सामान्य ईमानदार नागरिक अपना टैक्स दो रुपए ज्यादा ही दे देता था, लेकिन रिफंड लेने के लिए उसे चने चबाना पड़ता था। हमने ऑनलाइन रिफंड देना शुरू किया। दो से तीन सप्ताह में पैसा मिल जाता है।
-पहले साल में 40-50 लाख पासपोर्ट के लिए आवदेन आते थे, आज दो करोड़ से ज्यादा आते हैं। पहले छह महीने लग जाते थे आज सप्ताह में काम हो जाता है।
-पहले किसी कंपनी को कारखाना खोलने के लिए रजिस्ट्रेशन में छह महीने लग जाते थे लेकिन आज 24 घंटे के अंदर हो जाता है।
अटल जी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चलाई। पहले 60-70 किलोमीटर प्रति दिन सड़क बनती थी इसे हम 100 किलोमीटर तक ले गए हैं।
-रिन्यूएबल एनर्जी में हमने 40 फीसदी बढ़ोतरी की है। सोलर एनर्जी में 116 फीसदी बढ़ोतरी की है। ट्रांसमिशन लाइन बिछाने में गति दी। दो साल में 3500 किलोमीटर का रेल लाइन हमने बिछाया है।
-आधार कार्ड के जरिए हम सब्सिडी लोगों के खाते में डाल रहे हैं। 70 करोड़ नागरिकों को आधार से जोड़ दिया है। देश आजाद होने के 60 साल बाद भी सिर्फ 14 करोड़ लोगों को रसोई गैस कनेक्शन मिला था। हमने 60 सप्ताह में चार करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन दिया।
-हमने कानूनों के जंजाल को भी साफ करने का काम शुरू किया है। कानून का बोझ उलझनें पैदा करते हैं। हमने सैकड़ों कानून खत्म कर दिए हैं।
-प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत 21 करोड़ परिवारों को बैंकों से जोड़कर असंभव को संभव बनाया।
-अाज दो करोड़ से ज्यादा शौचालय बन चुके हैं। 70 हजार गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।
-मैंने एक साल पहले कहा था कि एक हजार दिन में 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाएंगे। आज आधे समय में ही 10 हजार गांव में बिजली पहुंचा दी है।
दिल्ली से तीन घंटे दूर बिजली को पहुंचने में लगे 70 साल
-दिल्ली से तीन घंटे की दूरी पर हाथरस इलाके में एक गांव नगला फतेला है। लेकिन यहां बिजली को पहुंचने में 70 साल लग गए।
-देश में एलईडी बल्ब 350 रुपए में मिलता था। ये बल्ब हम सिर्फ 50 रुपए में बांट रहे हैं। 13 करोड़ बल्ब अब तक बांटे गए हैं। 70 करोड़ एलईडी बल्ब लगने से सालाना सवा लाख करोड़ रुपए और 20 हजार मेगावाट बिजली की बचत होगी।
महंगाई को नहीं बढ़ने देंगे
महंगाई आम आदमी से जुड़ी हुई बात है। ये बात सही है कि पहले की सरकार में इन्फ्लेशन रेट 10 फीसदी था। लेकिन हमने इसे 6 फीसदी से अधिक नहीं होने दिया। हमने रिजर्व बैंक से कहा है कि चार पर्सेंंट पर इसे फिक्स रखा जाए। दो फीसदी प्लस या माइनस हो सकता है। दो साल के अकाल के कारण दाल के उत्पादन में कमी आई। पहले की रफ्तार से यदि महंगाई बढ़ी होती तो पता नहीं क्या होता। हमने इसे रोकने की कोशिश की है। हम से अपेक्षाएं अधिक हैं। मैं और कोशिश करूंगा, गरीब की थाली महंगी नहीं होने दूंगा।
खेती-किसानी
-हमने जमीन की सेहत के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड की योजना चलाई। किसानों ने इसके मुताबिक खेती शुरू की। इससे उनकी लागत में कमी और उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। हमने सिंचाई की व्यवस्था की है। माइक्रो इरिगेशन को बढ़ावा दे रहे हैं। किसान को बिजली की जरूरत पड़ती है। इसके लिए सोलर पंप किसानों को दे रहे हैं। अब तक 77 हजार सोलर पंप बांटे हैं। अच्छे बीज बांटे जा रहे हैं। देश के वैज्ञानिकों ने 131 नए बीज तैयार किए हैं।
-हमारे देश में सरकारों ने अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत काम किया। देश में संस्कृति रही है कि एकाध लोकलुभावन काम कर दो। मैंने खुद को इस लोभ से बचाने का पूरा प्रयास किया है। हमें सरकार की पहचान बचाने से ज्यादा देश की पहचान बनानी है। दल की पहचान नहीं देश की पहचान बने।
-आज आप देखते होंगे रेलवे में कैसा बदलाव हो रहा है। एक तरफ हम ट्रेन में बायो टॉयलेट की बात कर रहे हैं तो बुलेट ट्रेन की भी बात कर रहे हैं।
-सॉयल हेल्थ कार्ड से लेकर उपग्रह तक की बात कर रहे हैं। यदि पहली की सरकारों ने कुछ गलत काम किया है तो उसमें सुधार करें लेकिन पुरानी सरकार के कामों को भी आगे बढ़ाना चाहिए।
-साढ़े सात लाख रुपए के 118 प्रोजेक्ट लटके थे। मैंने उन कामों को पूरा करने का बीड़ा उठाया है। मैंने इसके लिए एक कमेटी बनाई है। हमने ऐसे प्रोजेक्ट चिन्हित किए हैं जिन्हें किसी सरकार ने शुरू किया था लेकिन सालों से लटके हुए हैं।
-हमने गन्ना किसानों का बकाया चुकता कराया। इस बार जो गन्ना खरीदा गया उसका 95 फीसदी भुगतान किया गया।
-उज्ज्वला योजना के तहत तीन साल में पांच करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन देना है। हमने पोस्ट ऑफिस को पेमेंट बैंक का दर्जा दिया है।
-एयर इंडिया को प्रॉफिट लाने में कामयाब रहे हैं। पहली बार बीएसएनएल को प्रॉफिट में ला पाए हैं।
-कोयले और स्पेक्ट्रम की नीलामी में कोई करप्शन नहीं हुआ। देश को फायदा मिला।
-जीएसटी पास होने के लिए मैं सभी दलों को बधाई देता हूं। इससे देश को बहुत लाभ होगा।
-बेटी-बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के लिए समाज के सहयोग की आवश्यकता है।
हिंसा को छोड़कर मुख्य धारा में लौटें
-ये देश आतंकवाद और माओवाद के सामने झुकेगा नहीं। मैं हथियार उठाने वाले युवाओं से कहता हूं हिंसा छोड़ दीजिए।
-मुख्य धारा में शामिल हो जाइए। मां-बाप के सपनों को पूरा करिए।
पाकिस्तान को करारा जवाब
मैंने शपथ लेते समय सार्क देशों के नेताओं को बुलाया था। मैंने कहा था कि हम आपस में लड़कर तबाह हो चुके हैं। आइए हम मिलकर गरीबों के खिलाफ लड़ाई लड़ें। गरीबी से आजादी मिलना सबसे बड़ी आजादी है। मैं विश्व से कहता हूं जरा तराजू से तौल कर देखिए जब पेशावर में आतंकवादियों ने बच्चों को मौत के घाट उतारा था, ये हिंदुस्तान के संसद के आंखों में आंसू थे। भारत का हर बच्चा रो रहा था। आतंकवाद से मरने वाला पेशावर का बच्चा भी हमें दुख देता है। यही हमारी मानवता है। लेकिन दूसरी तरफ देखिए आतंकवादियों का महिमामंडन किया जा रहा है। निर्दोष लोगों के मारे जाने पर जश्न किया जाता है। दुनिया ये देख ले। कुछ दिनों से पीओके के नागरिकों ने जिस तरह मुझे धन्यवाद दिया है मेरे प्रति जो सद्भावना जताई है, ये मेरे सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्मान है। बलूचिस्तान और गिलगित के लोगों का मैं तहे दिल से आभार व्यक्त करना चाहता हूं।
आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के लिए म्यूजियम
आजादी में जंगल में रहने वाले हमारे आदिवासियों का बहुत योगदान है। बिरसा मुंडा का नाम तो हम सुनते हैं लेकिन कोई ऐसा आदिवासी जिला नहीं होगा जिन्होंने आजादी के लिए जंग ना की हो। सरकार की इच्छा है कि आने वाले दिनों में उन राज्यों में इन आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को दिखाने के लिए म्यूजियम बनाया जाएगा।
गरीबों के लिए आरोग्य योजना
आम लोगों के आरोग्य की व्यवस्था करनी है। गरीबों के लिए आरोग्य योजना शुरू की जाएगी। सरकार एक लाख रुपए तक के इलाज का खर्च उठाएगी।
स्वतंत्रता सेनानियों के पेंशन में इजाफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से स्वतंत्रता सेनानियों का पेंशन बढ़ाने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों का पेंशन 25 हजार रुपए से बढ़ाकर 30 हजार रुपए प्रतिमाह किया जाएगा।