अब राहुल गांधी के निशाने पर PM, बजट सत्र में मोदी की इमेज ध्वस्त करने की बनाई रणनीति
उमाकांत लखेड़ा
नई दिल्ली: बजट सत्र में अब मात्र एक माह का वक्त बचा है। पीएम नरेंद्र मोदी को टारगेट करने के लिए राहुल गांधी दो अहम मोर्चों पर काम कर रहे हैं। एक है, विपक्षी पार्टियां जिनमें प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों के नेता भी हैं, उन्हें भरोसे में लेकर आंदोलन की तैयारी करना और दूसरा, 'मिस्टर क्लीन' की जिस छवि को लेकर 2014 के आम चुनावों में मोदी ने जनता से वोट मांगे थे, उस छवि को जमींदोज करना।
पिछले दो सप्ताह के घटनाक्रम बता रहे हैं कि राहुल गांधी और कांग्रेस के दूसरे नेता जो हाल तक पीएम मोदी पर निजी आक्षेपों से बचते रहे हैं अब खुलकर उन पर निजी आरोप लगाने में नहीं चूक रहे।
बड़ा तबका मोदी को अब भी मानता है ईमानदार
राहुल गांधी को उनके सलाहकारों ने अब इस बात के लिए पूरी तरह तैयार कर लिया है कि जिस इमेज का हौवा खड़ा करके देश के लोगों ने प्रधानमंत्री बनाने के लिए उन्हें वोट दिया था। नोटबंदी के बाद कांग्रेस का फीडबैक यह भी है कि बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी लाइनों पर खड़े होने के बाद भी समाज के एक तबके में अभी भी उनकी ऐसी मजबूत छवि है कि वे अभी भी मोदी को ईमानदार नेता और उनमें कुछ नया कर गुजरने का माद्दा तलाश रहे हैं।
मोदी पर हमले तेज करने की रणनीति
माना जा रहा है कि इसलिए कांग्रेस ने तय किया है कि सबसे पहले मिस्टर क्लीन वाली मोदी की लोकप्रियता पर हमला बोला जाए। सूत्रों का कहना है कि हाल में राहुल ने पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं को यह हिदायत दे दी है कि मोदी पर आरोपों की बौछार तेज करने का वक्त आ चुका है। इस रणनीति के तहत देशभर में मोदी के बारे में निचले स्तर तक उनकी असलियत को उजागर करने में कांग्रेस की पूरी ताकत लग चुकी है। युवा कांग्रेस के साथ कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई को मोदी के खिलाफ आक्रामक रणनीति की धार तेज करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
कांग्रेस पुराना हिसाब चुकता करने के मूड में
कांग्रेस की दूसरी रणनीति बजट सत्र को लेकर बन रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी यह कैसे भूल सकती है कि जब बीजेपी विपक्ष में थी तो किस तरह तब पीएम रहे डॉ. मनमोहन सिंह को संसद के भीतर और बाहर अपमानित करते थे। साथ ही सोनिया-राहुल और नेहरु गांधी परिवार को कठघरे में खड़ा करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते थे। इसलिए कांग्रेस की असली रणनीति यही है कि मोदी को उन्हीं के हथियार से घेरा जाए, जिस हथियार के बल पर वे ढाई साल पहले कांग्रेस को हटाकर सत्ता में आए थे।