सिद्धगंगा मठ के शिवकुमार स्वामी का 111 साल की उम्र में निधन, कौन हैं लिंगायत
सिद्धगंगा मठ के प्रमुख शिवकुमार स्वामी ने 11:44 बजे अंतिम सांसें लीं। लिंगायत-वीरशैव समुदाय के स्वामी 111 साल के थे। अंतिम संस्कार 22 जनवरी को दोपहर 4:30 बजे होगा। इस बीच राज्य सरकार ने उनके निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। मंगलवार को सभी स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों का अवकाश रहेगा।
बेंगलुरु : सिद्धगंगा मठ के प्रमुख शिवकुमार स्वामी ने 11:44 बजे अंतिम सांसें लीं। लिंगायत-वीरशैव समुदाय के स्वामी 111 साल के थे। अंतिम संस्कार 22 जनवरी को दोपहर 4:30 बजे होगा। इस बीच राज्य सरकार ने उनके निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है। मंगलवार को सभी स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों का अवकाश रहेगा। सीएम कुमारस्वामी, पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा, एमबी पाटिल, केजे जॉर्ज, केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा उनके अंतिम दर्शन करने पहुंचे।
आपको बता दें, स्वामी का 8 दिसंबर को एक ऑपरेशन हुआ था जिसके बाद उन्हें फेफड़ों में इन्फेक्शन हो गया था। तब से वह बीमार रहने लगे थे। उनका ऑपरेशन बाइल और लिवर में हुए इन्फेक्शन के लिए किया गया था। राज्य सरकार ने उनके निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया है।
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जानिए लिंगायत समुदाय के बारे में
– भक्ति काल के दौरान 12वीं सदी में समाज सुधारक बासवन्ना ने हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था
– उन्होंने वेदों को खारिज कर दिया और मूर्तिपूजा की मुखालफत की।
– उन्होंने शिव के उपासकों को एकजुट कर वीरशैव संप्रदाय की स्थापना की।
– आम मान्यता ये है कि वीरशैव और लिंगायत एक ही होते हैं। लेकिन लिंगायत लोग ऐसा नहीं मानते।
– उनके मुताबिक वीरशैव लोगों का अस्तित्व समाज सुधारक बासवन्ना के उदय से भी पहले से था।
– वीरशैव भगवान शिव की पूजा करते हैं। वैसे हिंदू धर्म की जिन बुराइयों के खिलाफ लिंगायत की स्थापना हुई थी आज वैसी ही बुराइयां खुद लिंगायत समुदाय में भी पनप गई।
– राज्य की कुल आबादी में 18 फीसदी के हिस्सेदार लिंगायत समुदाय के लोग यहां की अगड़ी जाति में आते हैं।
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