नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के पूर्व अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया ने बुधवार (10 मई) को कहा, कि 'एक समय में मुसलमानों ने इस बात पर सहमति जताई थी कि अगर यह साबित हो जाता है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, तो वे संपत्ति पर अपना दावा वापस ले लेंगे।'
विष्णु हरि डालमिया ने कहा, कि 'मुसलमानों की इस प्रतिबद्धता का उल्लेख तत्कालीन सरकार द्वारा जारी श्वेत-पत्र में भी है। तो क्या, उनके साथ ताजा वार्ता करने की अब जरूरत नहीं है?'
मुसलमानों के साथ अब विमर्श की जरूरत नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के एक फैसले का हवाला देते हुए डालमिया ने कहा, कि पूरी जांच-पड़ताल के बाद कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि बाबरी मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर था, जिसे ध्वस्त किया गया था। उन्होंने कहा कि इस फैसले के मद्देनजर 'अब मुसलमानों के साथ विचार-विमर्श करने की जरूरत नहीं है।'
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अब सब सरकार पर निर्भर
विहिप नेता ने कहा, 'अब यह केवल सरकार पर निर्भर है कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के अनुसार कार्रवाई करे। इसमें कहा गया है कि अगर यह साबित हो जाता है कि बाबरी मस्जिद की जगह पहले मंदिर था और उसे ध्वस्त किया गया था, तो वे राम मंदिर के निर्माण के लिए हिंदुओं का समर्थन करेंगे। अगर यह साबित नहीं होती है कि वहां पहले मंदिर था, तो वह उसी जगह पर मस्जिद का निर्माण करने के लिए मुसलमानों का पक्ष लेंगे।'
SC को HC की गलती ठीक करनी है
डालमिया ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट की केवल उस गलती को ठीक करनी है, जिसमें उसने भूमि को तीन भागों में बांटकर तीन पक्षों को दे दिया था। इसलिए अब केवल सरकार को उस हलफनामे के आधार पर कार्रवाई करनी है, जिसे मुसलमानों ने दाखिल किया था।' उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि यह तब हुआ था, जब कांग्रेस सत्ता में थी, इसलिए अगर सरकार आगे कदम बढ़ाती है, तो मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस भी इस पर आपत्ति नहीं जता सकती।