Harakh Chand Nahata : कौन हैं हरख चंद नाहटा? जिनकी स्मृति में जारी होगा 25 रुपए का स्मारक सिक्का
Harakh Chand Nahata : सन् 1936 में बीकानेर के एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे हरखचंद नाहटा एक सामाजिक नेता और परोपकारी उद्यमी थे।
Harakh Chand Nahata : केंद्र सरकार ने प्रख्यात समाजसेवी उद्यमी, परोपकारी एवं जैन समाज के शीर्ष नेता एवं भामाशाह हरखचंद नाहटा की स्मृति में उनके 25वें स्मरणोत्सव पर 25 रुपए का स्मारक सिक्का जारी करने का निर्णय लिया है। बसंत पंचमी के दिन 2 फरवरी 2025 को बीकानेर में इस 25 रुपए के स्मारक सिक्के का भव्य रूप में समारोहपूर्वक अनावरण होगा। हालांकि 25 रुपए का यह स्मारक सिक्का प्रचलन में नहीं आएगा, अनावरण के बाद भारत सरकार की मुम्बई टकसाल इस सिक्के को बिक्री करेगी।
कैसा होगा सिक्का?
इस सिक्के को जारी करवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध मुद्रा विशेषज्ञ बीकानेर के सुधीर लुणावत के अनुसार, भारत सरकार की मुंबई टकसाल द्वारा बनाए गए इस 25 रुपए के सिक्के का कुल वजन 40 ग्राम होगा, जो शुद्ध चांदी का बना होगा। सिक्के की कुल गोलाई 44 मिलीमीटर होगी। सिक्के के अग्र भाग पर हरखचंद नाहटा के चित्र के ऊपरी परिधि पर हिंदी तथा निचली परिधि पर अंग्रेजी में ‘श्री हरखचंद नाहटा का 25वां स्मरणोत्सव’ लिखा होगा। चित्र के दाएं और बाएं उनके जीवनकाल को दर्शाने के लिए क्रमशः 1936-1999 लिखा होगा तथा चित्र के नीचे 25वें स्मरणोत्स का वर्ष 2024 अंकित होगा। वहीं, सिक्के के दूसरी तरफ अशोक स्तंभ के प्रतीक चिन्ह के साथ मूल्यवर्ग 25 लिखा होगा, जिसके दाएं और बाएं हिंदी तथा अंग्रेजी में भारत लिखा होगा।
इस सिक्के की कीमत क्या है?
बता दें कि स्मरणोत्सव पर जारी होने वाले सिक्के का अंकित मूल्य उस प्रसंग के अनुरूप रखा जाता है, जबकि उसका वितरण अलग कीमत पर किया जाता है। यह सिक्का भी 25वीं पुण्यतिथि पर जारी किया जा रहा है इसलिए इस पर अंकित कीमत 25 रुपए है, जबकि 99.9 प्रतिशत चांदी से बनने वाले इस सिक्के की अनुमानित कीमत करीब 6000 रुपये होगी।
कौन हैं हरखचंद नाहटा?
सन् 1936 में बीकानेर के एक प्रतिष्ठित परिवार में जन्मे हरखचंद नाहटा एक सामाजिक नेता और परोपकारी उद्यमी थे। जीवनभर देशभर की अनगिनत शीर्ष सामाजिक और धार्मिक संस्थानों के कार्यों में सक्रिय रूप से सम्मिलित होकर सामाजिक कल्याण, धर्म, कला-संस्कृति और जीवदया के प्रचार-प्रसार में व सार्वजनिक सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अपने पैतृक व्यावसायिक क्षेत्रों में विविधता लायी और आदिवासियों के जीवन की विकट चुनौतियों का समाधान करने और आर्थिक विकास को गति देने के लिए पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा के धर्मनगर शहर से अगरतल्ला तक सड़क बनाने जैसी भागीरथी पहल की। उन्होंने प्रारंभ में कोलकाता, त्रिपुरा एवं असम को अपनी कर्मभूमि बनाया और सन् 1971 में दिल्ली आ गए।
कला को किया था पुनर्जीवित
कला और संस्कृति के प्रति उनके समर्पण को तब दुनिया ने देखा जब ‘टेक्नीशियन स्टूडियो, कोलकता’ तंगी और बदहाली के कारण जब बंद होने की कगार पर था एवं उसके कर्मियों तथा तकनीशियनों के अनुरोध पर नाहटा ने इसमें कदम रखा तथा दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने कुशल प्रबंधन द्वारा इसे पुनर्जीवित किया तथा इसे एक सफल उद्यम में रूपांतरित किया। नाहटा के प्रबंधन के बाद इस स्टूडियो में कई राष्ट्र पुरस्कार विजेता फिल्मों का निर्माण हुआ। उल्लेखनीय है कि उन्होंने सिने टेक्नीशियनों और कलाकारों को बिना पैसे लिए इसमें भागीदार बनाया और उनकी कला को प्रोत्साहित किया।
डाक टिकट भी हो चुका जारी
साहित्य, कला और संस्कृति में योगदान के लिए प्रसिद्ध बीकानेर के सुप्रतिष्ठित नाहटा परिवार के पास प्राचीन पांडुलिपियो और कलाकृतियों का देश का सबसे बड़ा व भव्य निजी संग्रह है। हरखचंद नाहटा के सम्मान में उनकी 10वीं पुण्यतिथि पर भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा वर्ष 1999 में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है। बीकानेर एवं दिल्ली में एक-एक रोड का नाम हरकचंद नाहटा के नाम पर किया गया है। इसके अलावा नाहटा की तीन मूर्तियां भी लगी हुई है जो दक्षिणी दिल्ली के भाटी विलेज, बिहार के सीतामढ़ी और झारखण्ड में लगी हुई है।
जैन समाज में खुशी की लहर
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया एवं ललित कुमार नाहटा ने बताया कि विराट व्यक्तित्व के धनी हरखचंद नाहटा की स्मृति में भारत सरकार द्वारा स्मारक सिक्का जारी करने के फैसले से समूचे जैन समाज में खुशी की लहर है।