वर्ल्ड होम्योपैथी डे: होमियोपैथी फॉर डाइजेस्टिव डिसऑर्डर को थीम बनाकर लोगों को किया जाएगा जागरूक
'विश्व होम्योपैथी दिवस', होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सेमुएल हनीमैन के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित किया जाता है, जिनका जन्म साल 1755 में और निधन साल1843 में हुआ था।
लखनऊ: अक्सर लोगों को दिन में दो या तीन बार छोटी सी प्लास्टिक की डिब्बी से कुछ छोटी-छोटी दो तीन या चार गोलियां खाते देखा होगा, ये होम्योपैथी के इलाज में दी जाने वाली दवाएं होती है। होम्योपैथी एक चिकित्सा पद्धति है जो औषधियों और उनके अनुप्रयोग पर आधारित है।
ये भी देखें:पाक : 2200 सिख तीर्थ यात्रियों को दिया वीजा
'विश्व होम्योपैथी दिवस', होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सेमुएल हनीमैन के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित किया जाता है, जिनका जन्म साल 1755 में और निधन साल1843 में हुआ था। होम्योपैथी को सभी आयु वर्ग के लोगों को होने वाले विभिन्न रोगों जैसे एलर्जी, अस्थमा, बालों के झड़ने, माइग्रेन, चिंता और अवसाद, सोरायसिस, पीसीओएस, सफेद दाग आदि के लिए सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।
वर्ल्ड होम्योपैथी डे को एक हफ्ते तक जागरूकता अभियान के रूप में मनाया जाता है। इस पूरे हफ्ते विश्व में वर्ल्ड होम्योपैथी डे की थीम के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है, हफ्ते भर इसके बारे में कई सेमिनार और शिक्षा से संबंधित कार्यक्रम रखे जाते हैं। जिसमें लोगों को थीम का मतलब और उसके फायदे नुकसान बताए जाते हैं।
अलग थीम, पर मकसद सिर्फ एक
वर्ल्ड होम्योपैथी अवेयरनेस वीक की शुरुआत साल 2004 में गैबरिल्ले ट्रौब ने की थी जिसका मकसद सिर्फ एक था कि पूरे विश्व में किस तरह से होमियोपैथी के जरिये बीमारियों का इलाज होपाये। इसी को मद्देनजर रखते हुए गैबरिल्ले ने 2006 से हर बीमारियों को थीम बनाकर उसके बारे में लोगों को जागरूक करने का काम किया है।
साल 2006 से लेकर 2018 तक की थीम कुछ अलग ही बयां करती हैं,
2006: होम्योपैथी फॉर चिल्ड्रेन
2007: होम्योपैथी फॉर वुमेन्स हेल्थ
2008: होम्योपैथी फॉर स्पोर्ट्स मेडीसिन
2009: होम्योपैथी एंड एल्लेर्जीस
2010: होम्योपैथी फॉर मेंटल वेल बीइंग
2011: होम्योपैथी एंड द मुस्कुलोस्केलेटल सिस्टम
2012: होम्योपैथी फॉर इंफर्टिलिटी
2013: होम्योपैथी फॉर ट्रामाएंड डिजास्टर
2014: होम्योपैथी फॉर मेंस हेल्थ
2015: होम्योपैथी फॉर इनफेकटिअस डिजीज
2016: होम्योपैथी फॉर प्रीवेनटेटिव
2017: होम्योपैथी फॉर एल्डर्ली
2018: होम्योपैथी फॉर प्रेगनेन्सी एंड चाइल्डबर्थ
होम्योपैथी दवाएं लेने से पहले\या लेते वक़्त, रखें ये ख्याल
-दवाएं कभी खुली जगह पर ना रखें
-कभी हाथ में लेकर नहीं खाना चाहिए
-‘हाफ एन आवर’ नियम को अपनाना चाहिए
-लहसुन, अदरक और प्याज से परहेज करें
-एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाओं के साथ कभी इसका सेवन ना करें
-खट्टी चीजों से दूरी बना कर रखना चाहिए
होम्योपैथी में है इन बीमारियों का इलाज
होम्योपैथी लगभग सारी बीमारियों को जड़ से खत्म करने की ताकत रखती है, जिसमें एसिडिटी, बुखार, सिरदर्द, जुकाम, कब्ज के साथ महिलाओं से संबन्धित बीमारियां मेनोरेजिया, स्केंटी मेन्स्ट्रूएशन,डिसमेनोरिया, अनियमितिता, मेनोपॉज और ल्यूकेरिया जैसी बीमारियों को भी खत्म कर देती है।
ये भी देखें:लालू यादव की जमानत याचिका पर SC में सुनवाई
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी दवा प्रणाली, होम्योपैथी, 86 देशों में प्रचलित है और दुनिया भर में 20 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा इसका सेवन किया जाता है। भारत में10 करोड़ से अधिक लोग होम्योपैथी पर निर्भर हैं।