अलविदा मार्शल: 'वायुसेना' के जांबाज हीरो की अंतिम विदाई
इंडियन एयरफोर्स के मार्शल अर्जन सिंह की सोमवार (18 सितंबर) को दिल्ली में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदीई की गई। उनका निधन 16 सितंबर की
नई दिल्ली: इंडियन एयरफोर्स के मार्शल अर्जन सिंह की सोमवार (18 सितंबर) को दिल्ली में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई की गई। उनका निधन 16 सितंबर की शाम दिल का दौरा पड़ने के चलते हुआ। अर्जन सिंह एयर फाॅर्स में फाइव स्टार रैंकिंग वाले इकलौते अधिकारी थे।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने श्रद्धांजलि दी। उनके साथ रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी नम आँखों से उनको श्रद्धांजलि दी।
ऐसे थे देश के इकलौते मार्शल, मरते-मरते PM को देना चाहते थे सलामी!
कौन थे अर्जन सिंह?
– अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को फैसलाबाद, पाकिस्तान में हुआ था।
– 1938 को 19 साल की उम्र में उनका चयन पायलट ट्रेनिंग के लिए हुआ।– 1944 में उन्हें स्क्वॉड्रन लीडर बनाया गया। उन्होंने अराकान कैंपेन के दौरान जपानियों के खिलाफ टीम का नेतृत्व किया।
पाकिस्तान ने 1965 में ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया। इस जंग का नेतृत्व सिंह ने बड़े ही साहस और प्रतिबद्धता के साथ किया था।लड़ाकू पायलट रहे सिंह ने 1965 की लड़ाई में बाधाओं के बावजूद हवाई युद्ध शक्ति का पूर्ण इस्तेमाल कर भारतीय वायुसेना को प्रेरित किया।
2002 में बने इकलौते मार्शल
– अर्जन सिंह को 2002 में एयरफोर्स का पहला और इकलौता मार्शल बनाया गया।
– वे एयरफोर्स के पहले फाइव स्टार रैंक अधिकारी बने। 1965 की जंग में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।
उन्होंने भारतीय वायुसेना को सशक्त बनाने में अहम भूमिका अदा की और उसे विश्व की चौथी बड़ी वायुसेना बनाया।
– 27 जुलाई, 2015 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के निधन के बाद अंतिम दर्शन के लिए राष्ट्रपति और पीएम समेत कई नेता पहुंचे थे। अर्जन सिंह व्हीलचेयर पर उन्हें दर्शन करने पहुंचे थे। कलाम को देखते ही खुद चलकर पास आए और तनकर सलामी भी दी थी।