नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब देते हुए राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी पर जोरदार हमला बोला। प्रधानमंत्री ने अफसोस जताते हुए कहा कि राहुल गांधी के राफेल वाले बयान पर दो बड़े देशो को खंडन करने की नौबत आना दुखद है। संसद में ऐसी बचकानी बात नहीं होनी चाहिए जिस पर दो जिम्मेदार सरकारों को खंडन करना पड़े। यह समझौता किसी के बीच नहीं बल्कि दो जिम्मेदार राष्ट्रों के बीच हुआ है। मोदी ने एक तरफ राहुल के एक-एक प्रश्न का जवाब दिया वहीं सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी को कठघरे में खड़ा किया।
बचकाना हरकत कब तक करते रहेंगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां राफेल डील पर बात हुई। क्या सत्य को इस तरह कुचला जा सकता है? बार-बार चीख-चीखकर गुमराह करने का काम? ये देश कभी माफ नहीं करेगा। मोदी ने कहा कि दुखद है कि इस सदन में लगाए गए आरोप है कि दोेनों देश को बयान जारी करना पड़ा और खंडन करना पड़ा। ऐसी बचकाना हरकत हम करते रहेंगे क्या? कुछ जिम्मेदारी है या नहीं? बिना सबूत के चिल्लाते रहोगे? मोदी ने कहा कि हर बार जनता ने आपको जवाब दिया। सुधरने का मौका दिया है, सुधरने की कोशिश कीजिए। ये समझौता दो देशों के बीच हुआ है। ये दो व्यापारियों के बीच नहीं हुआ है। पूरी पारदर्शिता के साथ हुआ है। उन्होंने सीधे पूछा -क्या हर जगह बचकाना हरकत करते रहोगे।
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सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक बोलने पर लताड़
सर्जिकल स्ट्राइक को जुमला स्ट्राइक कहने पर प्रधानमंत्री ने बहुत लताड़ लगायी। उन्होंने कहा कि ‘नामदार से मैं प्रार्थना ही कर सकता हूं। देश के सेनाध्यक्ष के लिए भी खराब भाषा का प्रयोग किया गया। जो देश के लिए मर मिटने के लिए निकले हैं, उस सेना के जवानों के पराक्रम को स्वीकारने का आपमें सामर्थ्य नहीं होगा। सर्जिकल स्ट्राइक को आप जुमला स्ट्राइक बोलें, ये मंजूर नहीं होगा। आपको गाली देनी है तो मोदी को दीजिए। देश के लिए मर-मिटने वाले जवानों के लिए ऐसा मत कहिए।’’
अविश्वास करना और अफवाह फैलाना कांग्रेस की फितरत
प्रधानमंत्री ने कहा कि अविश्वास करना और अफवाह फैलाना कांग्रेस की फितरत है। सोनिया गाँधी की तरफ इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये बयान दिया गया कि कौन कहता है कि हमारे पास नंबर नहीं है। ये अहंकार नहीं है? मैं इस सदन को 1999 याद दिलाना चाहता हूं। ये दावा किया गया था कि हमारे साथ 272 की संख्या है। अटलजी की सरकार को एक वोट से गिरा दिया। लेकिन, 272 सीटों का दावा खोखला निकला और देश को चुनाव में जाना पड़ा। 1979 में किसान नेता चौधरी चरण सिंह को पहले समर्थन का बल दिया, फिर वापस ले लिया। कांग्रेस ने कैसे दो-दो बार विश्वास को खरीदने का काम किया। वोट के बदले नोट का खेल कौन नहीं जानता।’’
हम तो कामदार हैं, नामदार नहीं
राहुल गाँधी ने अपने भाषण में कहा था कि मोदी उनकी आँख में आँख दाल कर बात नहीं कर सकते। मोदी ने इसका बहुत कडा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यहां कहा गया कि प्रधानमंत्री अपनी आंख मेरी आंख में नहीं डाल सकते। सही है। हम कौन होते हैं, जो आपकी आंख में आंख डाल सकते हैं। आप तो नामदार हैं। हम कामदार हैं। हम तो गरीब परिवार के बेटे हैं। इतिहास गवाह है सुभाष चंद्र बोस ने कभी आंख में आंख डालने की कोशिश की तो क्या किया गया। मोरारजी देसाई, जयप्रकाश नारायण, चौधरी चरण सिंह, सरदार वल्लभभाई पटेल, चंद्रशेखरजी, प्रणब मुखर्जी ने आंख में आंख डालने की कोशिश की, क्या किया गया? इतना ही नहीं, हमारे शरद पवारजी ने आंख में आंख डालने की कोशिश तो क्या किया था? मैं सारा कच्चा-चिट्ठा खोलकर रख सकता हूं।प्रधानमंत्री ने कहा कि आंखों की बात करने वालों की आंखों की हरकतों को आज देश ने पूरे टीवी पर देख लिया। कैसे आंख खोली जा रही है, कैसे बंद की जा रही है? सत्य को आज बार-बार कुचला गया। यहां कहा गया कि कांग्रेस ही जीएसटी को लाई। मोदी ने कहा कि अपने परिवार के इतिहास के बाहर भी तो कांग्रेस और उसकी सरकारों का इतिहास है। जब यूपीए सरकार थी, तब पेट्रोलियम को बाहर रखने का निर्णय आपने किया था।
चौकीदार भी हैं, भागीदार भी हैं, लेकिन न हम सौदागर हैं, न ठेकेदार
राहुल गांधी के चौकीदार नहीं, भागीदार वाले जुमले पर मोदी ने कहा कि मैं गर्व से कहना चाहता हूं हम चौकीदार भी हैं, भागीदार भी हैं, लेकिन न हम सौदागर हैं, न ठेकेदार हैं। हम देश के किसानों, गरीबों की पीड़ा के भागीदार हैं। हम देश के सपनों के भागीदार हैं। हम भागीदार हैं और भागीदार रहेंगे। कांग्रेस का एक ही मंत्र है। या तो हम रहेंगे, नहीं रहे तो देश में अफवाहों का साम्राज्य रहेगा। अफवाहें उड़ाई जाती हैं। टेक्नोलॉजी भी अवेलेबल है। ये लोग इमोशनल ब्लैकमेल करके राजनीति करते हैं। उसी का कारण है देश का तबका सशक्तिकरण से वंचित रहा।
हम तो डूबे हैं सनम, तुमको भी ले डूबेंगे
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस जमीन से कट चुकी है। वो तो डूबे हैं। हम तो डूबे हैं सनम, तुमको भी ले डूबेंगे। यही उनके साथियों का हाल होगा। चिदंबरम की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए मोदी ने कहा - अपने आप को बहुत बड़ा विद्वान मानने वाले एक व्यक्ति ने यह बात कही थी कि कांग्रेस पार्टी अलग-अलग राज्यों में क्यों और कैसे कमजोर हो गई, मैं एक ऐसे राज्य से आता हूं, जहां इस पार्टी का प्रभुत्व समाप्त हो गया है। क्यों? कांग्रेस इस बात को समझ नहीं पाई कि सत्ता अब उच्च वर्ग, साधन संपन्न वर्ग से निकलकर गांव-देहात के लोगों और सोशल ऑर्डर में सबसे नीचे मौजूद, जिनके पास आमदनी नहीं, जिनकी आवाज सुनी नहीं गई, उन तक पहुंची है। जैसे-जैसे पावर नीचे की तरफ चलती गई, वैसे-वैसे अनेक राज्यों में कांग्रेस का प्रभाव खत्म हो गया। ये कोट 1997 का है। ये अर्थ और अनर्थ में उलझे आपके श्रीमान चिदंबरमजी का वाक्य है। कुछ विद्वानों को शायद यह बात समझ नहीं आई होगी।
मुसीबतें छोड़ना कांग्रेस की पुरानी आदत
मोदी ने कहा, ‘‘जब आंध्र और तेलंगाना का विभाजन हुआ था, तब मैंने कहा था कि तेलुगू हमारी मां है, उसे टूटने नहीं देना चाहिए। लेकिन मां को छोड़कर बच्चे को बचा लिया गया। 2014 में आप ये मुसीबत छोड़कर गए थे। आपने भारत-पाकिस्तान का विभाजन किया, आज तक मुसीबतें झेल रहे हैं। ये आपकी आदत है। आपने कुछ नहीं सोचा। मुझे बराबर याद है कि चंद्रबाबू नायडू और केसी राव का कुछ पहले साल बंटवारे को लेकर झगड़ा होता था। उस समय तेदेपा की पूरी ताकत तेलंगाना में लगी रही। टीआरएस ने परिपक्वता दिखाई। संसाधनों का विवाद आज भी चल रहा है।
कांग्रेस को खुद पर अविश्वास
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को खुद पर अविश्वास है। ये अविश्वास पर घिरे हुए हैं। उनकी ऐसी कार्यशैली उनके सांस्कृतिक जीवन का इतिहास है। स्वच्छ भारत में विश्वास नहीं। अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर भी विश्वास नहीं। देश के मुख्य न्यायाधीश, रिजर्व बैंक, अर्थव्यवस्था के आंकड़े देने वाली संस्था, देश के पासपोर्ट की बढ़ती ताकत पर भी उन्हें विश्वास नहीं। चुनाव आयोग, ईवीएम पर विश्वास नहीं। ये अविश्वास क्यों बढ़ गया? जब कुछ मुट्ठीभर लोग अपना ही विशेष अधिकार मानते थे, जब वह जनाधिकार में परिवर्तित हुआ तो बुखार चढ़ने लगा।
भगवन शिव 2024 में फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने की शक्ति दें
राहुल पर मोदी ने जमकर वार किया और उनके द्वारा उठाये गए एक एक प्रश्न को बहुत ही सलीके से उत्तेर में तब्दील कर दिया। उन्होंने कहा कि आजकल शिव भक्ति की बात हो रही है। मैं भी भगवान शिव से प्रार्थना करता हूं। आपको इतनी शक्ति दें कि 2024 में फिर से आप अविश्वास प्रस्ताव ले आएं। मेरी आपको शुभकामनाएं हैं।
जिसकी जानकारी न हो उस बात को बोलने से बात उल्टी पड़ जाती है
राहुल द्वारा डोकलाम पर उठाये गए सवाल पर भी मोदी ने खूब चुटकी ली। प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां पर डोकलाम की चर्चा हुई। मैं मानता हूं कि जिस विषय की जानकारी नहीं है। कभी-कभी उस पर बोलने से बात उल्टी पड़ जाती है। उससे व्यक्ति का नुकसान कम, देश का नुकसान ज्यादा होता है। हमें घटनाक्रम याद रहना चाहिए। जब सारा देश, सारा तंत्र एकजुट होकर डोकलाम के विषय पर अपनी-अपनी जिम्मेदारी संभाल रहा था, तब वे चीन के राजदूत के साथ बैठते हैं और बाद में कभी ना तो कभी हां। जैसे नाटकीय ढंग से चल रहा था। कोई कहता था मिले, कोई कहता था नहीं मिले। कांग्रेस प्रवक्ता ने तो पहले साफ मना किया कि उनके नेता चीनी राजदूत से नहीं मिले। लेकिन, एक प्रेस विज्ञप्ति आ गई। फिर कांग्रेस बोलने को मजबूर हो गई कि हां मुलाकात हुई थी।