मंदसौर: किसान नेताओं सहित 450 गिरफ्तार, रिहा, जारी रहेगी किसान मुक्ति यात्रा
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में पुलिस कार्रवाई में मारे गए छह किसानों की मौत के बाद पुलिस ने 'किसान मुक्ति यात्रा' को रोककर कई लोगों को अरेस्ट किया।
मंदसौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में हाल ही में हुई पुलिस की कार्रवाई में छह किसानों की मौत के मुद्दे को लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की अगुवाई में गुरुवार को यहां से शुरू हुई 'किसान मुक्ति यात्रा' को पुलिस ने आगे बढ़ने से रोक दिया और प्रमुख नेताओं सहित लगभग 450 लोगों को गिरफ्तारी किया, बाद में छोड़ दिया। किसानों ने अपनी यात्रा जारी रखने का ऐलान किया है। यह यात्रा दिल्ली तक जानी है।
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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने बताया कि यह यात्रा बूढ़ा गांव से शुरू हुई थी, जिसमें भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वी.एम. सिंह, हन्नान मौल्ला, सुभाषिणी अली के अलावा स्वराज इंडिया प्रमुख योगेंद्र यादव, नर्मदा आंदोलन की मेधा पाटकर, स्वाभिमानी श्वेतकारी संगठन के प्रतिनिधि सांसद राजू शेट्टी सहित कई नेताओं को पुलिस ने गुड़ढेली गांव में रोका और उसके बाद गिरफ्तारी शुरू कर दी। ये लोग पिपलियामंडी को जा रहे थे, जहां 6 जून को पुलिस की गोलीबारी में पांच और लाठीचार्ज में एक किसान की मौत हुई थी।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने गिरफ्तार नेताओं और कार्यकर्ताओं को दलोदा स्थित कृषि उपज मंडी में रखा है, जहां सभा की गई। निर्णय लिया गया कि यात्रा जारी रहेगी।
मेधा पाटकर और योगेंद्र यादव ने पुलिस और प्रशासन की मनमानी पर सवाल उठाए और कहा कि वे शांतिपूर्वक घटनास्थल पर पहुंचकर शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देना चाहते थे, मगर पुलिस ने बीच में ही रोक दिया।
पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह ने बताया कि किसान यात्रा निकाल रहे 450 लोगों को गिरफ्तार किया गया, क्योंकि शांति भंग होने की आशंका थी। उन्हें बाद में दलोदा मंडी ले जाकर छोड़ दिया गया।
देशभर के किसानों का कर्ज माफ करने और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर उपज का मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर देश के 100 से ज्यादा किसान संगठनों के प्रतिनिधि गुरुवार को मंदसौर पहुंचे और उन्होंने किसान मुक्ति यात्रा की शुरू की। यह यात्रा महाराष्ट्र और गुजरात होते हुए 18 जुलाई को दिल्ली पहुंचेगी, जहां मंदसौर में पुलिस कार्रवाई में शहीद हुए छह किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। यात्रा में शहीद किसानों के गांव की मिट्टी साथ ले जाई जा रही है।
इस यात्रा में किसान नेताओं से लेकर आम किसान और महिलाएं शामिल हैं। इन सभी के कंधे पर प्रतीकात्मक हल है, जिसमें एक ओर मिट्टी का कमंडल लटका हुआ है। वहीं इस यात्रा में किसानों के हाथ में हरे रंग का झंडा भी है। यात्रा में शामिल लोग उन छह किसानों की तस्वीरें भी साथ ले जा रहे हैं, जो मंदसौर में पुलिस कार्रवाई के दौरान मारे गए थे।
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किसान मुक्ति यात्रा के मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं और जगह-जगह पुलिस बल की तैनाती की गई है। पुलिस ने जब किसान नेताओं को आगे बढ़ने से रोका, तो वे धरना पर बैठ गए और अपनी बात रखी। वे जब सरकार की दमनकारी नीतियों की आलोचना कर रहे थे, उसी दौरान पुलिस ने गिरफ्तारी का दौर शुरू कर दिया और कुछ घंटों बाद रिहा कर दिया।
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राज्य के किसानों ने एक से 10 जून तक आंदोलन किया था। कर्जमाफी और फसल का उचित दाम उनकी मुख्य मांगें थीं। आंदोलन के दौरान छह जून को पुलिस की गोलीबारी में पांच किसान और उसके बाद लाठीचार्ज में पिटाई से एक किसान की मौत हुई थी। राज्य में बीते 24 दिनों में कर्ज से परेशान 42 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
--आईएएनएस