अब अमीरों पर कसेगा कोरोना का शिकंजा, सरकार करेगी ये काम
नौकरशाहों का मानना है कि अधिकांश अमीर लोगों के पास अभी भी शानदार सुविधाएं हैं। इसके अलावा धनी लोग कोरोना के इस अस्थाई झटके से उबरने के लिए अपनी पूंजी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मुंबई। कोरोना संकट और लॉकडाउन के चलते पटरी से उतरी अर्थ व्यवस्था को फिर से रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार अमीरों पर बोझ डाल सकती है। और यह बोझ थोड़ा बहुत नहीं 40 फीसदी कर के रूप में पड़ने जा रहा है। आईआरएस अधिकारियों के एक समूह ने ये सुझाव सीबीडीटी को भेज दिये हैं।
ये सुझाव कोरोना महामारी के दौरान ठप पड़ चुकी आर्थिक गतिविधियों और कोष दुरुस्त करने के लिए राजस्व जुटाने के लिए दिये गए हैं। इनमें धनी लोगों पर कर दर बढ़ाने, कोविड-19 सेस लगाने, एमएनसी पर सरचार्ज बढ़ाने जैसे उपाय सुझाए गए हैं।
इस सुझाव पत्र को आयकर विभाग के 50 अधिकारियों के एक समूह ने तैयार करके केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को दिया है।
फोर्स नामक यह पत्र कोविड-19 महामारी के वित्तीय विकल्प और जवाब के लिए तैयार किया गया है। पत्र में अमीरों पर दो वैकल्पिक तरीके के कर लगाने और दोनों करों को एक सीमित, निर्धारित अवधि तक जारी रखने का सुझाव दिया गया है।
अमीरों को ऐसे करनी होगी भरपाई
पत्र के अनुसार न्यूनतम एक करोड़ रुपये से ऊपर की कुल आय वालों पर सर्वोच्च कर स्लैब 40 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया है। दूसरे विकल्प में पांच करोड़ रुपये या इससे अधिक की संपत्ति वालों पर संपत्ति कर फिर से लगाने का विकल्प है।
पत्र में उन विदेशी कंपनियों पर भी सरचार्ज लगाने का सुझाव दिया गया है, जिनका कोई ब्रांच कार्यालय या स्थायी प्रतिष्ठान भारत में है।
अधिकारियों द्वारा सुझाए गए फार्मूले के अनुसार कोविड राहत सेस भी लगाया जा सकता है। लेकिन यह ज्यादा लोगों से वसूला जा सकता है। क्योंकि इस के दायरे में प्रत्येक करदाता आ जाएगा।
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अधिकारियों का मानना है कि अमीर लोगों की सार्वजनिक भलाई के प्रति अधिक जिम्मेदारी होती है। इसका एक कारण यह भी है कि देश की अर्थव्यवस्था में इनकी भागीदारी उच्च स्तर की होती है।
नौकरशाहों का मानना है कि अधिकांश अमीर लोगों के पास अभी भी शानदार सुविधाएं हैं। इसके अलावा धनी लोग कोरोना के इस अस्थाई झटके से उबरने के लिए अपनी पूंजी का इस्तेमाल कर सकते हैं।