उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर अदालत और अटकलों के भंवर में फंस गई है। आय से अधिक सम्प_x009e_िा रखने के मामले में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का प्रकरण देश की सबसे बड़ी अदालत में फैसले की बाट जोह रहा है तो इसी मामले में मुख्यमंत्री मायावती की जांच कर रही सीबीआई ने भी अपनी रिपोर्ट मुकम्मल कर अदालत के हवाले कर दी है। क्योंकि खुद मायावती के सलाहकारों ने अदालत से इस मामले के त्वरित खारिज करने की गुजारिश की थी। इस गुजारिश के बाद ही सर्वोच्च अदालत ने एतराज जताया कि आखिरकार यह महत्वपूर्ण फाइल पिछले कई साल से सीबीआई दफ्ïतर से अदालत तक क्यों नहीं पहुंच पा रही है? ऐसे में उप्र के राजनीतिक भविष्य की नाव अब सुप्रीमकोर्ट के उस समन्दर के हवाले है जिसमें सीबीआई की रिपोर्ट के तूफान का अंदेशा गहरा गया है। फाइलों से किसी तरह बाहर निकली सूचनाओं पर भरोसा किया जाय तो उस रिपोर्ट में मायावती के खिलाफ कुछ बेहद वजनदार आरोप बनते हैं।
इस मामले में सीबीआई तीन रिपोर्ट पहले पेश कर चुकी है। पहली 142 पन्ने की 8 अगस्त को 2००3, दूसरी 123 पन्ने की 9 सितंबर 2००3 को और तीसरी 18 अगस्त 2००4 को 2० पन्ने की। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक,‘‘ मायावती और उनके परिजनों के पास 41 फार्म हाउस, 18 भूखंड, 5 फारेस्ट प्लाट, 7 कामर्शियल भूखंड, 2 शाप कम आवासीय भवन के साथ ही 7.73 करोड़ के तीन बाग भी है। 54 बैंक एकाउंट में 7.36 करोड़ रूपये के अलावा 5.92 करोड़ 4० और बैंक एकाउंट में मिले हैं। 13. 18 करोड़ मयावती और उनके परिजनों को 13० लोगों से गिफ्ट के रूप में मिला दिखाया गया है।’’ सीबीआई ने अपनी पड़ताल में 3० दानदाताओं के हालात के आधार पर रिपोर्ट में कहा है कि इनके पास दो जून की रोटी का जुगाड़ नहीं है ऐसे में इनका दान दिया जाना कैसे माना जाए? दस्तावेजों की पड़ताल कर रहे अधिकारी उनकी तुलना फिलीपींस के पूर्व राष्टï्रपति फर्दिनांड मार्कोस की पत्नी इमेल्डा मार्कोस से करते हैं।
सीबीआई द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट से गुजरने के बाद हाथ लगे तथ्य जहां एक ओर मायावती को ताज कॉरिडोर मामले में राहत की सांस लेने का मौका देंगे। हालांकि सीबीआई ने जांच रिपोर्ट में कहा है, ‘‘न तो परियोजना की विस्तृत रिपाोर्ट बनी, न नक्शा पास गया, न एमओयू (सहमति पत्र) पर हस्ताक्षर हुए और न ही खर्च का कोई _x008e_यौरा तैयार किया गया।’’ केंद्रीय अपराध जांच प्रयोगशाला और विज्ञान प्रयोगशालाओं में की गई जांच में भी फाइलों से छेड़छाड़ करने की पुष्टिï हुई है। नतीजतन, इस प्रकरण के अफसरों पर संकट बनाये रखते हुए रिपोर्ट अगर मायावती को ताज कॉरिडोर मामले में क्लीनचिट थमा दे तो किसी के लिए हैरत में पडऩे की कोई वजह नहीं होनी चाहिए।
फिर भी सीबीआई ने आय से अधिक मामले की फाइल खासी वजनदार कर दी है। इस फाइल में दलित समाज की बहन जी के पांच शहरों के दस बंगले, उनके और परिजनों के नाम 96 भवन, भूखंड, हीरे-जवाहरात के आभूषण और कई फार्म हाउस का जिक्र है। रिपोर्ट बताती है कि 1995 से 2००3 के दौरान मायावती द्वारा दाखिल आयकर के रिटर्न में 1.11 करोड़ की सम्प_x009e_िा का जिक्र है जबकि लखनऊ के माल एवेन्यू इलाके में 49 लाख रूपये की बताई जाने वाली 189०० वर्गफिट मुख्यमंत्री मायावती, राष्टï्रीय उपाध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी के नाम की जमीन, मसूरी के होटलों-शेल्टॅान व अप्सरा की खरीद में लगाये गये 11 करोड़ रूपये जिनका हस्तांतरण पंजीकरण की जगह कंपनी एक्ट के तहत हुआ, तो हैं ही। अपने पैतृक गांव बादलपुर में पिता के नाम मकान के लिए खरीदी गई 16 बीघा जमीन, भाई आनंद कुमार के नाम का नोएडा के सेक्टर-44 का 45० वर्गमीटर का भूखंड भी सीबीआई के दस्तावेजों में दर्ज है। इन दोनों सम्प_x009e_िायों के लिए पिता प्रभुदयाल और भाई आनंद कुमार ने वर्ष 2००2 के अगस्त व अक्टूबर माह में 37 लाख रूपये का भुगतान किया था। आनंद कुमार ने नोएडा के बी-182 नम्बर के 45० वर्ग मीटर के इस प्लाट का भुगतान 11 एवं 5 लाख रूपये के दो ड्राफ्ïटों जिनका नम्बर-०58683 एवं ०91683 के मार्फत किया। ये ड्राफ्ट मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित यूनियन बैंक की शाखा से बनवाये गए थे। यह संप_x009e_िा नरसिंह रंगा पुत्र हुकुमचंद निवासी दुकान संख्या 28 गोदावरी काम्प्लेक्स सेक्टर 37 से खरीदा। इसके अलावा मायावती के बहनोई एन.पी. गौतम के नाम पर भी सेक्टर 4० और सेक्टर 56 में बड़े-बड़े भूखंड हैं। सम्प_x009e_िा से जुड़े कुल चौरासी मामलों में से 39 सीधे मायावती व उनके नजदीकी रिश्तेदारों के हैं।
अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने छापे के दौरान मिले दस्तावेजों का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘‘मायावती के घर से 7.18 करोड़ रूपये से अधिक की सम्प_x009e_िा के दस्तावेज बरामद हुए थे। उनके हुमायूं रोड स्थित आवास से साढ़े पांच लाख रूपये नकद और लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित आवास से 36 हजार रूपये, दो बैंक खाते, एक लॉकर और कई जरूरी दस्तावेज मिले थे।’’ दिल्ली स्थित मायावती के दो बैंक खातों में मिले 2.5 करोड़ रूपये से ज्यादा की धनराशि के साथ ही साथ स_x009e_ाा छोडऩे के ऐन पहले के अगस्त महीने में इन खातों से निकाले गये रूपयों को ठिकाने लगाने का भी पर्दाफाश रिपोर्ट में है। मायावती के एक खाते में करीब 87 लाख रू. और दूसरे में 1.2० करोड़ रू. से अधिक रकम जमा थी। रिपोर्ट में खाता नंबर-5988०, 1187, 584, 16०4, 1536, 59617 (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया नोएडा/ग्रेटर नोएडा ब्रांच) आदि शामिल हैं। इन सभी खातों में लगभग दो करोड़ 4० लाख रूपए जमा हैं। इसके अलावा सीबीआई ने 74 लाख रूपये के विभिन्न बैंक डिपाजिटों की बावत जिक्र किया है। इनमें छह बैंक डिपाजिट वर्ष 2००3 के तथा एक वर्ष 1998 का शामिल है। इनके नंबर 5734०2, 2००3०471, 2००3०466 और 67 आदि शामिल हैं। रिपोर्ट मायावती के 55 बैंक खातों और 82 जायदादों के बारे में भी खुलासा करती है। मायावती के परिजनों के फिक्स डिपाजिट और बैंक एकाउंट से सीबीआई के हाथ तकरीबन 3.3 करोड़ रूपये की धनराशि लगी। मायावती की मां के बैंक खाते में तीस लाख रूपये जमा मिले। सीबीआई ने मायावती और उनसे जुड़े लोगों के चौरासी खाते सीज किए।
19 अगस्त 2००3 को दिल्ली के सरदार पटेल मार्ग पर स्थित कोठी नंबर-11 बहुजन ट्रस्ट और बसपा नेता मायावती के नाम रजिस्ट्री नंबर 3641 के मार्फत सात करोड़ रूपये में खरीदी गई इस कोठी के लिए 47 लाख रूपये के स्टैम्प लगाए गए जबकि 22 लाख रूपये कारपोरेशन टैक्स के रूप में अदा किए गए। ट्रस्ट के साथ ही साथ यहीं के इंद्रपुरी इलाके के मकान नंबर ई-ए-44 को भी सीबीआई मायावती की सम्प_x009e_िायों में शुमार है। इसके अलावा दिल्ली के ही इंद्रपुरी इलाके में मायावती के भाईयों और बहन की कोठियों की भी सीबीआई ने नोटिस ली है। सीबीआई ने ग्यासपुर, बिजलीपुर, गभाना एवं मौजपुर स्थित मायावती की फार्म हाउसनुमा जायदाद की भी नोटिस ली है। इन जायदादों का परिजनों के नाम हस्तांतरण और फिर कुछ अंजान से लोगों को खड़ा कर उन्हें बेंच दिये जाने का खुलासा भी सीबीआई रिपोर्ट करती है। इसी के नाते सीबीआई ने इंद्रपुरी इलाके के मायावती के भाई-बहनों की कोठियों की भी नोटिस ली है। इसके पीछे उसका यह तर्क है, ‘‘मायावती के परिजनों में सुख-समृद्घि के आलम का दौर उनके पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही शुरू हुआ।’’ हालांकि मायावती बार-बार यह दावा करती हैं, ‘‘1989 से ही मां-बाप और परिजनों से उनका कोई रिश्ता नहीं है।’’ सीबीआई की दिक्कत यह है कि तमाम अचल सम्प_x009e_िायां बहुजन ट्रस्ट अथवा बसपा के नाम हैं। इसलिए इन्हें मायावती की सम्प_x009e_िा से अलग रखकर देखे। फिर भी सारे हिसाब-किताब के बाद नौ करोड़ रूपए के आय से अधिक का पता चला है।’’ गौरतलब है कि आयकर में बहुजन फाउंडेशन कानूनी तौर पर पंजीकृत है। इसका रिटर्न भी फाइल होता है। पर सीबीआई अपनी रिपोर्ट में मायावती के इस तर्क से सहमत नहीं दिखती है जिसमें वह दावा करती हैं कि उनके पास जो भी संप_x009e_िा है वह पार्टी फंड में मिला चंदा है। पार्टी फंड में मिला चंदा बिल्कुल अलग है।
सीबीआई के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं, ‘‘आय से अधिक संप_x009e_िा के मामले में मायावती को दोषी पाये जाने की पुष्टिï जांच अधिकारी से लेकर सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक तक ने कर दी है।’’ फिर भी पिछले साल सीबीआई के कानूनी मामलों के आला हुक्मरान और एटार्नी जनरल ने सारी संस्तुतियों को बला-ए-ताख रख मामले पर पानी डालने की कोशिश हुई। एटार्नी जनरल मिलन बैनर्जी की यह राय जिसमें कहा गया है, ‘‘अब तक इकट्ïठे किये गये सबूतों के आधार पर सीबीआई न तो भ्रष्टïाचार निरोधक कानून और न ही भारतीय दंड संहिता के तहत मायावती पर अभियोग चला सकती है।’’ एटार्नी जनरल की इस राय के बाद सीबीआई ने इस मामले में मायावती के खिलाफ मुकदमा बंद करने का निर्णय लिया है। लेकिन मामले में तब नया मोड़ आया जब अभियोजन निदेशक और सीबीआई निदेशक की राय के विपरीत जांच अधिकारी, समेत छह अफसरों ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। क्योंकि, ‘‘सीबीआई के पास मायावती के खिलाफ आय से अधिक संप_x009e_िा रखने के ठोस सबूत हैं।’’
गौरतलब है कि ताज कॉरिडोर मामले के मार्फत सीबीआई की गिरफ्ïत में आई बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ 18 जुलाई 2००3 को आरसी. नम्बर 18-ए के तहत मुकदमा दर्ज कराते हुए 12० (बी), 42०, 467, 468, 471, 472 ही नहीं, बल्कि भ्रष्टïाचार निवारण अधिनियम की 13 (1) एवं (2) धारायें आयद हुईं। इस पड़ताल में मिले सुबूतों के आधार पर उसी साल 5 अक्टूबर 2००3 को आरसी. नंबर 19-ए के तहत आय से अधिक सम्प_x009e_िा के मामले में भी अभियोग पंजीकृत हुआ। पर सवाल यह उठता है कि मिलन बनर्जी और एक सीबीआई निदेशक की राय के बाद भी ममले में निजात मिलने की जगह सीबीआई के नीचे के अफसरों की राय पर काम करने इस जांच ऐसी को मजबूर होना पड़ रहा है। सीबाआई द्वारा सर्वोच्च अदालत में मायावती के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की अनुमति मांगने के हलफनामे से परेशान मुख्यमंत्री मायावती ने बीते शनिवार को दिल्ली में आनन फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा,‘‘यूपीए सरकार सीबीआई का दुरूपयोग कर रही है। सरकार ने सपा के इशारे पर जांच एजेंसी से मेरे खिलाफ हलफनामा दायर करवाया है। जो अदालत की अवमानना की कोटि में आता है। बसपा द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद से मेेरे खिलाफ इस तरह के अभियान तेज हो गए हैं। यह मामला कोर्ट में है इसलिए प्रेस वार्ता नहीं करना चाह रही थीं लेकिन मजबूरन अपना पक्ष रखना पड़ रहा है क्योंकि जब जब चुनाव करीब आते हैं तब तब आय से अधिक संपति के मामले को उछाल कर छवि धूमिल करने के प्रयास तेज हो जाते हैं। ’’ हालांकि सीबीआई प्रवक्ता का कहना है,‘‘ प्रतिशपथ पत्र सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही दायर किया गया है।’’ गौरतलब है कि माया के कानूनी सलाहकारों ने बीते 9 मई को सर्वोच्च अदालत को मामले के निपटाने वास्ते आवेदन किया था। पर सवाल यह उठाता है कि यह राय देने वालों का लक्ष्य क्या है? क्या उन्होंने मायावती की मदद की है? सच चाहे जो ही हो पर अब तो मायावती एक ऐसे बवंडर से घिर गई हैं। जिससे उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर आशंकाएं तिरने लगी हैं।
-योगेश मिश्र
इस मामले में सीबीआई तीन रिपोर्ट पहले पेश कर चुकी है। पहली 142 पन्ने की 8 अगस्त को 2००3, दूसरी 123 पन्ने की 9 सितंबर 2००3 को और तीसरी 18 अगस्त 2००4 को 2० पन्ने की। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक,‘‘ मायावती और उनके परिजनों के पास 41 फार्म हाउस, 18 भूखंड, 5 फारेस्ट प्लाट, 7 कामर्शियल भूखंड, 2 शाप कम आवासीय भवन के साथ ही 7.73 करोड़ के तीन बाग भी है। 54 बैंक एकाउंट में 7.36 करोड़ रूपये के अलावा 5.92 करोड़ 4० और बैंक एकाउंट में मिले हैं। 13. 18 करोड़ मयावती और उनके परिजनों को 13० लोगों से गिफ्ट के रूप में मिला दिखाया गया है।’’ सीबीआई ने अपनी पड़ताल में 3० दानदाताओं के हालात के आधार पर रिपोर्ट में कहा है कि इनके पास दो जून की रोटी का जुगाड़ नहीं है ऐसे में इनका दान दिया जाना कैसे माना जाए? दस्तावेजों की पड़ताल कर रहे अधिकारी उनकी तुलना फिलीपींस के पूर्व राष्टï्रपति फर्दिनांड मार्कोस की पत्नी इमेल्डा मार्कोस से करते हैं।
सीबीआई द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट से गुजरने के बाद हाथ लगे तथ्य जहां एक ओर मायावती को ताज कॉरिडोर मामले में राहत की सांस लेने का मौका देंगे। हालांकि सीबीआई ने जांच रिपोर्ट में कहा है, ‘‘न तो परियोजना की विस्तृत रिपाोर्ट बनी, न नक्शा पास गया, न एमओयू (सहमति पत्र) पर हस्ताक्षर हुए और न ही खर्च का कोई _x008e_यौरा तैयार किया गया।’’ केंद्रीय अपराध जांच प्रयोगशाला और विज्ञान प्रयोगशालाओं में की गई जांच में भी फाइलों से छेड़छाड़ करने की पुष्टिï हुई है। नतीजतन, इस प्रकरण के अफसरों पर संकट बनाये रखते हुए रिपोर्ट अगर मायावती को ताज कॉरिडोर मामले में क्लीनचिट थमा दे तो किसी के लिए हैरत में पडऩे की कोई वजह नहीं होनी चाहिए।
फिर भी सीबीआई ने आय से अधिक मामले की फाइल खासी वजनदार कर दी है। इस फाइल में दलित समाज की बहन जी के पांच शहरों के दस बंगले, उनके और परिजनों के नाम 96 भवन, भूखंड, हीरे-जवाहरात के आभूषण और कई फार्म हाउस का जिक्र है। रिपोर्ट बताती है कि 1995 से 2००3 के दौरान मायावती द्वारा दाखिल आयकर के रिटर्न में 1.11 करोड़ की सम्प_x009e_िा का जिक्र है जबकि लखनऊ के माल एवेन्यू इलाके में 49 लाख रूपये की बताई जाने वाली 189०० वर्गफिट मुख्यमंत्री मायावती, राष्टï्रीय उपाध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी के नाम की जमीन, मसूरी के होटलों-शेल्टॅान व अप्सरा की खरीद में लगाये गये 11 करोड़ रूपये जिनका हस्तांतरण पंजीकरण की जगह कंपनी एक्ट के तहत हुआ, तो हैं ही। अपने पैतृक गांव बादलपुर में पिता के नाम मकान के लिए खरीदी गई 16 बीघा जमीन, भाई आनंद कुमार के नाम का नोएडा के सेक्टर-44 का 45० वर्गमीटर का भूखंड भी सीबीआई के दस्तावेजों में दर्ज है। इन दोनों सम्प_x009e_िायों के लिए पिता प्रभुदयाल और भाई आनंद कुमार ने वर्ष 2००2 के अगस्त व अक्टूबर माह में 37 लाख रूपये का भुगतान किया था। आनंद कुमार ने नोएडा के बी-182 नम्बर के 45० वर्ग मीटर के इस प्लाट का भुगतान 11 एवं 5 लाख रूपये के दो ड्राफ्ïटों जिनका नम्बर-०58683 एवं ०91683 के मार्फत किया। ये ड्राफ्ट मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित यूनियन बैंक की शाखा से बनवाये गए थे। यह संप_x009e_िा नरसिंह रंगा पुत्र हुकुमचंद निवासी दुकान संख्या 28 गोदावरी काम्प्लेक्स सेक्टर 37 से खरीदा। इसके अलावा मायावती के बहनोई एन.पी. गौतम के नाम पर भी सेक्टर 4० और सेक्टर 56 में बड़े-बड़े भूखंड हैं। सम्प_x009e_िा से जुड़े कुल चौरासी मामलों में से 39 सीधे मायावती व उनके नजदीकी रिश्तेदारों के हैं।
अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने छापे के दौरान मिले दस्तावेजों का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘‘मायावती के घर से 7.18 करोड़ रूपये से अधिक की सम्प_x009e_िा के दस्तावेज बरामद हुए थे। उनके हुमायूं रोड स्थित आवास से साढ़े पांच लाख रूपये नकद और लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित आवास से 36 हजार रूपये, दो बैंक खाते, एक लॉकर और कई जरूरी दस्तावेज मिले थे।’’ दिल्ली स्थित मायावती के दो बैंक खातों में मिले 2.5 करोड़ रूपये से ज्यादा की धनराशि के साथ ही साथ स_x009e_ाा छोडऩे के ऐन पहले के अगस्त महीने में इन खातों से निकाले गये रूपयों को ठिकाने लगाने का भी पर्दाफाश रिपोर्ट में है। मायावती के एक खाते में करीब 87 लाख रू. और दूसरे में 1.2० करोड़ रू. से अधिक रकम जमा थी। रिपोर्ट में खाता नंबर-5988०, 1187, 584, 16०4, 1536, 59617 (यूनियन बैंक ऑफ इंडिया नोएडा/ग्रेटर नोएडा ब्रांच) आदि शामिल हैं। इन सभी खातों में लगभग दो करोड़ 4० लाख रूपए जमा हैं। इसके अलावा सीबीआई ने 74 लाख रूपये के विभिन्न बैंक डिपाजिटों की बावत जिक्र किया है। इनमें छह बैंक डिपाजिट वर्ष 2००3 के तथा एक वर्ष 1998 का शामिल है। इनके नंबर 5734०2, 2००3०471, 2००3०466 और 67 आदि शामिल हैं। रिपोर्ट मायावती के 55 बैंक खातों और 82 जायदादों के बारे में भी खुलासा करती है। मायावती के परिजनों के फिक्स डिपाजिट और बैंक एकाउंट से सीबीआई के हाथ तकरीबन 3.3 करोड़ रूपये की धनराशि लगी। मायावती की मां के बैंक खाते में तीस लाख रूपये जमा मिले। सीबीआई ने मायावती और उनसे जुड़े लोगों के चौरासी खाते सीज किए।
19 अगस्त 2००3 को दिल्ली के सरदार पटेल मार्ग पर स्थित कोठी नंबर-11 बहुजन ट्रस्ट और बसपा नेता मायावती के नाम रजिस्ट्री नंबर 3641 के मार्फत सात करोड़ रूपये में खरीदी गई इस कोठी के लिए 47 लाख रूपये के स्टैम्प लगाए गए जबकि 22 लाख रूपये कारपोरेशन टैक्स के रूप में अदा किए गए। ट्रस्ट के साथ ही साथ यहीं के इंद्रपुरी इलाके के मकान नंबर ई-ए-44 को भी सीबीआई मायावती की सम्प_x009e_िायों में शुमार है। इसके अलावा दिल्ली के ही इंद्रपुरी इलाके में मायावती के भाईयों और बहन की कोठियों की भी सीबीआई ने नोटिस ली है। सीबीआई ने ग्यासपुर, बिजलीपुर, गभाना एवं मौजपुर स्थित मायावती की फार्म हाउसनुमा जायदाद की भी नोटिस ली है। इन जायदादों का परिजनों के नाम हस्तांतरण और फिर कुछ अंजान से लोगों को खड़ा कर उन्हें बेंच दिये जाने का खुलासा भी सीबीआई रिपोर्ट करती है। इसी के नाते सीबीआई ने इंद्रपुरी इलाके के मायावती के भाई-बहनों की कोठियों की भी नोटिस ली है। इसके पीछे उसका यह तर्क है, ‘‘मायावती के परिजनों में सुख-समृद्घि के आलम का दौर उनके पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही शुरू हुआ।’’ हालांकि मायावती बार-बार यह दावा करती हैं, ‘‘1989 से ही मां-बाप और परिजनों से उनका कोई रिश्ता नहीं है।’’ सीबीआई की दिक्कत यह है कि तमाम अचल सम्प_x009e_िायां बहुजन ट्रस्ट अथवा बसपा के नाम हैं। इसलिए इन्हें मायावती की सम्प_x009e_िा से अलग रखकर देखे। फिर भी सारे हिसाब-किताब के बाद नौ करोड़ रूपए के आय से अधिक का पता चला है।’’ गौरतलब है कि आयकर में बहुजन फाउंडेशन कानूनी तौर पर पंजीकृत है। इसका रिटर्न भी फाइल होता है। पर सीबीआई अपनी रिपोर्ट में मायावती के इस तर्क से सहमत नहीं दिखती है जिसमें वह दावा करती हैं कि उनके पास जो भी संप_x009e_िा है वह पार्टी फंड में मिला चंदा है। पार्टी फंड में मिला चंदा बिल्कुल अलग है।
सीबीआई के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं, ‘‘आय से अधिक संप_x009e_िा के मामले में मायावती को दोषी पाये जाने की पुष्टिï जांच अधिकारी से लेकर सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक तक ने कर दी है।’’ फिर भी पिछले साल सीबीआई के कानूनी मामलों के आला हुक्मरान और एटार्नी जनरल ने सारी संस्तुतियों को बला-ए-ताख रख मामले पर पानी डालने की कोशिश हुई। एटार्नी जनरल मिलन बैनर्जी की यह राय जिसमें कहा गया है, ‘‘अब तक इकट्ïठे किये गये सबूतों के आधार पर सीबीआई न तो भ्रष्टïाचार निरोधक कानून और न ही भारतीय दंड संहिता के तहत मायावती पर अभियोग चला सकती है।’’ एटार्नी जनरल की इस राय के बाद सीबीआई ने इस मामले में मायावती के खिलाफ मुकदमा बंद करने का निर्णय लिया है। लेकिन मामले में तब नया मोड़ आया जब अभियोजन निदेशक और सीबीआई निदेशक की राय के विपरीत जांच अधिकारी, समेत छह अफसरों ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। क्योंकि, ‘‘सीबीआई के पास मायावती के खिलाफ आय से अधिक संप_x009e_िा रखने के ठोस सबूत हैं।’’
गौरतलब है कि ताज कॉरिडोर मामले के मार्फत सीबीआई की गिरफ्ïत में आई बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ 18 जुलाई 2००3 को आरसी. नम्बर 18-ए के तहत मुकदमा दर्ज कराते हुए 12० (बी), 42०, 467, 468, 471, 472 ही नहीं, बल्कि भ्रष्टïाचार निवारण अधिनियम की 13 (1) एवं (2) धारायें आयद हुईं। इस पड़ताल में मिले सुबूतों के आधार पर उसी साल 5 अक्टूबर 2००3 को आरसी. नंबर 19-ए के तहत आय से अधिक सम्प_x009e_िा के मामले में भी अभियोग पंजीकृत हुआ। पर सवाल यह उठता है कि मिलन बनर्जी और एक सीबीआई निदेशक की राय के बाद भी ममले में निजात मिलने की जगह सीबीआई के नीचे के अफसरों की राय पर काम करने इस जांच ऐसी को मजबूर होना पड़ रहा है। सीबाआई द्वारा सर्वोच्च अदालत में मायावती के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने की अनुमति मांगने के हलफनामे से परेशान मुख्यमंत्री मायावती ने बीते शनिवार को दिल्ली में आनन फानन में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा,‘‘यूपीए सरकार सीबीआई का दुरूपयोग कर रही है। सरकार ने सपा के इशारे पर जांच एजेंसी से मेरे खिलाफ हलफनामा दायर करवाया है। जो अदालत की अवमानना की कोटि में आता है। बसपा द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद से मेेरे खिलाफ इस तरह के अभियान तेज हो गए हैं। यह मामला कोर्ट में है इसलिए प्रेस वार्ता नहीं करना चाह रही थीं लेकिन मजबूरन अपना पक्ष रखना पड़ रहा है क्योंकि जब जब चुनाव करीब आते हैं तब तब आय से अधिक संपति के मामले को उछाल कर छवि धूमिल करने के प्रयास तेज हो जाते हैं। ’’ हालांकि सीबीआई प्रवक्ता का कहना है,‘‘ प्रतिशपथ पत्र सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही दायर किया गया है।’’ गौरतलब है कि माया के कानूनी सलाहकारों ने बीते 9 मई को सर्वोच्च अदालत को मामले के निपटाने वास्ते आवेदन किया था। पर सवाल यह उठाता है कि यह राय देने वालों का लक्ष्य क्या है? क्या उन्होंने मायावती की मदद की है? सच चाहे जो ही हो पर अब तो मायावती एक ऐसे बवंडर से घिर गई हैं। जिससे उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर आशंकाएं तिरने लगी हैं।
-योगेश मिश्र