अरे योगी जी ये क्या! आपकी पुलिस ने तो चाचा-भतीजी को भी प्रेमी जोड़ा बना दिया
यूपी में सरकार किसी पार्टी की हो लेकिन यहां की नौकरशाही अपने ही अंदाज में काम करती है । उसके काम का अपना अलग ही अंदाज है। सरकार की छवि का जनता पर क्या असर पड र
लखनऊ: यूपी में सरकार किसी पार्टी की हो लेकिन यहां की नौकरशाही अपने ही अंदाज में काम करती है । उसके काम का अपना अलग ही अंदाज है। सरकार की छवि का जनता पर क्या असर पड रहा है इसकी तो कतई परवाह नहीं होती उन्हें ।
- बीजेपी के सत्ता में आने और योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद पार्टी के संकल्प पत्र के अनुसार दो निर्णय जल्द लिए गए।
-एक तो गैर कानूनी बूचड़खाने को बंद कराना और दूसरा लड़कियों के स्कूल कालेज के आसपास मंडराने वाले शोहदों पर लगाम लगाना ।
-बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले ही कहा था कि पार्टी के सत्ता में आने बाद यांत्रिक कत्लखाने बंद किए जाऐंगे और एंटी रोमियो स्कवाड बनाया जाएगा ।
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गैरकानूनी के साथ साथ वैध मीट दुकानों पर भी लगवाया ताला
-संकल्प पत्र में और भी वायदे हैं लेकिन सरकार ने पहले इन दोनों पर ही काम शुरू किया ।
-पहले शुरूआत यांत्रिक कत्लखाने के बंद करने से शुरू करते हैं ।
-बात तो गैरकानूनी बूचड़खाने को बंद करने की थी लेकिन सभी कत्लखाने बंद करने शुरू किए गए ।
-ये सही है कि पिछली सरकार ने कत्लखानों का लाइसेंस रिन्यू नहीं किया लेकिन उसे अभी भी सुधारा जा सकता है ।
-मौजूदा सरकार ये कह रही है कि ये पिछली सरकार की गलती थी लेकिन सरकार एक सतत प्रक्रिया है ।
-सरकार ,सरकार होती है आने वाली कोई सरकार ये नहीं कह सकती कि ये पिछली सरकार की गलती है इसे वो ही जाने । अब वो कैसे जान सकती है वो तो चली गई।
अपने मन के हुए नौकरशाह
-सरकार के इस फैसले से नौकरशाह अपने हिसाब से काम करने लगे है ।
-अधिकारियों ने उन दुकानों भी बंद कराना शुरू कर दिया जिनके पास लाइसेंस थे ।
- यूपी में सिर्फ सरकार बदली है नौकरशाह नहीं बदले हैं । नौकरशाह और अधिकारी वो ही हैं जो पिछली सरकार के काफी करीबी थे।
छिन गई राजधानी की खूबी
-लखनऊ देशभर में अपने मुगलई खाने के लिए मशहूर है।
-मगर अब तो वैसे रेस्टरां और होटल बंद हो गए हैं जो लजीज नानवेज बनाया करते थे ।
-लखनऊ का इतिहास जानने वाले यदि यहां आते हैं तो उनका एक मकसद यहां का लजीज खाना भी होता है।
-मगर अब सभी नॉन वेज दुकानों को बंद हो गए है। जो की यहाँ आने वाले मेहमानों के लिए काफी निराशाजनक है।
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एंटी रोमियो स्क्वॉयड
-इस स्क्वॉयड का गठन लड़कियों के स्कूल कालेज के पास मंडराने वाले लड़कों को रोकने के लिए किया गया था ।
-पुलिस कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो गई और उन लोगों को भी परेशान करना शुरू कर दिया जो अपनी मर्जी से किसी पार्क में बैठे या माँल में घूम रहे हों ।
-लखनऊ पार्कों का शहर कहा जाता है । एशिया का सबसे बडा जनेश्वर मिश्र पार्क यही हैं।
-इसके अलावा अंबेडकर पार्क और दुलर्भ पेडों से भरा लोहिया पार्क भी है ।
-ये पार्क सुबह की सैर करने वालों की खास पसंद है तो दोपहर से शाम तक प्रेमी जोड़ों का अड्डा भी ।
-पुलिस ने मोरल पुलिसिंग की कार्रवाई करते हुए एक दिन दोपहर में पार्क में छापा मारा और प्रेमी जोड़ों को खूब जलील किया ।
-जो पुलिस वाले एंटी रोमियो स्क्वॉयड में शामिल नहीं हैं वो भी लोगों को परेशान करने में पीछे नहीं रहे ।
-राजधानी में कल 28 मार्च को अपनी भतीजी के साथ कहीं जा रहे एक व्यक्ति को रोका और पांच हजार रूपए देने के बाद ही जाने दिया ।
-वो तो लड़की भी चालाकी थी कि उसने पुलिस वालों का पांच हजार रूपए रिश्वत लेने का वीडियो बना लिया और इस मामले में तीन लोग ससपेंड हो गए ।
-अब हालात ऐसे होते जा रहे कि लोग अपने परिवार के साथ घर से निकलने में डरने लगे हैं कि क्या पता पुलिस कब क्या पूछ ले या क्या कर दे।
क्या एंटी रोमियो नाम सही है ?
रोमियो बिलियम शेक्सपियर का ड्रामा था जो पूरी तरह फिक्शन है । शेक्सपियर के इस ड्रामे को जब स्टेज पर उतारा गया तो लोगों ने इसे काफी पसंद किया । पिछले चार सौ साल से रोमियो प्रेम करने वाले लोगों का आदर्श बना हुआ है लेकिन यूपी पुलिस और सरकार ने प्रेम में जान देने वाले इस फिक्शन को मनचला बना दिया । रोमियो ,मजनूं या रांझा मनचले नहीं थे ये पूरी दुनिया में प्रेम के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं ।
रोकना होगा नौकरशाही को
-सीएम साहब अपने अधिकारियों पर लगाम लगाईए, नहीं तो आपकी सरकार की छवि खराब करने में ये कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
-सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को कहना पड़ा कि अधिकारी अति उत्साहित होने से बचें ।
मंत्री जी ये अति उत्साह का मामला नहीं है । उनके काम का यही तरीका है । पहले उनके काम के तरीके को बदलिए । जनता ने बड़ी उम्मीद से बीजेपी को ऐसा बहुमत दिया है । सरकार ओर नौकरशाह अगर ऐसे ही काम करेंगे तो जतना अपना गुस्सा उतारना जानती है । ये जनता का गुस्सा ही था जो बीजेपी का इनता बड़ा बहुमत दे गया।
यूपी के एक रिटायर्ड नौकरशाह कहते हैं कि अधिकांश नौकरशाह जानते हैं कि उनका तबादला होगा इसलिए वो काम भी उसी तरह से कर रहे हैं । उनमें लायलटी की कमी है ।
सरकार के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार सीएम आदित्यनाथ अधिकारियों की अपनी टीम चाहते हैं और केंद्र का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं चाहते । संभवत यही कारण है कि अभी तक मुख्य सचिव और सीएम सचिवालय के सचिवों का चयन नहीं हो सका है ।