कैप्टन या कोच 'सुप्रीम' कौन ? खिलाड़ियों के पैरों में गिरा BCCI
दुनिया के बेहतरीन स्पिन गेंदबाजों में शामिल रहे अनिल कुंबले ने टीम इंडिया के कैप्टन विराट कोहली के साथ अपने खराब संबंधों के कारण कोच पद से इस्तीफा दे दिया।
लखनऊ: दुनिया के बेहतरीन स्पिन गेंदबाजों में शामिल रहे अनिल कुंबले ने टीम इंडिया के कैप्टन विराट कोहली के साथ अपने खराब संबंधों के कारण कोच पद से इस्तीफा दे दिया। जो इंडियन क्रिकेट के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है।
कैप्टन कोहली ने साफ कह दिया कि वो कोच कुंबले के साथ काम नहीं कर सकते। कुंबले का अनुबंध इंग्लैंड में खत्म हुई चैंपियंस ट्रॉफी तक था, लेकिन उन्हें कहा गया था कि वह वेस्ट इंडीज दौरे तक अपना पद संभालें। लेकिन कैप्टन कोहली के साथ तल्खी इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि वह इंग्लैंड से ही लौट आए और वेस्ट इंडीज जाने से मना कर दिया।
पूरे देश में क्रिकेट पर नियंत्रण रखने वाली संस्था भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भी उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की। बोर्ड ने खिलाड़ियों की बात ज्यादा सुनी। इससे साफ हो गया कि क्रिकेट के सुपर स्टारों के आगे बोर्ड भी झुक जाता है।
इंडियन क्रिकेट टीम में शामिल ज्यादातर खिलाड़ी कुंबले के मेहनत कराने के तरीके से खुश नहीं दिख रहे थे। कुबले एक हार्ड टास्क मास्टर के रूप में जाने जाते हैं जबकि क्रिकेट खिलाडियों का आराम तलब रवैया उन्हें रास नहीं आ रहा था इसीलिए कुंबले भी उन्हें रास नहीं आ रहे थे।
कुंबले जिस तरह से गए वो सुनील गावस्कर और ईरापल्ली प्रसन्ना जैसे पूर्व खिलाडियों को गुस्से में भर गया। गावस्कर ने तो यहां तक कह दिया कि जो खिलाड़ी कुंबले के साथ काम नहीं करना चाहते वो टीम से बाहर चले जाएं। ये बीसीसीआई के लिए भी एक संदेश था कि सुपर स्टार बन चुके इन अरबपति खिलाड़ियों को भी बाहर का रास्ता दिखाओ।
कुंबले 600 से ज्यादा विकेट लेने वाले दुनिया के तीसरे गेंदबाज हैं। श्रीलंका के मुरलीधरन और ऑस्ट्रलिया के शेन वार्न ही विकेट लेने के मामले में उनसे आगे हैं। टीम में जम्बो के नाम से मशहूर अनिल कुंबले ने कई हारे हुए मैच को जीत में बदल कर भारत की झोली में डाला है।
कुंबले पिछले साल ही टीम इंडिया के कोच नियुक्त हुए थे उसके बाद से टीम इंडिया का प्रदर्शन शानदार रहा है। टीम ने टेस्ट और वन-डे मैचों में शानदार जीत दर्ज की है। जबकि टीम इंडिया के पूर्व विदेशी कोचों में शामिल जान राइट और ग्रेग चैपल के कोच रहते हुए भी टीम ने कभी इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था।
कोच के अच्छे या बुरे होने की पहचान टीम के प्रदर्शन से होती है। निश्चित रूप से इस मामले में कुंबले तारीफ के काबिल हैं। हालांकि, कैप्टन कोहली ने कुंबले के साथ काम नहीं करने का कारण नहीं बताया। दोनों के बीच चैंपियस ट्रॉफी के दौरान बातचीत में सुलह की कोशिश भी हुई लेकिन कोहली अपनी बात पर टस से मस नहीं हुए।
सवाल फिर खडा हो गया कि टीम में सुप्रीम कौन? कोच या कैप्टन? ड्रेसिंग रूम या प्रैक्टिस के दौरान बेशक कोच और खेल के दौरान हमेशा मैदान में कैप्टन।
बीसीसीआई ने जिस तरह कैप्टन की बात सुनी और कुंबले को इस्तीफा देने से नहीं रोका उससे कोई अच्छा संदेश नहीं गया। अब भविष्य में जो भी कोच बनेगा उसे कैप्टन की मर्जी पर ही निर्भर रहना होगा। कैप्टन अगर चाहेगा तो वो रहेगा और नहीं चाहेगा तो नहीं।
कोहली, कुंबले विवाद जब शुरू हुआ तो ओलंपिक में भारत को व्यक्तिगत स्पर्धा में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले शूटर अभिनव बिंद्रा ने कहा कि उन्हें 20 साल तक ऐसे कोच के साथ काम करना पड़ा जिनसे वो नफरत करते थे। मतलब आप को कोच की बात माननी ही होगी भले आप उसे पसंद करें या नहीं करें।
बीसीसीआई का कैप्टन और कुछ खिलाडियों को खुश करने का रवैया ठीक नहीं। इस पूरे प्रकरण में बीसीसीआई ने जिस तरह व्यवहार किया वो भारतीय क्रिकेट के लिए कोई अच्छा संदेश नहीं हैं। इससे खिलाडियों की दादागिरी बढ़ेगी और वो खुद को सबसे उपर समझने लग जाऐंगे।
अन्य खेलों के मुकाबले मिल रहा ज्यादा पैसा ऐसे भी क्रिकेटरों का दिमाग खराब कर रहा है। ऐसे खिलाड़ी भी जो टीम में दस्तक नहीं दे पाते उनके लिए भी आईपीएल के माध्यम से करोड़पति बन जाने के दरवाजे खुल गए हैं।
खूब पैसा, नाम और ग्लैमर से कुछ खिलाडी खेल से भी ऊपर हो गए हैं। ये कहना है गावस्कर, प्रसन्ना और कुछ अन्य सीनियर खिलाडियों का। यदि बोर्ड कैप्टन और कुछ खिलाडियों से ये कहता कि कोच को नहीं हटाया जाएगा। अब आप तय करें कि आपको क्या करना है।
यदि यह रवैया होता तो निश्चित रूप से हवा में उड़ रहे खिलाड़ी जमीन पर आ जाते। खिलाडी भी जानते हैं कि उनकी पूछ तभी तक है जब तक वो टीम में हैं। टीम से बाहर होने पर उनके लिए कमेंटरी करने के अलावा कमाई का और कोई रास्ता नहीं बचता।