BJP के सत्ता में आते ही बदली पुलिस की काया, गायत्री प्रजापति की गिरफ्तारी से शुरू हुआ कामयाबी का सफर

यह मात्र संयोग है कि भारतीय जनता पार्टी के यूपी में सत्ता में आने के बाद अखिलेश सरकार के दागी और सामूहिक बलात्कार के दोषी मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

Update:2017-03-15 12:55 IST

लखनऊ: यह मात्र संयोग है कि भारतीय जनता पार्टी के यूपी में सत्ता में आने के बाद अखिलेश सरकार के दागी और सामूहिक बलात्कार के दोषी मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

यूपी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक(कानून व्यवस्था) दलजीत चौधरी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी ने बुधवार को दावा किया कि सर्विलांस से मिली मदद के कारण प्रजापति की गिरफ्तारी हुई है लेकिन यही पुलिस पूरे चुनाव के दौरान और परिणाम आने के बाद भी उसे पकड नहीं पाई थी । इससे यूपी पुलिस कही कार्यक्षमता पर भी सवाल उठ गए थे । गायत्री प्रसाद प्रजापति अमेठी से चुनाव हार चुके हैं।

-यूपी पुलिस और उसके स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) किस तरह सत्ता में आई पार्टी के इशारे पर काम करती है ये गायत्री प्रजापति की गिरफ्तारी का नमूना है।

-पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपनी चुनावी सभाओं में कहा था कि पुलिस थाने सपा के दफ्तर की तरह काम करते हैं।

-थानों में जिस तरह एक खास जाति के लोगों को बिठाया गया ओर वो अपने राजनीतिक आकाओं के हित में काम करते रहे।

-पीएम और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी वाराणसी के पुलिस अधीक्षक रहे नितिन तिवारी के कामकाज पर सवाल उठाए थे।

प्रजापति के खिलाफ चल रही जांच

-गायत्री प्रजापति के खिलाफ गैरकानूनी खनन की सीबीआई जांच भी चल रही है।

-पुलिस को उनकी सामूहिक बलात्कार मामले में भी तलाश थी और वो 27 फरवरी से फरार चल रहे थे ।

-उनके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस भी जारी की गई थी। ये आशंका भी जताई जा रही थी कि वो विदेश भाग सकते हैं ।

-उन्होंने दिल्ली ओर हरियाणा में अपने छुपने का अड्डा बनाया था।

पूरा हुआ अमित शाह का दावा

-अमित शाह ने अपनी सभा में कहा भी था कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद ही प्रतजापति की गिरफ्तारी होगी और ऐसा हुआ भी ।

-पुलिस प्रजापति के लखनऊ और अमेठी के घर में छापा डालती रही लेकिन वो गिरफ्तार नहीं किए जा सके ।

-इधर बीजेपी सत्ता में आई और प्रजापति को अरेस्ट कर लिया गया ।

-गौरतलब है कि सामूहिक बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट को प्राथमिकी दर्ज कराने में हस्तक्षेप करना पडा ।

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