लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) में एक लाख 54 हजार के लगभग पद खाली होने संबंधी जनहित याचिका पर जवाब तलब किया है। न्यायालय ने कैग के अधिवक्ता को इस संबंध में एक माह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस डीएस त्रिपाठी की बेंच ने सुनील कांदू की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया। याचिका के अनुसार कैग एक्ट के तहत जिन ऑडिट्स की आवश्यकता है, वे सख्ती से नहीं किए जा रहे हैं।
याचिका में आगे कहा गया कि कैग में एक लाख 54 हजार के लगभग पद खाली हैं, जिन्हें वर्षों से भरा ही नहीं गया। यही कारण है कि इसका प्रभाव कैग के प्रदर्शन पर भी पड़ रहा है। वहीं याचिका में प्रधानमंत्री कार्यालय को पक्षकार बनाए जाने का असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ने विरोध किया।
उनका कहना था कि जो राहत मांगी गई हैं, वे मात्र कैग से संबंधित हैं, पीएमओ से नहीं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने याची को याचिका में से प्रधानमंत्री कार्यालय को बतौर पक्षकार हटाए जाने के निर्देश दिए।
वहीं न्यायालय ने याचिका पर एक माह में जवाब देने का निर्देश कैग के अधिवक्ता को दिया। मामले की अग्रिम सुनवाई एक माह पश्चात होगी।