सेंट्रल बार की बैठक: अधिवक्ताओं ने कमिश्नर पर लगाए बहुत ही गंभीर आरोप
अधिवक्तागणों ने कहा कि कमिश्नर महोदय स्वयं निर्धारित ड्रेस में नहीं बैठते हैं और ना ही निर्धारित समय पर बैठते हैं और अधिवक्ता गणों को घंटों इंतजार करते हैं जिससे अधिवक्ता गण का न्यायिक कार्य प्रभावित होता है और वाद कारी भी परेशान होते हैं।
लखनऊ: सेंट्रल एसोसिएशन लखनऊ ने वर्तमान कमिश्नर प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए इसको समाप्त किये जाने की मांग की है। सेंट्रल बार की बैठक में अधिवक्ताओं ने कमिश्नर पर बहुत ही गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसका तत्काल संज्ञान लिया जाना आवश्यक है। यह जानकारी सेंट्रल बार एसोसिएशन के महामंत्री संजीव पांडे एडवोकेट ने दी।
बार के महामंत्री ने बताया कि सभी अधिवक्ता गणों ने एक सामूहिक मीटिंग सिविल कोर्ट परिसर लखनऊ में सेंट्रल बार एसोसिएशन लखनऊ में की जिसमें अधिवक्ता गणों ने वर्तमान कमिश्नर प्रणाली पर एतराज जताते हुए कहा कि इस प्रणाली से वह बहुत व्यथित और अपमानित महसूस कर रहे हैं।
कमिश्नर महोदय स्वयं निर्धारित ड्रेस में नहीं बैठते हैं
अधिवक्तागणों ने कहा कि कमिश्नर महोदय स्वयं निर्धारित ड्रेस में नहीं बैठते हैं और ना ही निर्धारित समय पर बैठते हैं और अधिवक्ता गणों को घंटों इंतजार करते हैं जिससे अधिवक्ता गण का न्यायिक कार्य प्रभावित होता है और वाद कारी भी परेशान होते हैं।
वकीलों ने आरोप लगाया कि कमिश्नर प्रणाली लागू होने से वाद कार्यों एवं अधिवक्ताओं का मनमाना शोषण हो रहा है। कमिश्नर अधिवक्ताओं के बिना ड्रेस कोड के उपस्थित होने पर सुनवाई नहीं करते हैं, जबकि सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के गाइडलाइन में वकीलों को पूर्ण ड्रेस से छूट प्रदान की है, जिसकी अवमानना कमिश्नर लखनऊ द्वारा निरंतर की जा रही है।
कमिश्नर प्रणाली लागू होने से अधिवक्ताओं को अलग-अलग एसीपी कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं
अधिवक्ताओं ने कहा कि कमिश्नर प्रणाली लागू होने से अधिवक्ताओं को अलग-अलग एसीपी कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं जिससे अधिवक्ताओं का समय बर्बाद हो रहा है। सभी कोर्ट कलेक्ट्रेट परिसर में किया जाना अपरिहार्य है। यह अधिवक्ता एवं वाद कार्यों के हित में होगा।
आरोप लगाया गया कि लखनऊ कमिश्नर को विधिक जानकारी नहीं और ना ही उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर जारी गाइडलाइन, दिशा निर्देशों की जानकारी है, ऐसे में इनसे विधिक कार्य लिया जाना समाज के लिए हानिकारक है क्योंकि पुलिस द्वारा मुकदमे की सुनवाई की जाती है जो विधि के स्थापित सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है।
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अधिवक्ताओं का अनुरोध है कि उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत करते हुए उचित कार्यवाही निदान किया जाना अति आवश्यक है अन्यथा अधिवक्ताओं वादकारियों को अपूरणीय क्षति होगी।
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