लखनऊ। रेयान इंटरनेशनल के केस ने देश को झकझोर कर रख दिया है। बच्चों का दूसरा घर माने जाने वाले विद्या के मंदिरों में भी अगर अब बच्चे सुरक्षित नहीं हैं तो आखिर किस पर भरोसा करें। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के परिचित ही उनके सबसे बड़े दुश्मन बन जाते हैं। इनमें पड़ोसियों से लेकर परिचितों का प्रतिशत अधिक है।
94.8 फीसदी मामलों में परिचित ही अपराधी
बीते एक साल में पॉस्को एक्ट के करीब 14,913 मामले दर्ज हुए जिसमें पड़ोसियों के शिकार 3149 केस, सहपाठी, सहकर्मी के द्वारा 2227 मामले, परिवार या अन्य नजदीकी रिश्तेदार द्वारा दरिंदगी के 138 केस, दूर के रिश्तेदार द्वारा यौन शोषण के 581 केस व अन्य दवारा 2036 केस दर्ज हुए। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
यूपी में लखनऊ अव्वल
वर्ष 2015 से लखनऊ में बच्चों के साथ हो रहे अपराधों के सर्वाधिक मामले पंजीकृत हुए हैं। 2015 में देश में 1937 बच्चों की हत्या हुई, इनमें सर्वाधिक 488 केस अकेले यूपी के थे। यूपी में 29 बच्चों का फिरौती के लिए अपहरण हुआ जबकि पूरे देश में इस तरह के 147 मामले दर्ज हुए। वहीं बंगाल में 15, दिल्ली 13 और कनार्टक में 10 बच्चों का अपहरण किया गया। बच्चों के अपहरण में महाराष्ट्र (7,150) और दिल्ली (6,881) के बाद यूपी 5,933 अपहरण के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
22 प्रतिशत चाइल्ड एब्यूज केस यूपी में
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार तो बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण के 22 प्रतिशत मामले अकेले यूपी से ही हैं। बच्चों के लिए खतरनाक प्रदेशों की टाप टेन की सूची में यूपी का पांचवा स्थान है। वर्ष 2014 में बच्चों के साथ अपराध के 14,835 मामले अकेले यूपी में दर्ज हुए। देश में जहां वर्ष 2014 में बच्चों के साथ हुए अपराधों की संख्या 89,423 थी, वही 2015 में बढक़र 94,172 तक पहुंच गई।
अपहरण से लेकर यौन शोषण
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में अपहरण के बाद पॉस्को एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज़ एक्ट) के तहत सर्वाधिक मामले दर्ज हुए हैं। इनमें अपहरण के 44. 5', पॉस्को एक्ट के 15.8 प्रतिशत और रेप के 11.5 प्रतिशत दर्ज हुए हैं।
सतत निगरानी जरूरी
आज के बदले हुए माहौल में स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर फिर से सोचने की जरूरत है। हमें बच्चों को अकेला नहीं छोडऩा चाहिए। हमेशा इन पर निगरानी जरूरी है। कभी बच्चा अकेले कहीं ना जाए। चाहे वो शौचायल हो, खेल का मैदान हो या फिर स्कूल पहुंचाने वाली गाड़ी हो। इन सारे पलों में शिक्षकों की भागीदारी बहुत जरूरी है। अभिभावकों और विद्यालयों को मिलकर निगरानी थोड़ी बढ़ानी होगी। अभिभावक अपने बच्चों के साथ भागीदारी बढ़ाएं। वो इनसे बचने की कोशिश नहीं करें।
क्या है पॉस्को एक्ट
पॅास्को एक्ट 14 नवंबर 2012 से देश में लागू है। 18 वर्ष से कम उम्र में यौन हिनसा का शिकार हुए बच्चों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से इस कानून को लागू किया गया। इसमें बच्चों के साथ हुए यौन शोषण की अलग-अलग कैटेगरी बनाकर उसकी सजा तय की गई है। इस कानून के तहत सात साल की कैद से लेकर उम्रकैद व अर्थदंड का भी प्रावधान है। पॉक्सो के मामलों की सुनवाई विशेष अदालतों में की जाती है। यूपी के 890 मामले इन अदालतों में अभी पेंडिंग हैं। वर्ष 2015 में जहां पूरे देश में इस एक्ट के 8990 मामले दर्ज हुए, वहीं 2016 में ये आंकड़ा 15039 तक पहुंच गया। वर्ष 2016 में केवल यूपी में ही 3078 मामले दर्ज किए गए।
यूपी पुलिस को बच्चों की सुरक्षा को लेकर निर्देश जारी किए हैं। रेयान इंटरनेशनल स्कूल की घटना के बाद यूपी पुलिस ने मंथली आडिट कराने का फैसला किया है। जिसमें बीट इंचार्ज, कोतवाल, थानेदार, डिप्टी एसपी और मजिस्ट्रेट की टीम मंथली आडिट करेगी और अपने अपने इलाके के स्कूलों की सुरक्षा जांच करती रहेगी। सभी स्कूलों को स्कूल गेट से लेकर कारिडोर और क्लास रूम तक में सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए निर्दशित किया गया है। स्कूल स्टाफ और प्राइवेट वैन से बच्चों को लाने वाले ड्राइवरों तक का पुलिस वैरीफिकेशन करवाया जाएगा। स्कूल की बाउंड्री वाल को सुरक्षा की दृष्टि से ऊंचा बनाने के साथ साथ अवैध गैस रीफिलिंग से चलने वाली स्कूली गाडिय़ों को तत्काल रोकने के निर्देश दिए हैं।
अपर पुलिस महानिदेशक अपराध
किसी भी हाल में बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। बच्चों की सुरक्षा के लिए पुलिस अपने स्तर से ब्लू प्रिन्ट तैयार कर चुकी है। जिस पर अमल करने के लिए जिलों में तैनात पुलिस अफसरों को निर्देशित किया गया है।
चंद्रप्रकाश अपर पुलिस महानिदेशक अपराध