HC: कंप्यूटर ऑपरेटर भर्ती घोटाले पर राज्य सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब तलब
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर ग्रेड-ए भर्ती में धांधली और खाली पड़े पदों को अगले चयन के लिए अग्रेसित करने की वैधता के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है।
इलाहाबाद: हाई कोर्ट ने पुलिस विभाग में कंप्यूटर ऑपरेटर ग्रेड-ए भर्ती में धांधली और खाली पड़े पदों को अगले चयन के लिए अग्रेसित करने की वैधता के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार और पुलिस भर्ती बोर्ड से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति बी. अमित स्थालेकर ने अम्बेश और 81 अन्य की याचिका पर दिया है।
याचिका पर वकील विजय गौतम ने बहस की। वकील विजय गौतम का कहना है कि पुलिस भर्ती बोर्ड ने 23 फरवरी 2016 को 1865 पदों का विज्ञापन निकाला। कुल 40 हजार अभ्यर्थियों ने अर्जी दी। 19 मई 2016 को ऑनलाइन लिखित परीक्षा में 40 फीसदी अंक पाने वालों को सफल घोषित किया गया।
इसके बाद सफल 14 हजार अभ्यर्थियों को कंप्यूटर टेस्ट के लिए बुलाया गया। टेस्ट में 2,200 लोग सफल हुए। दस्तावेज सत्यापन के बाद 1,590 अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई और 273 खाली रह गए पदों को बिना भरे अग्रेसित कर दिया गया। दो पद हाईकोर्ट के निर्देश पर सुरक्षित रखे गए हैं।
21 दिसंबर 2016 को जारी चयन सूची में धांधली का आरोप लगाया गया है। याची का कहना है कि आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया हैं। इसके साथ ही विज्ञापन शर्तों का उल्लंघन किया गया है। सेवा नियमावली का पालन नहीं किया गया है। याचिका में 585 खाली रह पदों को भरने की मांग की गई है।
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कोर्ट ने औषधि अनुसेवक की पत्नी की दस साल की संपत्ति का मांगा ब्यौरा
इलाहाबाद: बिजनौर जिला खाद्य सुरक्षा एवं औषधि कार्यालय बिजनौर में तैनात औषधि अनुसेवक भागीरथी सिंह की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। भागीरथी सिंह पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में कार्यवाही की मांग में इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने अनुसेवक की पत्नी अर्चना सिंह की दस सालों की अर्जित संपत्ति और आय के स्रोतों के ब्यौरे के साथ हलफनामा मांगा है।
कोर्ट ने पूछा है कि अकूत संपत्ति अर्जित करने के मामले में जांच रिपोर्ट पर क्या कार्यवाही की जा रही है। कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग की अनुमति लेकर अनुसेवक को बिजनौर से बाहर अन्य जिले में तैनात किया जाए। याचिका की सुनवाई 6 फरवरी को होगी। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोंसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच ने डिस्ट्रिक्ट केमिस्ट एंड डेंटिस्ट एसोसिएशन की याचिका पर दिया है।
याचिका में कहा गया है कि औषधि अनुसेवक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है, लेकिन उसने भ्रष्ट तरीके से करोड़ों रुपए अर्जित किए हैं। कोर्ट ने अनुसेवक की पत्नी की तीन साल की संपत्ति का ब्यौरा मांगा था।
डीएम के हलफनामे को संतोषजनक न पाते हुए कोर्ट ने अनुसेवक की पत्नी की दस साल की संपत्ति का ब्यौरा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि जो अकूत संपत्ति है उसकी आय का स्रोत बताएं। इसके साथ ही इस मामले में की गई जांच रिपोर्ट पर की गई कार्यवाही की जानकारी दें और बताएं कि सरकार क्या कार्यवाही करने जा रही है।
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HC ने माघ मेला प्रयाग भूमि आवंटन मामले में एडीएम इलाहाबाद (माघ मेला) को किया तलब
इलाहाबाद: हाई कोर्ट ने माघ मेला प्रयाग में संस्था को भूमि आवंटन विवाद पर एडीएम इलाहाबाद (माघ मेला) को 02 फरवरी को पत्रावली के साथ तलब किया है। कोर्ट ने कहा है कि एक नाम की संस्था के नाम दो लोगों को जमीन कैसे दी गई है और संस्था के पदाधिकारियों को जमीन देने से किस कारण से इंकार किया गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति तरूण अग्रवाल और न्यायमूर्ति अभय कुमार की बेंच ने अखिल भारतीय वर्षीय धर्म संघ वाराणसी के सचिव जगजीतन पांडेय की याचिका पर दिया है।
याचिका पर वकीलों का कहना है कि स्वामी करपात्री जी महाराज ने अखिल भारतीय वर्षीय धर्म संघ और धर्म संघ शिक्षा मंडल की स्थापना की। देश आजाद होने के बाद सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट में संस्था के नवीनीकरण का उपबंध हुआ, लेकिन संस्था का पंजीकरण नवीनीकृत नहीं हुआ।
स्वामी करपात्री की मौत के बाद दोनों ग्रुप में विवाद हुआ। स्वामी जी के जीवनकाल में संस्था अखिल भारतीय धर्म संघ के नाम से चलती रही। एक ग्रुप ने अखिल भारतीय धर्म संघ तो दूसरे ग्रुप ने अखिल भारत वर्षीय धर्म संघ का पंजीकरण नवीनीकृत कराया।
बाद में प्रस्ताव से शंकर देव चैतन्य की अध्यक्षता में दोनो संस्थाओं के विलय का प्रस्ताव पारित हुआ और 2014 में स्वामी सर्वेश्वर ने अखिल भारतीय धर्म संघ ट्रस्ट पंजीकृत करा लिया और इस नाम से सालों से हो रहे जमीन आवंटन को अपने नाम करा लिया। अखिल भारतीय वर्षीय धर्म संघ का पंडाल वीरव्रती प्रबल जी महाराज के नाम से लगता रहा।
मेला प्रशासन ने याची को भी अखिल भारतीय वर्षीय व अन्य संस्थाओं के नाम जमीन दी, लेकिन बाद में एडीएम ने शांति बनाए रखने के नाम पर आवंटन निरस्त कर दिया। याची का कहना है कि सर्वेश्वर को अखिल भारतीय धर्मसंघ के नाम जमीन देना गलत है क्योंकि संस्था याची की है। उसे मेले में जमीन दी जानी चाहिए।