कोर्ट ने टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के गठन में देरी पर मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के गठन न होने पर नाराजगी जताते हुए प्रमुख सचिव, वन विभाग और प्रमुख सचिव, गृह से जवाब तलब किया है।

Update:2017-08-30 20:24 IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के गठन न होने पर नाराजगी जताते हुए प्रमुख सचिव, वन विभाग और प्रमुख सचिव, गृह से जवाब तलब किया है।

वहीं दूसरी ओर कोर्ट ने लखीमपुर में दुधवा टाइगर रिजर्व की ओर से दुधवा पार्क के बीचो-बीच से गुजरने वाली रेलवे लाइन को बड़ी लाइन में परिवर्तित किए जाने की रेलवे की योजना पर चिंता जाहिर की है। इस पर कोर्ट ने रेलवे को इस मामले में पक्षकार बनाए जाने के आदेश दिए हैं।यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस डीएस त्रिपाठी की बेंच ने सतीश कुमार मिश्रा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किए।

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याची की ओर से कहा गया कि 2009 में ही नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी ने स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाने के लिए 93 लाख रुपए जारी किए थे लेकिन अब तक इस फोर्स का गठन नहीं हो सका है।

जवाब में दुधवा टाइगर रिजर्व की ओर से कहा गया कि पिछले साल ही फोर्स के लिए 112 पोस्ट की स्वीकृति हो गई थी। जिसमें एक डिप्टी कमांडेंट, तीन सब इंस्पेक्टर, 18 हेड कांस्टेबिल और 90 कांस्टेबिल के पद हैं। लेकिन अब तक इनके चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया नहीं हो सकी है।

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इस पर कोर्ट ने वन विभाग और गृह विभाग के प्रमुख सचिवों को हलफनामा दाखिल कर, इस सम्बंध में स्थिति स्पष्ट करने का आदेष दिया है। सुनवाई के दौरान दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक सुनील चैहान और इटावा सफारी पार्क के निदेशक पिनाकी प्रसाद सिंह मौजूद रहे।

दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक ने कोर्ट के समक्ष दुधवा नेशनल पार्क के बीच से गुजरने वाले मीटर गेज रेलवे लाइन के बड़ी लाइन में परिवर्तित करने की योजना पर चिंता जाहिर की। निदेशक का कहना था कि रेलवे के समक्ष उनकी ओर से एक प्रस्ताव देते हुए, रेलवे लाइन को या तो पार्क के बफर एरिया अथवा पार्क के बाहर से निकालने की मांग की गई है। लेकिन रेलवे ने इस इस सम्बंध में कोई जवाब नहीं दिया है।

मीटर गेज रेलवे लाइन को ब्रॉड गेज रेलवे लाइन में परिवर्तित करने का काम सीतापुर तक लगभग पूरा हो चुका है और जल्द ही पार्क की तरफ भी कार्य शुरू हो जाएगा। उन्होंने जानकारी दी कि अभी मौजूद रेलवे लाइन से गुजरने वाली ट्रेनों से ही दो बाघों, दो हाथियों और 38 हिरनों की मौत हो चुकी है। कोर्ट ने इस तथ्य पर संज्ञान लेते हुए चीफ मैनेजर, उत्तर-पूर्व रेलवे को मामले में पक्षकार बनाने का आदेश दिया। मामले की अग्रिम सुनवाई 13 सितंबर को होगी।

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