ईद-उल-अजहा : योगी के गढ़ में कुछ ऐसे नजर आई बकरीद की धूम
शहर के मुबारक खां शहीद के मजार सहित तमाम ईदगाहों पर सैकड़ो की संख्या में मुस्लिम लोग नमाज पढ़ने आए। आज देशभर में बकरीद की धूम है। हर तरफ मुस्लिम कौम के लोग नमाज के बाद कुर्बानी देकर इस त्यौहार को मनाते नजर आ रहे है। गोरखपुर के सभी मस्जिदों में इ
गोरखपुर: शहर के मुबारक खां शहीद के मजार सहित तमाम ईदगाहों पर सैकड़ो की संख्या में मुस्लिम लोग नमाज पढ़ने आए। आज देशभर में बकरीद की धूम है। हर तरफ मुस्लिम कौम के लोग नमाज के बाद कुर्बानी देकर इस त्यौहार को मनाते नजर आ रहे है। गोरखपुर के सभी मस्जिदों में इसी तरह की भीड़ नजर आ रही है। सभी ने अल्ला तल्ला के आगे सिर झुका कर इबदाद की, और नमाज के बाद घर लौट आए।
बकरीद अल्लाह के प्रति त्याग, आस्था और वफादारी का पर्व है। इस पर्व पर मुस्लिम समाज में कुर्बानी का बहुत महत्व है। मजहबी किताबों के मुताबिक इस दिन की गई कुर्बानी के खून का एक कतरा भी जमीन पर गिरने से पहले अल्लाह उसे कुबूल फरमाता है।
ईद-उल-अजहा की
मान्यता इस प्रकार है:- हजरत इब्राहीम
को ख्वाब में अल्लाह का हुक्म हुआ कि अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान कर दें।- हजरत इब्राहीम की नजर में उनके इकलौते बेटे इस्माइल सबसे प्यारे थे।- उन्होंने बेटे से कहा, मै खुदा की राह में तुमको कुर्बान करना चाहता हूं।
- इस्माइल का जवाब था अब्बा आपको जो हुक्म मिला है उसकी तामील करें। इसके बाद हजरत इब्राहीम अपने बेटे को लेकर मक्का से दूर मीना नामक पहाड़ी पर पहुंचे।
- कुर्बानी देने से पहले इस्माइल ने वालिद से कहा कि बेटे
की मोहब्बत में कहीं आपको मुझ पर छुरी चलाने में संकोच न हो इसलिए अपनी आंखों पर पट्टी बांध लें।- हजरत इब्राहीम ने ऐसा ही किया। इस्माइल जमीन पर
लेट गए। हजरत ने उनकी गरदन पर छुरी चला दी, लेकिन इस दौरान देवदूत जिबरील ने बेटे को वहां से हटा कर उसी जगह एक दुम्बा (बकरा) रख दिया। हजरत इब्राहीम ने आंखों की पट्टी खोली तो सामने बेटे को खड़ा पाया और मौके पर छुरी से हलाल बकरा नजर आया।- इसी के बाद ईद-उल-अजहा के दिन कुर्बानी देने
की परंपरा शुरू हुई, इसको लेकर आज गोरखपुर के बड़ी मस्जिद पर भी नमाज की अदायगी की गई।