गोडसे के महिमामंडन को कैसे लगा पलीता, यहां जानें पूरी खबर
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी और संस्कार भारती की ओर से वाराणसी में रंग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। 27 जनवरी से शुरू होने वाले इस पांच दिवसीय आयोजन के दौरान अलग-अलग नाटकों का मंचन किया जाएगा।
अखिलेश तिवारी
लखनऊ। महात्मा गांधी के मुकाबले गोडसे को महिमा मंडित करने की मुहिम में देश का प्रतिष्ठित अभिनय कला संस्थान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय भी शामिल हो गया है। एनएसडी और संस्कार भारती के संयुक्त प्रयास से आगामी तीस जनवरी यानी महात्मा गांधी के बलिदान दिवस के मौके पर गोडसे नाटक का मंचन करने की तैयारी है। इस नाटक के मंचन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कर्मभूमि वाराणसी को चुना गया है। कांग्रेस ने गोडसे नाटक के मंचन का विरोध किया है और आयोजकों के खिलाफ राजद्रोह की कार्रवाई करने की मांग की है।
वाराणसी में रंग महोत्सव
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी और संस्कार भारती की ओर से वाराणसी में रंग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। 27 जनवरी से शुरू होने वाले इस पांच दिवसीय आयोजन के दौरान अलग-अलग नाटकों का मंचन किया जाएगा। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी केंद्र के निदेशक राम जी बाली के निर्देशन में पहले दिन नाटक सीता वनवास का मंचन किया जाएगा। इसके अगले दिन अंगिरा और तीसरे दिन बुद्धं शरणं गच्छामि का मंचन होगा। महोत्सव के चौथे दिन यानी 30 जनवरी को गोडसे नाटक मंचित किया जाएगा। यह वही दिन होगा जिस दिन महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने हत्या की थी। महात्मा गांधी के बलिदान दिवस को दशकों से भारतवासी गोडसे की निंदा और गांधी की शहादत के तौर पर मनाते आ रहे हैं लेकिन यह पहला मौका होगा जब किसी सरकारी नाट्य संस्थान की ओर से गोडसे पर केंद्रित नाटक का मंचन किया जाएगा।
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नाटक पर मचा बवाल
गोडसे पर केंद्रित नाटक के मंचन प्रस्ताव से गांधी वादीलोग अचरज में हैं। इसका तीखा विरोध कांग्रेस की ओर से किया गया है। प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने गोडसे नाटक के मंचन को राजद्रोह करार दिया है। उन्होंने कहा कि रंग महोत्सव के आयोजकों पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे का महिमामंडन करने वाला नाटक दिखाने को ले कर राजद्रोह की कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें तत्काल जेल भेज जाए।
मंचन हुआ निरस्त
दूसरी ओर इस बारे में नाटक के निर्देशक अर्पित शिघोरे से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि गोडसे नाटक के जरिये वह देश में आजादी मांगने वालों को रेखांकित करना चाहते हैं। इस नाटक का नाम जरूर गोडसे रखा गया है लेकिन इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो गांधी और गोडसे से जुड़ा हो। इसके विपरीत यह भारत के स्वाधीनता संग्राम और आज के दौर में आजादी मांगने वालों के बारे में है। लोगों के विरोध को देखते हुए नाटक का मंचन निरस्त कर दिया गया है। हम लोग दूसरे नाटक के मंचन की तैयारी कर रहे हैं।
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