ग्रेटर नोएडा के 80 गांवों में नहीं होंगे पंचायत चुनाव, याचिका खारिज

Update:2017-07-04 19:29 IST

इलाहाबाद: ग्रेटर नोएडा गौतमबुद्ध नगर के 80 ग्राम जिसे सरकार ने यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में शामिल कर लिया है, वहां पर अब ग्राम पंचायत चुनाव नहीं होंगे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज इन गांवों को यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में शामिल करने के प्रदेश सरकार की अधिसूचना 18सितम्बर 2015 के खिलाफ दायर याचिका को आज खारिज कर दिया। इस याचिका में इस अधिसूचना को निरस्त करने की मांग के साथ-साथ गौतमबुद्ध नगर में ग्राम पंचायतों के हो चुके चुनाव को निरस्त कर नये सिरे से चुनाव कराने के पंचायतीराज विभाग के आदेश को भी चुनौती दी गयी है।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले व न्यायमूर्ति एमके गुप्ता की खण्डपीठ ने श्रीनिवास नागर की याचिका को खारिज कर पारित किया। प्रदेश सरकार की तरफ से स्थायी अधिवक्ता रामानंद पाण्डेय का तर्क था कि याचिका खारिज की जानी चाहिए, क्योंकि मात्र दो याची ग्रेटर नोएडा के 80 गांवों को यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में शामिल करने के सरकार के निर्णय को चुनौती नहीं दे सकते।

कहा गया था, कि गांवों को शामिल करने का निर्णय औद्योगिक विकास विभाग का है और इस विभाग को याचिका में पक्षकार न बनाकर विधिक त्रुटि की गयी है। तर्क था कि ग्रेटर नोएडा के आसपास के जिलों अलीगढ़, गौतमबुद्ध नगर, आगरा, मथुरा, महामायानगर के 1188 गांवों को अप्रैल 2001 में ही यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी के अन्तर्गत शामिल कर लिया गया था, तो यह नहीं कहा जा सकता कि ये गांव स्थानीय प्राधिकरण की सुविधाओं से वंचित था।

कहा गया था, कि सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 243 (क्यू) के अन्तर्गत शक्तियों का प्रयोग कर 80 गांवों को शामिल किया है। जबकि याची के वकील एच.एन.सिंह का तर्क था कि सभी 80 गांव म्यूनिसिपिलिटी की सुविधाओं से वंचित थे। सरकार के मनमाने आदेश से इन सभी 80 गांवों को यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है। औद्योगिक क्षेत्रमें शामिल हो जाने से वहां पंचायत चुनाव नहीं हो सकता।

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