इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व उ.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा बार-बार समय दिए जाने के बावजूद जवाब न दाखिल करने पर सख्त रवैया अपनाया है। पांच-पांच हजार रुपए जमा करने की शर्त पर 25 अगस्त तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
याचिका में लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सचिव व परीक्षा नियंत्रक तथा प्रमुख सचिव नियुक्ति व कार्मिक उ.प्र. को पक्षकार बनाया गया है। कोर्ट ने सभी विपक्षियों से जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा ने दिलीप कुमार की याचिका पर दिया है। मालूम हो, कि आयोग ने कृषि तकनीकी सहायक भर्ती परीक्षा 2013 में लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार के समय पद संख्या बढ़ा दी गई। याची ने सामान्य श्रेणी में आवेदन किया था, उसे 285 अंक मिले। किन्तु सामान्य अभ्यर्थी 307 अंक तक ही साक्षात्कार में आए, जबकि पिछड़े वर्ग से 265 अंक पाने वालों को साक्षात्कार में बुलाया गया है। याची ओबीसी है तो उसने भी पिछड़े वर्ग कोटे में शामिल करने की मांग की। इंकार करने पर चुनौती दी गई है।
कोर्ट ने 30 सितम्बर 2015 को विपक्षियों से छह हफ्ते में जवाब मांगा। दोबारा 18 मई 2017 को जवाब दाखिल करने का समय दिया गया। फिर भी जवाब दाखिल नहीं हुआ तो 02 जून को अंतिम अवसर देते हुए जवाब मांगा। 3 अगस्त को सुनवाई के समय आयोग के अधिवक्ता कोर्ट में मौजूद नहीं थे, तो कोर्ट ने कहा, कि सरकार व आयोग ने अंतिम समय देने के बाद जवाब दाखिल नहीं किया।
कोर्ट ने महानिबंधक कार्यालय को आदेश दिया है कि पांच हजार रूपये जमा करने पर ही इनके जवाबी हलफनामे स्वीकार किए जाएं। याचिका की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।