प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव के हाजिर न होने पर हाईकोर्ट सख्त, 6 मार्च को किया तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राजधानी और प्रदेश की जहरीली होती जा रही हवा पर गम्भीर रुख अपनाते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को 6 मार्च को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। कोर्ट ने पूर्व आदेश के अनुपालन में सदस्य सचिव के शुक्रवार केा हाजिर न होने पर कड़ी नाराजगी जतायी।

Update:2019-03-01 20:51 IST
प्रतीकात्मक फोटो

विधि संवाददाता

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राजधानी और प्रदेश की जहरीली होती जा रही हवा पर गम्भीर रुख अपनाते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को 6 मार्च को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। कोर्ट ने पूर्व आदेश के अनुपालन में सदस्य सचिव के शुक्रवार केा हाजिर न होने पर कड़ी नाराजगी जतायी।

कोर्ट ने कहा कि जब कोर्ट किसी अफसर केा व्यक्तिगत रूप से तलब करती है तो इसका तात्पर्य होता है कि वह अफसर स्वयं व्यक्तिगत रूप से हाजिर हो न कि किसी मातहत अफसर को भेजकर यह कहलवादे कि वह किसी व्यक्तिगत वजह से हाजिर होने में असमर्थ है। कोर्ट ने सदस्य सचिव की ओर से अपर निदेशक के हाजिर होने और उनकी ओर से सदस्य सचिव के न आने के कारण के बावत हलफनामा दायर कर व्यक्तिगत जानकारी देने पर कोर्ट ने अपर निदेशक की खूब खिंचायी की। कोर्ट ने बोर्ड के वकील के गैरपेशवराना अंदाज पर भी नाराजगी जताई।

यह आदेश जस्टिस शबीहुल हसनैन व जस्टिस सी0डी0 सिंह की बेंच ने सक्षम फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से दाखिल एक जनहित याचिका पर पारित किया। दरअसल पिछली सुनवायी पर कोर्ट ने शहर व पूरे प्रदेश में प्रदूषण की बढ़ती समस्या पर चिंता जताते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को तलब कर पूंछा था कि सरकार इस मामले में क्या उपचारात्मक कदम उठा रही है।

इस सिलसिले में सहयोग के लिये कोर्ट ने बोर्ड के सदस्य सचिव को शुक्रवार केा तलब किया था। कोर्ट ने उन्हें इस सम्बंध में रिकॉर्ड और स्टडीज साथ लाने को कहा था। शुक्रवार केा सदस्य सचिव की ओर से हाजिरी माफी की अर्जी आने पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जतायी और उन्हें फिर से 6 मार्च को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है।

उल्लेखनीय है कि याचिका में मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर राजधानी में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने का मुद्दा उठाया गया है। पेट्रोल पम्पों से उत्पन्न होने वाले कैसर कॉजिंग फ्युंस का मामला उठाते हुए याचिका में कहा गया है कि पिछले 50 वर्षों में जहां प्रदेश में मात्र छह हजार पम्प थे वहीं अभी नौ हजार पम्प और खुलने जा रहे हैं, इससे समस्या और भी विकराल हो जाएगी।

याचिका में पम्पों पर वेपर रिकवरी सिस्टम भी लगाने की मांग की गई है। मामले पर पिछली सुनवायी के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि लोगों और आने वाली पीढी का जीवन दांव पर है। प्रदूषण किसी नरसंहार से अधिक मात्रा में लाखों लोगों की जिंदगी निगल जाता है।

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