अंशकालिक अनुदेशकों को मानदेय देने पर तीन माह में बोर्ड ले ‎फैसला: हाईकोर्ट 

Update:2018-07-19 21:29 IST

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने अंशकालिक अनुदेशकों को घोषित मानदेय देने के मामले में शिक्षा योजना बोर्ड की कार्यपालक समिति को 3 माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची अनुदेशकों से समिति को प्रत्यावेदन देने को कहा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी ने पल्लवी प्रिया की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची का कहना है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सर्व शिक्षा अभियान के तहत 17 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय पर अंश कालिक अनुदेशकों की नियुक्ति की योजना लागू की गयी। किन्तु प्रदेश में कार्यकारिणी समिति ने मनमाने तौर पर 9800 रूपये मानदेय ही स्वीकृत किये है, जो योजना के विपरीत है।कोर्ट ने याची को सुनकर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

कोर्ट की अन्‍य खबरें

हाईकोर्ट : एससी सर्टिफिकेट फार्मेट में न होने पर सामान्य अभ्यर्थी मानना गलत

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र यदि फार्मेट में नहीं है, तो इस कारण से उसे सामान्य अभ्यर्थी नहीं माना जा सकता। कांस्टेबल भर्ती में पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा याची को आरक्षित श्रेणी में स्वीकार करने से इंकार करना उचित नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह याची को अनुसूचित जाति का मानते हुए आदेश पारित करें। इसके साथ ही स्प्ष्ट किया है कि जाति प्रमाणपत्र की जाँच नियुक्ति पत्र जारी करते समय की जा सकती है। किंतु फार्मेट में न होने से सरकारी अधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र मानने से इंकार करना उचित नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने अजीत कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आर श्रीवास्तव ने बहस की। याची का कहना था कि उसने निर्धारित न्यूनतम अंक से अधिक अंक प्राप्त किये है। फिर भी उसे दस्तावेज सत्यापन व मेडिकल जांच के लिए नहीं बुलाया गया है। सरकारी वकील का कहना था कि गौरव शर्मा केस के फैसले के अनुसार फार्मेट में जाति प्रमाणपत्र न होने से अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में माना जायेगा। किन्तु कोर्ट ने इस फैसले को इस केस पर लागू नही माना। कोर्ट ने कहा कि एस सी अभ्यर्थी ओ बी सी से भिन्न है। क्रीमीलेयर के सिद्धांत इन पर लागू नहीं होते। अथॉरिटी प्रमाण पत्र का सत्यापन कर सकती है।किंतु उसे तकनीकी आधार पर अस्वीकार नही कर सकती।

शिक्षक भर्ती पर रोक रद्द होने के बाद भी नहीं शुरू हुई भर्ती, हाईकोर्ट मांगी रिपोर्ट

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती पर लगी रोक रद्द होने के बाद भी शुरू न करने पर दाखिल अवमानना याचिका पर राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा परिषद से जानकारी मांगी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने दीपिका सिंह की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है। कोर्ट ने ने जानना चाहा है कि आदेश का अनुपालन अब तक क्यों नहीं किया गया। एडवोकेट सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि भाजपा सरकार ने 2017 में सभी शिक्षक भर्तियों पर रोक लगा दी थी। इसके विरुद्ध याचिका दाखिल होने पर हाईकोर्ट ने रोक का आदेश रद्द करते हुए दो माह में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया। सरकार ने विशेष अपील में इस आदेश को चुनौती दी, जो 12 अप्रैल 2018 को खारिज हो गई और भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश बरकरार रहा। आरोप है कि उसके बाद भी अब तक भर्ती नहीं शुरू की गई। याचिका के अनुसार याची ने 32 हजार अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती में आवेदन किया है। भर्ती न शुरू होने से उसका चयन नहीं हो रहा है। इसी तरह सहायक अध्यापकों की क्रमश: 12460, 16448 व 29334 पदों की भर्ती भी अटकी हैं।

आयोग ने आरओ, एआरओ भर्ती प्रतीक्षा सूची आदेश वापसी की माँग की

इलाहाबाद:लोक सेवा आयोग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आरओ, एआरओ भर्ती की प्रतीक्षा सूची जारी करने के आदेश को वापस लेने की मांग की है। आयोग का कहना है कि प्रतीक्षा सूची जारी करने का आदेश एक खंडपीठ से रद्द हो चुका है इसलिए अन्य दो मामलों में हुआ इसी प्रकार का आदेश वापस लिया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति बी अमित स्थलकर एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने इस अर्जी पर सुनवाई के लिए 20 अगस्त की तारीख लगाई है। अधिवक्ता अमित कुमार के अनुसार आरओ, एआरओ के 433 पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 43 पद रिक्त रह गए। आयोग ने इन पदों के लि कोई प्रतीक्षा सूची नहीं जारी की तो अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर आयोग का कहा था कि 1999 के शासनादेश में प्रतीक्षा सूची नहीं जारी करने को कहा गया है। त्रिलोकीनाथ के मामले में हाईकोर्ट ने इस शासनादेश को रद्द करते हुए प्रतीक्षा सूची जारी करने का निर्देश दिया। इसके बाद दो अन्य याचिकाओं पर भी प्रतीक्षा सूची जारी करने का आदेश हुआ। गत 11 जुलाई को सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से किसी के उपस्थित न होने पर कोर्ट ने आयोग के सचिव को तलब किया। अगली सुनवाई पर आयोग के अधिवक्ता ने बताया कि त्रिलोकीनाथ केस का आदेश विशेष अपील में निरस्त हो चुका है। दो अन्य मामलों में पारित इसी आदेश के लिए रिकॉल अर्जी दाखिल हुई है।

Similar News