इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने फायरमैन व जेल वार्डरों की भर्ती प्रक्रिया 4 माह में पूरी करने राज्य सरकार को निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने विष्णु सिंह व 2 अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता जटा शंकर पांडेय का कहना था कि 2016 में पद विज्ञापित किया गया। किन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी। कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी। सरकार की तरफ से बताया गया कि नियमावली में हुए संशोधन के कारण योग्यता मानक में बदलाव हुआ है। इसलिए विज्ञापन निरस्त कर नए सिरे से पद विज्ञापित किये जायेंगे। जिन लोगों ने 2016 की भर्ती विज्ञापन में आवेदन दिया है, उन्हें आयु सीमा में छूट दी जायेगी। इसके साथ ही उन्हें परीक्षा फ़ीस भी जमा नहीं करनी पड़ेगी। कोर्ट ने सरकार द्वारा दी गयी जानकारी के बाद निर्देश देते हुए याचिका निस्तारित कर दी है।
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हाईवे बनाने में घोटाला, सरकार से तीन सप्ताह में जवाब-तलब
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने कौशाम्बी जिले में मूरतगंज से राजापुर हाईवे संख्या 94 के पुनर्निर्माण में 370 लाख रूपये के टेंडर प्रक्रिया में धांधली के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा है और विपक्षी वन्सल हाई वे इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड और ए पी एस कंस्ट्रक्शन कम्पनी को नोटिस जारी की है। फ़िलहाल कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता की खंण्डपीठ ने मेसर्स ध्यान सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अरविन्द कुमार मिश्र ने बहस की। याची का कहना है कि अप्रैल 18 में टेंडर निकाला गया और 11 मई तक आवेदन देने की अंतिम तिथि तय थी। 3 जून को टेंडर खोला गया। जिसमें बंसल हाई वे इंफ्राटेक की निविदा स्वीकार कर ली गयी। याची का यह भी कहना है कि ए पी एस कंस्ट्रक्शन का टेंडर तकनीकी खामी के चलते निरस्त हो गया। बंसल ने जो बैंक गारंटी दी थी, वह सशर्त थी। 28 मई को टेंडर जमा करने की तिथि समाप्त होने के बाद बंसल से हलफनामा लेकर उसे टेंडर दे दिया गया। जबकि याची के टेंडर में कोई खामी नही थी फिर भी उसे नहीं दिया गया।
आयुष चिकित्सकों की भर्ती के परिणाम पर रोक
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं कुष्ठ निवारण कार्यक्रम के तहत आयुष चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया पर हस्तक्षेप न करते हुए अंतिम चयन परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही साथ राज्य सरकार से याचिका पर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने इससे पहले 2015 की भर्ती परिणाम घोषित करने की मांग में विचाराधीन याचिका के साथ इस याचिका को पेश करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति बी अमित स्थालेकर तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंण्डपीठ ने डॉ राम लखन गुप्ता व अन्य की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता संजय कुमार मिश्र का कहना था कि 2014-15 की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया। याचियों ने आवेदन किया। किन्तु मंत्री के कहने पर भर्ती रोक दी गयी। बाद में लगी रोक हटा ली गयी। याची ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर परिणाम घोषित करने की मांग की। कोर्ट ने सी एम ओ जौनपुर को 15 फरवरी 2017 तक परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया। 2 दिसम्बर 2016 की एक कमेटी की रिपोर्ट के चलते परिणाम घोषित नहीं किया गया। तो दुबारा याचिका दाखिल की गयी। जिस पर बताया गया कि कमेटी की रिपोर्ट के कारण परिणाम घोषित नही किया गया। इसके बाद में 18 जून 18 को नया विज्ञापन जारी कर दिया गया। जिसे इस याचिका में यह कहते हुए चुनौती दी गयी है कि पिछली भर्ती के पद बिना भर्ती निरस्त किये दूसरी भर्ती में शामिल नही किये जा सकते। कोर्ट ने भी सरकार से जानना चाहा है कि एक भर्ती पूरी किये बगैर दूसरी भर्ती कैसे निकाली जा सकती है।कोर्ट ने जवाब मांगा है।याचिका की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
हाईकोर्ट में केन्द्र की दलील : विद्युत कम्पनियों के घाटे पर मंत्रालय दो हफ्ते में लेगे निर्णय
इलाहबाद: हाईकोर्ट ने विद्युत उत्पादन कम्पनियों को एन पी ए घाटे से उबारने की कमेटी की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार से दो हफ्ते में लिए गए निर्णय की जानकारी तलब की है। याचिका की सुनवाई 2 अगस्त को होगी।कम्पनियों का सरकारी विभागों पर एक लाख करोड़ रूपये से अधिक का बकाया है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी बी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंण्डपीठ ने इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की याचिका पर दिया है। विद्युत् उत्पादन कम्पनियो की एन टी पी सी सहित सरकारी विभागों के करोड़ो रूपये के बकाये के चलते हालत खस्ता हो गयी है। संसदीय कमेटी की रिपोर्ट में कम्पनियो को घाटे से उबारने के उपाय करने की शिफारिश की है।कोर्ट ने इसी पर निर्णय लेने का केंद्र सरकार को आदेश दिया है। सरकारी विभागों के बकाये के कारण वे बंदी के कगार पर है। सरकारी विद्युत् उत्पादन कम्पनियां एन टी पी सी के जरिये विद्युत आपूर्ति करती है। जो विभागों से मूल्य लेकर कम्पनियो को देती है।विभागों द्वारा बकाये का भुगतान न करने के कारण एन टी पी सी कम्पनियों को भुगतान नही कर पा रही है। उधर बैंकों के लोन बकाये की वसूली के लिए रिजर्व बैंक ने सर्कुलर जारी किया है। जिस पर यह याचिका दाखिल की गयी है। भारत सरकार का कहना है कि मामला विद्युत् मंत्रालय में विचाराधीन है। इस पर कोर्ट ने एक हफ्ते में निर्णय लेकर कोर्ट को बताने को कहा है। याचिका की सुनवाई 2 अगस्त को होगी।