लखनऊ: अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने छेड़खानी के एक मामले में साढ़े तीन से प्रकरण केा दबाये बैठे रहने व आरोप पत्र दाखिल नहीं करने तथा दूसरे थाने में तबादला होने के बावजूद आरोप पत्र अपने पास ही रखने पर एसआई अनिरुद्ध यादव के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्यवाही का आदेश दिया है। उन्होंने इस बावत एससपी को एक पत्र जारी किया है। कहा है कि एसआई अनिरुद्ध यादव के खिलाफ की गई कार्यवाही से पांच अक्टूबर तक अदालत को अवगत कराया जाए। एसआई अनिरुद्ध यादव इस समय नगराम थाने में तैनात हैं।
यह भी देखें...देखिए कैसे ऑन ड्यूटी जाम छलकाते हैं यूपी पुलिस के ये नशेड़ी
उन्होंने इसके साथ ही इस मामले की विधि सम्मत अग्रिम विवेचना करने का आदेश एसओ गोसाईगंज को दिया है। कहा है कि एक माह में विवेचना की रिपोर्ट अदालत में पे्रषित करें।
16 जनवरी, 2015 को छेड़खानी व मारपीट के एक मामले की एफआईआर थाना गोसाईगंज में दर्ज हुई थी। दारोगा अनिरुद्ध यादव इस मामले की विवेचना कर रहे थे। लेकिन उन्होंने पीड़िता का न तो खुद और न अदालत में ही बयान दर्ज कराया। इस दरम्यान 16 जुलाई, 2015 को उनका तबादला नगराम थाने पर हो गया। लेकिन तबादले के बाद भी विवेचक अनिरुद्ध इस मामले की सम्पूर्ण पत्रावली मय आरोप पत्र अपने पास रखे रहे। इधर, पीड़िता की अर्जी पर अदालत ने इस मामले की प्रगति रिपोर्ट तलब की। लेकिन वह अदालत के इस आदेश की उपेक्षा करते रहे। तब अदालत ने उनके खिलाफ नोटिस जारी किया। इस पर वह मय आरोप पत्र अदालत में उपस्थित हुए। आरोप पत्र महज मारपीट व जानमाल की धमकी की धाराओं में था और वह कालबाधित भी हो चुका था। अदालत ने उन्हें कर्तत्य भंग का दोषी पाया और उनके खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्यवाही के लिए एसएसपी को पत्र जारी किया।
यह भी देखें...चोटी काटने का मामला, यूपी पुलिस ने जारी की एडवाइजरी