सुरक्षा सुविधाओं के मामले में फुस्स लखनऊ एक्सप्रेस-वे, तो टोल टैक्स इतना क्यों?
लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर टोल शुरू करने की बात से ही वहां पसरी असुविधाओं पर चर्चा शुरू हो गई है। आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन ने बिना सुविधाओं के लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर टोल लगाये जाने का विरोध किया है। एक्सप्रेस-वे शुरू होने के बाद भी कई व्यवस्थाएं अधूरी छोड़ दी गई हैं। ना तो अनधिकृत कट बंद किये गये हैं, ना ओवर स्पीड की जांच के उपकरण लगाये गए हैं। गति सीमा उ
आगरा: लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर टोल शुरू करने की बात से ही वहां पसरी असुविधाओं पर चर्चा शुरू हो गई है। आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन ने बिना सुविधाओं के लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर टोल लगाये जाने का विरोध किया है। एक्सप्रेस-वे शुरू होने के बाद भी कई व्यवस्थाएं अधूरी छोड़ दी गई हैं।
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ना तो अनधिकृत कट बंद किये गये हैं, ना ओवर स्पीड की जांच के उपकरण लगाये गए हैं। गति सीमा उल्लंघन करने वालों के लिए दण्ड की चेतावनी तक अंकित नहीं की गई है। पूरे एक्सप्रेस-वे पर जनसुविधा केंद्रों का निर्माण अभी तक अधूरा पड़ा है। इतना ही नहीं, मार्ग में कहीं भी हैल्पलाइन टेलीफोन नम्बर अंकित नहीं है।
रात में सफ़र बन रहा है खतरा
- रात में इस एक्सप्रेस-वे पर यात्रा करने वाले लोग भयभीत रहते हैं। सुरक्षा के अभाव में रोड होल्डिंग की कई घटनायें हो चुकी हैं।
- हाल में कोहरे के कारण एक्सप्रेस-वे पर लगभग बीस वाहन भिड़ गए थे। घायलों के लिए अभी तक एंबुलेंस की व्यवस्था नजर नहीं आती है।
- कोहरे को लेकर वाहन चालकों को सचेत करने के भी इंतजाम नहीं हैं। इन अधूरे इंतजामों के बीच इस तीन सौ तीन किलोमीटर लम्बे एक्सप्रेस-वे पर टोल टैक्स की वसूली शुरू किये जाने का विरोध होने लगा है।
गौरतलब है कि एक्सप्रेस-वे पर कई अनधिकृत कट हैं, जिनके कारण गाय आदि जानवर एक्सप्रेस-वे पर चढ़ आते हैं। साइकिलें व मोटर साइकिलें भी यहां प्रवेश करती हैं, जिसके चलते कई घटनाएं हो चुकी हैं।
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तेज गति पर नहीं है लगाम
- एक्सप्रेस-वे पर छोटे वाहनों के लिए गति सीमा 100 किमी प्रति घंटा है मगर प्राय: वाहन 130-140 प्रति घंटे की गति से चलते हैं।
- यहाँ पर गति सीमा को चेक करने व चालान की कोई व्यवस्था नहीं है। तेज गति के वाहनों को रोकने के लिए यमुना एक्सप्रेस-वे की भांति यहां भी ऑटोमेटिक नम्बर प्लेट रीडर कैमरे व गति सीमा रिकॉडर्गिं इक्युपमेन्ट लगाये जाने की जरूरत है।
यह है जरूरतें:
- सेन्ट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) द्वारा यमुना एक्सप्रेस-वे पर प्रत्येक पांच किमी की दूरी पर स्पीड अरेस्टर लगाने की संस्तुति की थी।
- आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर भी इसी अनुपात में स्पीड अरेस्टर लगाये जाने की जरूरत है।
- एक्सप्रेस-वे पर जनसुविधा केंद्र अभी बन रहा है। इन्हें शीघ्र पूरा करा दिया जाए तो वाहनों को यहां रुकने की वजह मिल सकेगी।
- इस एक्सप्रेस-वे की लम्बाई को देखते हुए यहां कम से कम चार-चार जनसुविधा केंद्र खोले जाने की जरूरत है।
- यमुना एक्सप्रेस-वे पर न केवल प्राधिकरण द्वारा एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई है, बल्कि कोहरा होने पर लाउडस्पीकर के माध्यम से वाहन चालकों को सचेत भी किया जाता है।
- लखनऊ एक्सप्रेस-वे को भी इसकी दरकार है। साथ ही इस एक्सप्रेस वे पर प्रदूषण तथा हैडलाइट के रफ्लिेक्शन को बचाने हेतु डिवाइडर पर सघन हरियाली का अभाव है।
- यहां दुर्घटनाओं के आंकड़े संकलित करने की भी जरूरत है, इससे वाहन चालक हादसों की संभावनाओं से अवगत हो सकेंगे।
एडीएफ ने सीएम को भेजा पत्र
एडीएफ के सचिव के.सी. जैन ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि बिना सभी इंतजामों के टोल की वसूली बेमानी है। उन्होंने पूरी सुविधाओं के साथ टोल वसूली शुरू करने और हादसों के हताहतों की मदद के लिये टोल राशि बढ़ाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि करीब दस या बीस रुपये अतिरक्ति लेकर हताहतों को कम से कम पांच लाख रुपये का भुगतान किया जाना चाहिये। एडीएफ के अध्यक्ष पूरन डावर एवं संयुक्त सचिव राकेश गर्ग ने भी टोल लगाये जाने से पूर्व समस्त सुविधायें व सुरक्षा के इंतजाम करने के मांग की है।