Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित परीक्षा समिति की बैठक में किए गए ये प्रमुख बदलाव

Lucknow University: विश्वविद्यालय द्वारा मूल्यांकित उत्तर पुस्तिकाओं को दिखाये जाने की व्यवस्था के अनुसार ओएमआर आधारित परीक्षाओं की ओएमआर नियमानुसार आवेदन के उपरान्त दिखाये जाने का निर्णय लिया गया।;

Written By :  Anant kumar shukla
Update:2022-12-06 21:24 IST

Lucknow University (Social Media)

Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय मे आज परीक्षा समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में महाविद्यालय द्वारा होने वाले आगामी परीक्षा में बदलाव किए गए हैं। बैठक में किए गए फैसले के अनुसार अब विश्वविद्यालय द्वारा मूल्यांकित उत्तर पुस्तिकाओं को दिखाये जाने की व्यवस्था के अनुसार ओएमआर आधारित परीक्षाओं की ओएमआर सीट नियमानुसार आवेदन के उपरान्त दिखाये जाने का निर्णय लिया गया। पहले की तरह ही थ्योरी आधारित परीक्षाओं में निर्धारित प्रश्नों की संख्या 10 रखी गयी है, जिसमें 5 प्रश्न करने अनिवार्य होगे। अध्ययन मण्डल द्वारा संस्तुत विशेषज्ञों की सूची में सम्बन्धित विषयों के महाविद्यालयों के शिक्षकों को आवश्यकतानुसार परीक्षा नियंत्रक को कुलपति से स्वीकृत प्राप्त कर परीक्षक उपलब्ध कराये जायेंगे।

राजकीय एवं अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों को महाविद्यालय में आयोजित प्रायोगिक परीक्षाओं में आतंरिक परीक्षक नियुक्त किया जायेगा। स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों में 03 वर्ष से अधिक समय से अनुमोदित एवं कार्यरत शिक्षकों को महाविद्यालय में आयोजित प्रायोगिक परीक्षाओं में आंतरिक परीक्षक नियुक्त किया जायेगा।

छात्रों ने नजदीक से देखा चंद्रमा, जाना क्रेटरों का राज

लखनऊ विश्वविद्यालय में मंगलवार को खगोल विज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अलका मिश्रा एवं छात्रों ने सेलेस्टृान टेलीस्कोप द्वारा चंद्रमा की सतह को ध्यान से देखने का सुअवसर विश्वविद्यालय के सभी छात्रों को प्राप्त कराया। टेलीस्कोप द्वारा चंद्रमा को देखकर सभी मंत्रमुग्ध हो गए थे,विशेष रूप से इसकी सतह पर मौजूद अनेकों क्रेटर (चंद्रमा पर मौजूद गड्ढे) देखकर। सतह पर दक्षिण की ओर मौजूद टायको क्रेटर (व्यास 85 किलोमीटर) स्पष्ट रूप से दिखा। चंद्रमा की सतह पर बना हुआ यह एक नया क्रेटर है जिसकी उम्र लगभग 108 मिलियन वर्ष है। इसकी उम्र का अंदाजा अपोलो 17 द्वारा लाए गए नमूनों के परीक्षण के द्वारा लगाया गया।


डॉ अलका मिश्रा ने लोगों को बताया की कैसे अनेक उल्कापिंड चंद्रमा पर वायुमंडल की गैरमौजूदगी की वजह से सतह से टकराकर उस पर गड्ढे बना देते हैं जिन्हें हम क्रेटर कहते हैं। इन क्रेटरो का व्यास कुछ मीटरों से लेकर हजारों किलोमीटर तक हो सकता है। प्लैटो क्रेटर जिसका व्यास 109 किलोमीटर है उत्तर की ओर मौजूद दिखा। कोपरनिकस (व्यास 93 किलोमीटर) नाम का क्रेटर भी स्पष्ट रूप से टेलीस्कोप द्वारा दिखाई दे रहा था। एस्ट्रोनॉमी के छात्रों ने बताया कि चंद्रमा पर करीब 83000 क्रेटर मौजूद हैं जिनका व्यास 5 किलोमीटर से ज्यादा है।लोग हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि चंद्रमा की दूरी पृथ्वी से लग‌भग 384000 किलोमीटर है तथा पृथ्वी चंद्रमा से 6 गुना बड़ी है। लोगों ने यह जानकारी प्राप्त करी कि चंद्रमा पर मौजूद धब्बों को लूनर मारिया कहते हैं । एस्ट्रोनॉमी के विद्यार्थियों ने टेलिस्कोप द्वारा चंद्रमा की तस्वीरें प्रोसेसिंग के लिए ली तथा सतह पर मौजूद क्रेटर की मैपिंग की । टेलिस्कोप द्वारा चंद्रमा को देखने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में चंद्रमा को देखने के लिए भारी संख्या में लोग मौजूद थे ।यह एक अद्भुत दृश्य था‌ जिसका विश्वविद्यालय के सभी विषयों के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने बहुत देर तक नजारा लिया। डॉ अल्का मिश्रा ने लोगों की जिज्ञासा देख आने वाले दिनों में भी इसी तरह के दिलचस्प, रोचक एवं ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित कराने का आश्वासन दिया ।

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