गोरखपुर : खुशनसीब होते हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं, मर कर भी वह लोग अमर शहीद हो जाते हैं। करता हूं सलाम ए वतन पर मिट जाने वाले, तेरी हर सांस के कर्जदार है हम। देशभक्ति की इसी भावना से ओतप्रोत होकर देश पर प्राण निछावर करने वाले गोरखपुर के लाल सीआरपीएफ सब इंस्पेक्टर 50 वर्षीय साहब शुक्ला की शहादत पर कही गई थी।
श्रीनगर के पंथा चौक पर 24 जून को सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी पर पाकिस्तानी लश्कर आतंकियों के हमले का जवाब देने के दौरान शहीद हुए गोरखपुर के साहब शुक्ला के हत्यारों को चंद घंटे बाद ही सुरक्षा बलों ने ढेर कर दिया था। हमले के बाद आतंकी पास के ही श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे पर स्थित एक निजी स्कूल की इमारत में जा घुसे थे। सेना सीआरपीएफ और पुलिस ने उनकी घेराबंदी कर घर में करीब 3:30 बजे मोर्चा लेकर भीतर छुपे दोनों आतंकियों को भून दिया था।
25 जून को गोरखपुर शहीद के पार्थिव शरीर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ लाया गया, फिर अगली सुबह प्रदेश के सिचाई मंत्री धर्मपाल सिंह के नेतृत्व में सम्मान के साथ उसने पैतृक गांव मझ्गावा ले जाया गया जहां शहीद को अंतिम विदाई दी गई। 12 दिनों तक कोई ना कोई नेता व अधिकारी शहीद के घर आश्वासन देने आता रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी परिवार से मिले वादा भी किया लेकिन अभीतक परिवार को कोई मदद नहीं मिल सकी है।
साहब शुक्ला की पत्नी शोभा कहती हैं शहीद होने के बाद तमाम लोग आए और सभी ने कुछ ना कुछ करने का आश्वासन ही दिया यहां के मौजूदा विधायक भी घर पर आए और उन्होंने इस कालोनी का नाम उनके नाम पर रखने को कहा था इस संबंध में खुद उनसे मिली लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ भी नही मिला। सीएम ने खुद कहा था कि जो भी सम्भव मदद होगी वो करेंगे लेकिन आज तक कुछ भी नही हुआ। हम सीएम को याद दिलाना चाहेंगे कि उन्होंने हमसे वादा किया वो अभी पूरा नहीं हुआ है।
शोभा ने कहा सेना में जो भी लोग हैं उनकी सेलरी बहुत कम है। इतने कम पैसे में एक फौजी अपने परिवार को अच्छे से भरण पोषण नही कर सकता।