भय में गुजरती है यूपी के 6 हजार ग्रामीणों की रात, ये है रोंगटे खड़े कर देने वाली हकीकत

यूपी के आगरा में राजस्थान बॉर्डर पर एक ऐसा भी गांव है, जहां छह हजार ग्रामीणों की रात भय के साये में गुजरती है। अवैध खनन ने उनका जीवन नारकीय बना दिया है।

Update:2017-06-11 16:57 IST
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लखनऊ: यूपी के आगरा में राजस्थान बॉर्डर पर एक ऐसा भी गांव है, जहां छह हजार ग्रामीणों की रात भय के साये में गुजरती है। अवैध खनन ने उनका जीवन नारकीय बना दिया है। वहां प्रतिबंधित विस्फोटक का प्रयोग कर पहाड़ तोड़ा जा रहा है। उसके विस्फोट से गांव की जमीनें थर्रा उठती हैं। प्राइमरी स्कूल जमींदोज हो गया। प्रदूषण की चपेट में आकर तमाम ग्रामीण रोगों की गिरफ्त मे हैं। विस्फोट की दिल दहला देने वाली आवाज से गर्भवती महिलाओं का जीवन भी खतरे में है। इन सबके बावजूद सरकार और उसके मातहतों के कानों पर भय में जी रहे ग्रामीणों की कराहती आवाजें कोई असर नहीं कर रही हैं।

गर्भवती महिला का गिरा गर्भ

हम बात कर रहे हैं राजस्थान की सीमा पर स्थित आगरा के खेरागढ़ तहसील के गांव कुल्हाड़ा की। स्थानीय ग्रामीण पंचम का कहना है कि विस्फोट की तीव्रता इतनी तेज होती है कि उससे गर्भवती महिलाओं का गर्भ भी गिर जाता है। ऐसी ही एक घटना दस्तावेजों में दर्ज है। इसके मुताबिक 12 जून 2016 को विस्फोट की आवाज से एक महिला का गर्भ गिर गया। उनका कहना है कि पशु भी इससे सुरक्षित नहीं है। विस्फोट की वजह से आए दिन पशुओं के गर्भ ​गिर जाते हैं।

गांव छोड़ने को मजबूर हैं ग्रामीण

खनन पट्टे में दी गई शर्तों के अनुसार खनन के लिए विस्फोटक का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। पर पहाड़ तोड़ने में प्रतिबंधित विस्फोटक का प्रयोग किया जाता है। स्थानीय ग्रामीण लक्ष्मण सिंह का कहना है कि विस्फोट के कारण मिर्जपुरा, कुशालगढ़, नगलापुंछड़ी गांवों के मकानों में दरार पड़ गई है। कई सरकारी व निजी इमारतें क्षतिग्रस्त हो गयी हैं। गांव में हमेशा न्यूसेन्स बना रहता है। विस्फोट के कारण रात में सोते समय भी जीवन का भय बना रहता है। अवैध खनन के भारी वाहनों के आने जाने से सड़कें इस कदर टूट चुकी हैं कि उन पर आवागमन संभव नहीं है। हालात यह है कि ग्रामीण अपना गांव छोड़ने को मजबूर हैं।

हिल जाती हैं घर की दीवारें, नष्ट हो रहीं फसलें

उनका कहना है कि विस्फोट से 100 से 150 फीट गहरा गडढा बनता है। जो ग्रामीणों के घरों की दीवारों को हिला देती हैं। ब्लास्ट के बाद गांव में तूफान जैसे हालात बन जाते हैं। इससे निकलने वाले धूल और पत्थर के टुकड़े फसलों को तहस-नहस कर रहे हैं। आलम यह है कि ग्रामीण आशंका के बीच रात गुजारते हैं।

इन गांवों के छह हजार ग्रामीण हैं प्रभावित

कुल्हाड़ा, नेवला पूंछरी, मिर्जपुरा, नगलापुंछड़ी, कुशालगढत्र, डाढ़ा, ओहलीपुर, गढ़ीतुर्सी, भूसियाना गांव में बसने वाली छह हजार आबादी इस अवैध खनन से उपजे नरक को झेल रही है।

900 साल पुराना ग्वाल मंदिर भी टूटा

कुल्हाड़ा गांव स्थित पहाड़ पर 900 साल पुराना प्रसिद्ध ग्वाल मंदिर भी है। खनन माफियाओं ने उसे भी नहीं बख्शा। अब पहाड़ पर सिर्फ उसके अवशेष देखे जा सकते हैं। जबकि इसी गांव में अप्रैल माह में प्रसिद्ध ग्वाल बाबा का मेला लगता है। जिसमें 10 से 12 हजार स्थानीय श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। यह श्रद्धालु ग्वाल बाबा के दर्शन करने पहाड़ पर जाते हैं। पर अवैध खनन की वजह से मंदिर तक जाने का रास्ता भी सुरक्षित नहीं रह गया है।

पूर्व मंत्री राम सकल गुर्जर के दबाव में हुआ खेल

अखिलेश सरकार में ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की थी। उस समय यूपी और राजस्थान बार्डर पर सीमांकन के आदेश भी हुए थे। अधिकारियों की मौजूदगी में पैमाइश भी हुई। इसमें यूपी की सीमा राजस्थान की सीमा के अंदर 84 मीटर पायी गई। ग्रामीणों का आरोप है कि इसके बावजूद पूर्व मंत्री रामसकल गुर्जर के दबाव में आकर तत्कालीन डीएम पंकज कुमार और एसडीएम नेहा जैन ने यह जमीन राजस्थान के खनन माफियाओं के हाथ बेंच दी। उसके बाद गांव वालों के शिकायत की कोई सुनवाई नहीं हुई।

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