''शहीद की अंत्येष्टि का न बनाया जाए राजनीतिक फोटो सेशन''
डेरा डंबर पानी के स्टाल और कुर्सियां लेकर हुए चंपत शहीद के पिता प्लेटफार्म पर बैठकर देखते रहे अपनी बेटे की जलती हुई चिता। सुबेदार पवन सिंह ने बताया कि किस तरह शहीद का परिवार हर रोज कुर्बानी देता है।
रायबरेली जयहिंद युवा सेना की सैनिक प्रकोष्ठ की बैठक में हमेशा यह बात उठती रही है कि शहीद की अंत्येष्टि को सम्मान पूर्वक की जाये जयहिंद युवा सेना की मांग की शहीद की शहादत को ना बनाए जाये राजनीतिक फोटो सेशन ।
प्रशासन की संवेदनहीनता भी देखने को मिली
एसडीएम डलमऊ और नगर पंचायत डलमऊ की संवेदनहीनता शहीद शैलेंद्र सिंह की पूरी तरह चिता जलने से पहले ही उठाया। डेरा डंबर पानी के स्टाल और कुर्सियां लेकर हुए चंपत शहीद के पिता प्लेटफार्म पर बैठकर देखते रहे अपनी बेटे की जलती हुई चिता। सुबेदार पवन सिंह ने बताया कि किस तरह शहीद का परिवार हर रोज कुर्बानी देता है।
शहादत, शहादत, शहादत
ये शब्द जब जहन में आता है तो सिर गर्व से उठ जाता है। शहीद की शहादत पर हर किसी को नाज होता है। परिवार में माता, पिता, बच्चे, पत्नी, बहन, भाई, दोस्त के साथ हर किसी को शहीद पर गर्व होता है। समाज भी उसे गर्व की नजर से देखता है लेकिन इस शहादत के पीछे कई जिंदगियां ऐसी होती है जो प्रतिक्षण कुर्बानी देती है।
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बच्चों को पिता का प्यार नहीं मिलता
बुढ़ापे की माता पिता की लाठी टूटती है तो बच्चों को पिता का प्यार नहीं मिलता। पत्नी को पति का दुलार नहीं मिलता तो बहन को रक्षा करने वाला भाई नहीं मिलता। भाई को उसका मददगार नहीं मिलता। दोस्त को उसकी दोस्ती नहीं मिलती। उसकी कमी पूरे परिवार को हर समय सलाती है। इससे हम सब कुछ दिनों बाद भूल जाते हैं लेकिन शहीद का परिवार प्रतिक्षण उसकी कमी को महसूस करता है।
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हम सब शहीदों के परिजनों की पीड़ा को अगर हर समय समझे तो शायद कुछ उनकी कमी को दूर कर सकें। रिटायर सूबेदार पवन सिंह ने इन तस्वीरों पर देखते ही उनका खून खौल उठा और उन्होंने कहा यह बहुत ही निंदनीय है शहीद का सम्मान सदैव बना रहेगा वही जब यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने एसडीएम ने एसडीएम डलमऊ को दोबारा मौके पर भेजा।
नरेंद्र ,रायबरेली