यह है संविधान के रचयिता की दुर्दशा , लोगों को साल में एक बार आती है इसकी याद
संविधान रचयिता बाबा भीमराव अंबेडकर की इस प्रतिमा को लोग साल में एक बाद ही याद करते हैं। और दलदल बन चुके इस तलाब को पार के उनकी
-जूही बम्बुराहिया स्थित धोबी तलाब के बीचों बीच बाबा भीमराव अंबेडकर की यह प्रतिमा स्थापित है ।
-इस तलाब में धोबी समाज कपड़े धुलने का काम करता है लेकिन अब यह तलाब दलदल में तब्दील हो चुका है ।
-लोगों को प्रतिमा तक पहुंचने के लिए भरे हुए तलाब में लगभग 400 मीटर का रास्ता तय करना पड़ता है ।
-कई स्थानों पर यह तालाब गहरा भी है फिर भी लोग जान हथेली पर लेकर बाबा साहब को उनकी जयंती के मौके पर माल्यार्पण करने के लिए जाते है ।
क्या कहते हैं लोग
-नसीरुद्दीन बताते है कि सन 1956 में श्रम विभाग द्वारा धोबी समाज को दी गई थी ।
-इसके बावजूद भी अब इस तलाब की पुराई कर कब्ज़ा करने की फ़िराक में लगे है । बगल में ही टायर मंडी है जो बहुत तेजी कब्ज़ा कर रहे है।
-विक्रम सिंह बताते है बाबा साहब की यह दुर्दशा देखी नही जाती है। स्थानीय लोग चंदा इकठ्ठा कर के बाबा साहब की प्रतिमा का रंग रोगन करते है । पानी के बीच में मूर्ति होने के कारण हम लोग इनकी देख रेख नही कर पाते है ।